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शासन व्यवस्था

ई-बिल प्रणाली

  • 09 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ई-बिल प्रणाली, पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम।

मेन्स के लिये:

ई-गवर्नेंस, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, ई-बिल प्रोसेसिंग सिस्टम का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 46वें सिविल लेखा दिवस के अवसर पर ‘ई-बिल प्रणाली’ का शुभारंभ किया।

  • भारत में वित्तीय समावेशन अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करने हेतु केंद्रीय बजट 2022 में इसकी घोषणा की गई थी।
  • 1 मार्च, 1976 को भारतीय सिविल लेखा सेवा (ICAS) की स्थापना की वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिये हर वर्ष "नागरिक लेखा दिवस" ​​मनाया जाता है।
    • भारतीय सिविल लेखा सेवा भारत सरकार (जीओआई) के लिये वित्तीय प्रबंधन सेवाओं के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ई-बिल प्रणाली व्यापक पारदर्शिता और भुगतान की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (ईओडीबी) व डिजिटल इंडिया इको-सिस्टम का हिस्सा है।
    • सरल शब्दों में ई-बिल प्रोसेसिंग सिस्टम कागज़ के पारंपरिक उपयोग के बजाय बिलों के डिजिटल रूप से लेन-देन करने का एक तरीका है।
      • वर्तमान में सरकार को विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को अपने बिलों की भौतिक, स्याही से हस्ताक्षरित प्रतियाँ भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों/विभागों/ कार्यालयों में जमा करनी होती हैं। 
    • इलेक्ट्रॉनिक रूप से बिलिंग किये जाने पर ग्राहक अपने बिल ऑनलाइन, ई-मेल के माध्यम से या मशीन-पठनीय डेटा फॉर्म में प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
    • शुरू की गई नई ई-बिल प्रणाली के तहत विक्रेता/आपूर्तिकर्त्ता किसी भी समय डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से अपने घरों/कार्यालयों पर सुविधापूर्वक सहायक दस्तावेज़ो के साथ अपने बिल ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं।
    • प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक बिल को अधिकारियों द्वारा हर चरण में डिजिटल रूप से संसाधित किया जाएगा और अंत में भुगतान को विक्रेता के बैंक खाते में डिजिटल रूप से जमा किया जाएगा।
  • विकास:

ई-बिल प्रोसेसिंग सिस्टम के प्रमुख उद्देश्य

  • सरकार के सभी विक्रेताओं/आपूर्तिकर्त्ताओं को किसी भी समय कहीं से भी अपने बिल/दावे जमा करने की सुविधा प्रदान करना।
  • आपूर्तिकर्त्ताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच भौतिकीय इंटरफेस को हटाना।
  • बिलों/दावों के प्रसंस्करण में दक्षता बढ़ाना।
  • "फर्स्ट-इन-फर्स्ट-आउट" (First-In-First-Out"-FIFO) पद्धति के माध्यम से बिलों के प्रसंस्करण को कम करना।

ई-बिल प्रोसेसिंग सिस्टम का महत्त्व:

  • पारदर्शिता बढ़ाना:
    • यह आपूर्तिकर्त्ताओं और ठेकेदारों को अपना दावा ऑनलाइन जमा करने की अनुमति देकर पारदर्शिता, दक्षता और फेसलेस-पेपरलेस भुगतान प्रणाली को बढ़ाएगा, जिसे वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक किया जा सकेगा।
  • वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक करने योग्य:
    • वित्त मंत्रालय के अनुसार, आपूर्तिकर्त्ता और ठेकेदार अपना दावा ऑनलाइन जमा नहीं कर पाएंगे यह वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक करने योग्य होगा।
  • प्रभावी समय:
    • चूँकि ई-बिलिंग का तरीका समय-कुशल, त्वरित और सरल होगा जो भारत को डिजिटल बनाने हेतु सरकार के लिये बेहतर होगा तथा ई-बिल प्रोसेसिंग सिस्टम से त्रुटियाँ भी कम होंगी।

PFMS के बारे में:

  • PFMS, जिसे पहले सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम (Central Plan Schemes Monitoring System- CPSMS) के नाम से जाना जाता था, एक वेब-आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जिसे वित्त मंत्रालय के लेखा महानियंत्रक (Controller General of Accounts- CGA) के कार्यालय द्वारा विकसित और कार्यान्वित किया गया है।
  • PFMS को शुरू में वर्ष 2009 के दौरान योजना आयोग की केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य भारत सरकार की सभी योजनाओं के तहत जारी धनराशि को ट्रैक करना और कार्यक्रम कार्यान्वयन के सभी स्तरों पर व्यय की वास्तविक समय पर रिपोर्टिंग करना था।
  • PFMS का प्राथमिक उद्देश्य एक कुशल निधि प्रवाह प्रणाली के साथ-साथ भुगतान सह लेखा नेटवर्क स्थापित करके भारत सरकार (Government of India- GoI) के लिये एक ठोस सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की सुविधा प्रदान करना है।

विगत वर्षों के प्रश्न

विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की हालिया नीतिगत पहल क्या है/हैं?

  1. राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना।
  2. 'सिंगल विंडो क्लीयरेंस' का लाभ प्रदान करना।
  3. प्रौद्योगिकी अधिग्रहण और विकास कोष की स्थापना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्रोत: पी.आई.बी.

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