ड्रैगन फ्रूट | 20 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:ड्रैगन फ्रूट की मुख्य विशेषताएँ, एकीकृत बागवानी विकास मिशन, ड्रिप सिंचाई मेन्स के लिये:ड्रैगन फ्रूट की कृषि को बढ़ावा देने हेतु सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात को महाराष्ट्र के एक किसान द्वारा उत्पादित ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की अपनी पहली खेप का निर्यात किया।
प्रमुख बिंदु:
ड्रैगन फ्रूट के बारे में:
- ड्रैगन फ्रूट (Hylocereus Undatus) अमेरिका का एक स्थानीय/देशज फल है। यह कैक्टेशिया फेमली (Cactaceae Family) का सदस्य है।
- विश्व में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे- 'पिटाया' (Pitaya), 'पिठाया' (Pitahaya), स्ट्रॉबेरी नाशपाती (Strawberry Pear) और रात की रानी (Queen Of The Night)। भारत में इसे 'कमलम' (Kamalam) के नाम से भी जाना जाता है।
जलवायु स्थिति:
- यह कठोर होता है तथा विभिन्न प्रकार की मृदाओं में विविध जलवायु परिस्थितियों में बढ़ता है, खासकर भारत के अर्द्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में।
- मृदा में थोड़ी अम्लीयता की मात्रा ड्रैगन फ्रूट के बढ़ने हेतु बेहतर होती है तथा यह मृदा में कुछ लवणों को भी सहन करने में सक्षम है।
- भारत में ड्रैगन फ्रूट मानसूनी मौसम (जून से नवंबर) तैयार होता है।
विशेषताएंँ:
- इसके फूल की प्रकृति उभयलिंगी ( नर और मादा अंग एक ही फूल में) होती है और इसके फूल रात के समय में ही खिलते हैं।
- इसका पौधा 20 से अधिक वर्षों तक फल देने में सक्षम होता है, जो उच्च न्यूट्रास्युटिकल गुणों (औषधीय प्रभाव वाले) से युक्त होता है, साथ ही यह मूल्य वर्द्धित प्रसंस्करण उद्योगों (Value-Added Processing Industries) हेतु भी महत्त्वपूर्ण है।
- यह विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है।
भारत में लोकप्रियता:
- 1990 के दशक में ड्रैगन फ्रूट को भारत के घरेलू बगीचों में उगाया जाने लगा था।
- ड्रैगन फ्रूट्स के कम रखरखाव और उच्च लाभप्रदता ने पूरे भारत में कृषक समुदाय को आकर्षित किया है।
- इससे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के साथ-साथ कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में ड्रैगन फ्रूट की खेती में भारी वृद्धि हुई है।
- देश में हर वर्ष लगभग 12,000 टन फलों का उत्पादन होता है।
संबंधित मुद्दे:
- उच्च निवेश: ड्रैगन फ्रूट का पौधा लताओं वाला होता है, जिसे बढ़ने के लिये किसी सहारे की आवश्यकता होती है और इसलिये किसानों को इसकी खेती में बुनियादी ढाँचे के निर्माण में प्रति एकड़ लगभग 3.5 लाख रुपए का निवेश करने की आवश्यकता होती है।
- इसमें ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) के लिये आवश्यक पूँजी शुरुआती निवेश है।
- फूल आने में समस्याएँ: सामान्यतः इसके लिये अर्द्ध-शुष्क और शुष्क इलाकों में सूर्यताप एक आम कारण है, जिसे मोरिंगा, सेसबानिया जैसे पेड़ लगाकर या कृत्रिम छाया जाल लगाकर रोका जा सकता है।
सरकार की पहल:
- महाराष्ट्र सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और इसकी खेती के लिये सब्सिडी प्रदान करके राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने की पहल की है।
- MIDH फल, सब्जी, जड़ एवं कंद फसलों, मशरूम, मसालों, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको, बाँस आदि बागवानी क्षेत्र की फसलों के समग्र विकास हेतु एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- MIDH योजना को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय वर्ष 2014-15 से लगातार कार्यान्वित कर रहा है।