भारत में लाल पांडा के शिकार के मामलों में कमी | 09 Mar 2020
प्रीलिम्स के लिये:IUCN की रेड लिस्ट में लाल पांडा (Red Panda) की स्थिति मेन्स के लिये:वन्यजीव संरक्षण, लुप्तप्राय जीव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वन्यजीवों के व्यापार की निगरानी करने वाली ‘ट्रैफिक (TRAFFIC)’ नामक एक गैर-सरकारी संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में हिमालय क्षेत्र में लुप्तप्राय लाल पांडा (Red Panda) के शिकार के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
मुख्य बिंदु:
- यह रिपोर्ट जुलाई 2010 से जून 2019 के बीच हिमालय क्षेत्र में लाल पांडा के शिकार और इनके गैर-कानूनी व्यापार के मामलों के अध्ययन पर आधारित है।
- रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र की युवा पीढ़ी में वन्यजीवों के अंगों से बने उत्पादों के प्रयोग के प्रति रुचि में कमी लुप्तप्राय लाल पांडा के शिकार के मामलों में गिरावट का एक मुख्य कारण है। हालाँकि अन्य जीवों जैसे-कस्तूरी हिरण (Musk Deer), जंगली सूअर आदि द्वारा लाल पांडा का शिकार किया जाना अभी भी इस जीव के अस्तित्व के लिये एक खतरा बना हुआ है।
- रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2010 से जून 2019 के बीच भारत और भूटान की सरकारों द्वारा लाल पांडा के शिकार और इनके गैर-कानूनी व्यापार का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
लाल पांडा (Red Panda):
- लाल पांडा ऐलुरुस (Ailurus) वंश का एकमात्र जीवित सदस्य है।
- यह स्तनपायी जीव हिमालय क्षेत्र में नेपाल, भारत, भूटान, दक्षिणी चीन और म्याँमार के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाता है।
- लाल पांडा को IUCN की रेड लिस्ट के तहत संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में रखा गया है।
- साथ ही इसे भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972 की अनुसूची-I के तहत कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
- ‘ट्रैफिक (TRAFFIC)’ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में विश्व में लगभग 14,500 लाल पांडा ही शेष बचे हैं। इनमें से लगभग 5000-6000 लाल पांडा भारत के चार राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में हैं।
- साथ ही अन्य देशों में लाल पांडा की अनुमानित आबादी चीन में 6000-7000 और नेपाल में 580 है।
- हालाँकि विशेषज्ञों के अनुसार, इस अध्ययन की अवधि के दौरान भूटान के दोरजी नेशनल पार्क (Dorjee National Park) में लाल पांडा के दुर्घटना-वश जाल में फँसने का एक मामला और भारत में लाल पांडा के अवैध शिकार के 6 मामले ही पाए गए।
- विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल में लगभग 25 मौको/अवसरों पर लगभग 55 लाल पांडा के अवैध शिकार के अतिरिक्त 6 अन्य मौको पर 15 लाल पांडा के अवैध शिकार के मामलों का दावा किया गया है।
- इस अध्ययन के अंतर्गत सुरक्षा अधिकारियों द्वारा ज़ब्त किये गए जीवों के मामलों के अतिरिक्त बाज़ारों, ई-व्यापार वेबसाइट्स सर्वेक्षण और ग्रामीण स्तर पर हज़ारों लोगों से बातचीत के आधार पर प्राप्त आँकड़ों को शामिल किया गया।
- इस अध्ययन में अरुणाचल प्रदेश के 38 ग्रामीण बाज़ारों को शामिल किया गया है। जिनमें तवांग (Tawang) के 6 बाज़ारों और अन्य 19 ज़िलों के कम-से-कम एक बाज़ार को शामिल किया गया।
लाल पांडा के शिकार के मामलों में कमी के मुख्य कारण:
- रिपोर्ट के अनुसार, लाल पांडा के शिकार के मामलों में कमी इस बात की ओर संकेत करती है कि समय के साथ इन जीवों के अंगों से बने उत्पादों की मांग में कमी आई है।
- इन जीवों के शिकार के मामलों में कमी इस क्षेत्र में लुप्तप्राय जीवों के प्राकृतिक महत्त्व के संदर्भ में चलाए गए जन-जागरूकता अभियानों की सफलता को भी दर्शाता है।
लाल पांडा के संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव:
रिपोर्ट के अनुसार, लाल पांडा की घटती संख्या और क्षेत्र के पारिस्थितिक-तंत्र में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए लाल पांडा के संरक्षण के लिये निम्नलिखित प्रयास किये जाने चाहिये-
- लाल पांडा के संरक्षण के लिये जन-जागरूकता अभियानों में वृद्धि की जानी चाहिये।
- क्योंकि ऐसे जीवों के वास स्थान (Habitat) सुदूर/दूरस्थ क्षेत्रों तक फैले होते हैं, अतः लाल पांडा और उनके वास स्थान के संरक्षण के लिये समुदाय आधारित संरक्षण अभियानों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- साथ ही लाल पांडा के संरक्षण और इनके अवैध व्यापार को रोकने के लिये दक्षिण एशियाई वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क सम्मेलन (South Asia Wildlife Enforcement Network-SAWEN) जैसे बहु-सरकारी मंचों के माध्यम से सीमा पार सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।