राष्ट्रीय उद्यानों में ड्रिलिंग: चिंता का विषय | 23 Jul 2020
प्रीलिम्स के लिये:डिब्रू-सैखोवा राष्टीय उद्यान, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, एक्स्टेंडेड रीच ड्रिलिंग, ERD उत्खनन तकनीक मेन्स के लिये:पर्यावरणीय प्रभाव आकलन और उत्खनन |
चर्चा के लिये?
हाल ही में 'राष्ट्रीय हरित अधिकरण' (National Green Tribunal- NGT) ने असम के ‘डिब्रू-सैखोवा राष्टीय उद्यान’ में प्रस्तावित सात उत्खनन ड्रिलिंग साइटों को पर्यावरणीय मंज़ूरी दिये जाने पर संबंधित संस्थाओं/इकाइयों से जवाब तलब किया है।
प्रमुख बिंदु:
- NGT द्वारा इस संबंध में ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC), ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड’ (Oil India Limited- OIL) और असम राज्य के ‘प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ एवं ‘राज्य जैव विविधता बोर्ड’ से जवाब तलब किया गया है।
- NGT के ये निर्देश असम के दो पर्यावरण संरक्षणवादियों की याचिका पर आधारित थे।
याचिकाकर्त्ताओं का पक्ष:
- NGT ने याचिकाकर्त्ताओं के इस तर्क पर ध्यान दिया कि OIL द्वारा 'पर्यावरणीय प्रभाव आकलन' (Environment Impact Assessment- EIA)-2006, अधिसूचना के तहत सभी चरणों यथा; सार्वजनिक सुनवाई' (Public Hearing) तथा 'जैव विविधता मूल्यांकन' (Biodiversity Assessment) अध्ययन, का पालन नहीं किया गया है।
- याचिकाकर्त्ताओं के अनुसार, ये ड्रिलिंग प्रोजेक्ट सितंबर 2017 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हैं।
- यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस निर्णय में राष्ट्रीय उद्यान में खनन तथा उत्खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के सरकार को निर्देश दिये थे।
- इन ड्रिलिंग प्रोजेक्ट के संदर्भ में प्रस्तुत EIA रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ड्रिलिंग परियोजनाओं में विस्फोट (Blowout) की नगण्य संभावना है, जबकि असम के बागान (Baghjan) में हुई गैस विस्फोट की घटनाओं ने इस तर्क को गलत साबित किया है।
OIL का पक्ष:
- OIL ने स्पष्ट किया है कि उसकी 'उत्खनन ड्रिलिंग परियोजना' डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत (अंडर द नेशनल पार्क) आती है न कि राष्ट्रीय उद्यान में (इन द नेशनल पार्क)।
- इन परियोजनाओं को 'एक्स्टेंडेड रीच ड्रिलिंग' (ERD) पर आधारित माना गया है जो संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश किये बिना मौजूदा कुएँ से लगभग 4 किमी की गहराई तक ड्रिलिंग करने में सक्षम होती है।
- OIL ने ERD तकनीक के आधार पर वर्ष 2016 में सात कुओं की अनुमति प्राप्त की थी।
- ERD तकनीक के आधार पर किसी क्षेत्र की सतह पर प्रवेश किये बिना ही दूर से ही हाइड्रोकार्बन का उत्खनन करना संभव हो पाता है।
असम में खनन गतिविधियाँ तथा पर्यावरण:
- अपरिष्कृत पेट्रोलियम टर्शियरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। वर्ष 1956 तक असम में डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था। असम में डिगबोई, नहरकटिया तथा मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
- असम राज्य विश्व के समृद्धतम जैव विविधता क्षेत्रों में से एक है। इसमें उष्णकटिबंधीय वर्षावन, पर्णपाती वन, नदी के घास के मैदान, बाँस के बगीचे और कई आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।
- असम में अनेक समृद्ध वन्यजीव अभयारण्य तथा राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस वन्यजीव अभयारण्य, डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, नामेरी राष्ट्रीय उद्यान और ओरंग राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख हैं।
- ऐसे में राज्य में खनन गतिविधियाँ जैव-विविधता के समक्ष अनेक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं।
डिब्रू-सैखोवा राष्टीय उद्यान
(Dibru-Saikhowa National Park):
- डिब्रू-सैखोवा असम में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फीयर रिज़र्व है।
- ब्रह्मपुत्र के बाढ़ मैदान में स्थित डिब्रू-सैखोवा वन्यजीवों की कई अत्यंत दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के लिये एक सुरक्षित आश्रय है।
- डिब्रू-सैखोवा में अर्द्ध-सदाबहार, पर्णपाती , दलदलीय/स्वॉम्प वनों के अलावा आर्द्र सदाबहार वनों के कुछ पैच (लघु वन क्षेत्र) पाए जाते हैं।
- इसे 'महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र' (Important Bird Area- IBA) के रूप में पहचान प्राप्त है। यहाँ 382 से अधिक पक्षी की प्रजातियाँ जिनमें ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क, लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क, ग्रेटर क्रेस्टेड ग्रीब आदि शामिल हैं।
- यहाँ टाइगर, छोटे भारतीय सिवेट, गंगा डॉल्फिन, स्लो लोरिस, रीसस मैकाक, होलॉक गिब्बन, जंगली सुअर जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं।