ल्यूकोडर्मा से निजात के लिये हर्बल औषधि | 25 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय विटिलिगो दिवस (International Vitiligo Day) के अवसर पर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने ल्यूकोडर्मा (सफ़ेद दाग़) के उपचार हेतु एक हर्बल औषधि विकसित की है।
- इस अविष्कार ने ल्यूकोडर्मा से पीड़ित लोगों को नई आशा प्रदान की है।
ल्यूकोडर्मा
- ल्यूकोडर्मा (Leucoderma) एक त्वचा संबंधी बीमारी है जिसमें त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं, यह कुष्ठ रोग (Leprosy) से भिन्न है।
- ल्यूकोडर्मा को विटिलिगो भी कहा जाता है। यह पीड़ित व्यक्ति को अवसाद और तनाव की स्थिति में पहुँचा देता है और लोग इसे सामाजिक कलंक के रूप में देखते हैं।
- विटिलिगो संक्रामक रोग नहीं है और न ही यह असाध्य या जानलेवा है। ल्यूकोडर्मा की विश्वव्यापी संभावना 1-2 प्रतिशत बताई गई है। भारत में राजस्थान के कुछ हिस्सों में इससे संबंधित मामलों की संख्या लगभग 4-5 प्रतिशत है। गुजरात में यह 5-8 प्रतिशत से अधिक है।
ज्ञातव्य है कि हाल ही में सरकार ने DRDO के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, हेमंत पांडे को प्रतिष्ठित सामाजिक विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह सम्मान इस बीमारी का इलाज करने के लिये 'ल्यूकोस्किन' के विकास हेतु प्रदान किया गया था।
विटिलिगो के विभिन्न उपचार
- वर्तमान में एलोपैथिक, शल्य चिकित्सा जैसे विटिलिगो के विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन किसी भी चिकित्सा पद्धति ने इस बीमारी को पूर्णतः ठीक नहीं किया है।
- इसके अतिरिक्त ये उपचार या तो महंगे हैं या एकल अणु आधारित हैं तथा इनका प्रभाव भी सीमित है जबकि विटिलिगो के उपचार की यह दवा( ल्यूकोस्किन) मरहम और तरल के रूप में उपलब्ध है।
- इस मरहम में सात हर्बल अवयव हैं, जिनमें त्वचा की फोटो सेंसिटाइज़र, एंटी-ब्लिस्टर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-सेप्टिक, घाव भरने और तांबे के पूरक गुण होते हैं, जबकि नए दाग की के लिये मौखिक खुराक तैयार की गई है।
विश्व विटिलिगो दिवस: यह प्रतिवर्ष 25 जून को मनाया जाता है जो कि विटिलिगो के बारे में वैश्विक जागरूकता के लिये एक पहल है।
ल्युकोस्किन : यह विटिलिगो के उपचार में काम आने वाली औषधि है, जिसे हाल ही में DRDO ने विकसित किया है। वर्तमान में दिल्ली स्थित AIMIL Pharma Ltd. द्वारा यह बनाई और बेची जा रही है।