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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जलवायु परिवर्तन के कारण फॉरेस्ट ओवलेट का प्रजातिकरण

  • 21 Feb 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

  • PLoS ONE नामक जर्नल में प्रकाशित पेपर के अनुसार मध्य भारत में दुर्लभ रूप से पाए जाने वाले  फॉरेस्ट ओवलेट (Heteroglaux Blewetti-हेट्रोग्लॉक्स ब्लेवेट्टी) को अब एथेन ब्लेवेट्टी के अंतर्गत ही वर्गीकृत किया जाएगा। IUCN की रेड डाटा बुक में इसे संकटग्रस्त (Endangered) प्रजाति की सूची में रखा गया है।
  • वैज्ञानिकों ने यह खोज की है कि फॉरेस्ट ओवलेट आमतौर पर देखे जाने वाले उल्लू के वर्ग (Genus) से ही संबंधित हैं। इस खोज से फॉरेस्ट ओवलेट की अन्य भारतीय उल्लुओं के साथ आनुवंशिक संबंधों पर जारी बहस का समापन हो गया है।
  • ओवलेट उल्लुओं की विभिन्न प्रजातियों के लिये प्रयुक्त किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है।

फॉरेस्ट ओवलेट के वर्गीकरण पर बहस क्या थी? 

  • चित्तीदार उल्लू (Spotted Owlet) एथेन ब्रामा (Athene Brama) की तरह दिखने वाले इस फॉरेस्ट ओवलेट का वर्गीकरण हमेशा से ही एक रहस्य रहा है।
  • टैक्सोनोमिस्ट्स कभी इसे हेट्रोग्लॉक्स वर्ग में तो कभी एथेन वर्ग में रखते थे। वहीं, अन्य लोग इसे जंगल ओवलेट (Jungle Owlet) से अधिक संबंधित पाते थे।

बहस का समापन 

  • पहली बार वैज्ञानिकों की एक टीम को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों से फॉरेस्ट, चित्तीदार और जंगल ओवलेट के कुछ पंखों को एकत्रित करने की अनुमति मिली थी।
  • पक्षियों के बीच के संबंध को उजागर करने के लिये वैज्ञानिकों ने पंखों से प्राप्त डीएनए के द्वारा एक जेनेटिक ट्री का निर्माण किया।
  • इस जेनेटिक ट्री पर प्राचीन उल्लूओं संबंधी जीवाश्म रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए टीम ने उस कालावधि और प्रक्रिया का आकलन किया है जिससे फॉरेस्ट ओवलेट अपने निकटतम संबंधियों से अलग हो गया था और परिणामस्वरूप नई प्रजातियाँ विकसित हुईं।
  • उनके अनुसार 4.3 से 5.7 मिलियन वर्ष पूर्व (प्लायो-प्लीस्टोसिन काल में) भारतीय उपमहाद्वीप में भारी जलवायु परिवर्तन के कारण फॉरेस्ट और चित्तीदार ओवलेट अलग-अलग प्रजातियों के रूप में विभाजित हो गए।
  • इससे यह परिणाम निकल कर आया कि फॉरेस्ट ओवलेट और चित्तीदार ओवलेट एक ही वर्ग (एथेन) से संबंधित हैं। 
  • कई स्वतंत्र शोधों से भी यह पता चलता है कि इसी अवधि में पश्चिमी घाट की उच्च तुंगता पर पाए जाने वाले कई पक्षियों में भी प्रजातिकरण (Speciation) की परिघटना देखने को मिली।
  • जैविक विकास की प्रक्रिया में नई और भिन्न प्रजातियों के विकास की परिघटना को प्रजातिकरण कहा जाता है।
  • जो यह दर्शाता है कि ओवलेट की प्रजातिकरण में जलवायु ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है। जलवायु परिवर्तन अब चिंता का विषय है, इसलिये यह अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण होगा कि नई मौसमी घटनाएँ फॉरेस्ट आवलेट को कैसे प्रभावित करती हैं। इससे प्रजातियों के संरक्षण में सहायता मिलेगी।
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