शासन व्यवस्था
विमान वस्तुओं में हितों के संरक्षण और प्रवर्तन विधेयक 2022 का मसौदा
- 20 Apr 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:केप टाउन कन्वेंशन एंड प्रोटोकॉल, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO), लीग ऑफ नेशंस, निजी कानून के एकीकरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (UNIDROIT) मेन्स के लिये:विमान वस्तुओं में हितों के संरक्षण और प्रवर्तन विधेयक, 2022 मसौदा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान वस्तुओं में हितों के संरक्षण और प्रवर्तन विधेयक (Draft Protection and Enforcement of Interests in Aircraft Objects Bill), 2022 का मसौदा प्रस्तुत किया।
- प्रस्तावित कानून अंतर्राष्ट्रीय विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों को भारतीय एयरलाइन के साथ वित्तीय विवाद के मामले में भारत से बाहर विमानों को स्थानांतरित करने में मदद करेगा, इसके अंतर्गत एक ही समय में कई क्षेत्रीय एयरलाइनों को किराए के लिये विमान लेने से इनकार कर दिया गया है।
- प्रस्तावित कानून भारत के केप टाउन कन्वेंशन में शामिल होने के 14 वर्ष बाद आया है।
मसौदे के प्रमुख बिंदु:
- परिचय: यह विधेयक मोबाइल उपकरण में अंतर्राष्ट्रीय हितों पर कन्वेंशन और विमान उपकरण के लिये विशिष्ट मामलों पर प्रोटोकॉल के प्रावधानों को लागू करता है जिसे वर्ष 2001 में केप टाउन कन्वेंशन में अपनाया गया था।
- भारत ने वर्ष 2008 में दो उपकरणों को स्वीकार किया।
- ये लेनदार के लिये प्राथमिक उपचार और विवादों के लिये कानूनी व्यवस्था बनाने का प्रावधान करते हैं।
- आवश्यकता: यह कानून आवश्यक है क्योंकि कंपनी अधिनियम, 2013 और दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 जैसे कई भारतीय कानून केप टाउन कन्वेंशन और प्रोटोकॉल के विरोधाभासी हैं।
- जेट एयरवेज के वर्ष 2019 में बंद होने के बाद, अपने विमान के किराए का भुगतान करने में विफल रहा, तो अंतर्राष्ट्रीय पट्टे पर देने वाली कंपनियों को विमानों को वापस लेने और निर्यात करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- इसके अलावा भारतीय संस्थाओं को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कार्यान्वयन कानून की मांग करते हैं।
- उद्देश्य: प्रस्तावित कानून एक विमान वस्तु को वापस लेने या उसकी बिक्री या पट्टे या इसके उपयोग से आय के संग्रह के साथ-साथ डी-पंजीकरण तथा विमानों के निर्यात जैसे उपाय प्रदान करता है।
- यह एक दावे के अंतिम निर्णय के लंबित होने के साथ-साथ अपने भारतीय खरीदार के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही के दौरान लेनदार के दावे की सुरक्षा के उपायों का भी सुझाव देता है।
केप टाउन कन्वेंशन तथा प्रोटोकॉल:
- पृष्ठभूमि: मोबाइल संबंधी उपकरण में अंतर्राष्ट्रीय हितों पर कन्वेंशन 16 नवंबर, 2001 को केप टाउन में संपन्न हुआ था, जो कि विमान उपकरण संबंधी विशिष्ट मामलों पर प्रोटोकॉल था।
- कन्वेंशन और प्रोटोकॉल, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और निजी कानून के एकीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (UNIDROIT) के संयुक्त तत्वावधान में अपनाया गया था।
- ICAO एक संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की विशेष एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में स्थापित किया गया था, जिसने शांतिपूर्ण वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिये मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी। भारत इसका एक सदस्य देश है।
- उद्देश्य: उच्च मूल्य वाली विमानन संपत्तियों अर्थात् एयरफ्रेम, विमान इंजन और हेलीकॉप्टरों हेतु तथा अवरोध्य अधिकार (Opposable Rights) प्राप्त करने की समस्या को हल करने हेतु कोई निश्चित स्थान नहीं है।
- यह समस्या मुख्य रूप से इस कारण उत्पन्न होती है कि कानूनी प्रणालियों में लीज़ समझौतों के लिये अलग-अलग प्रावधान हैं, जो उधार देने वाले संस्थानों के लिये उनके अधिकारों की प्रभावकारिता के बारे में अनिश्चितता उत्पन्न करता है।
- यह ऐसी विमानन परिसंपत्तियों हेतु वित्तपोषण के प्रावधान को बाधित करता है तथा उधार लेने की राशि को बढ़ाता है।
- कन्वेंशन और प्रोटोकॉल के लाभ:
- पूर्वानुमेयता और प्रवर्तनीयता: कन्वेंशन और प्रोटोकॉल प्रतिभूतियों के विरोध तथा विमानन परिसंपत्तियों के विक्रेताओं के होतों के संबंध में पूर्वानुमेयता (Predictability) में सुधार करते हैं।
- लागत बचत: परिणामी बेहतर कानूनी निश्चितता के माध्यम से कन्वेंशन और प्रोटोकॉल का उद्देश्य लेनदारों के लिये जोखिम और देनदारों को उधार लेने की लागत को कम करना है।
- यह अत्याधुनिक और इस प्रकार अधिक ईंधन कुशल विमानों के अधिग्रहण के लिये ऋण देने को बढ़ावा देता है।
- कन्वेंशन और प्रोटोकॉल को अपनाने वाले राज्यों की एयरलाइंस निर्यात क्रेडिट प्रीमियम पर 10% छूट प्राप्त कर सकती हैं।
निजी कानून के एकीकरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (UNIDROIT)
- निजी कानून के एकीकरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (UNIDROIT) एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय रोम के विला एल्डोब्रांडिनी में स्थित है।
- इसका उद्देश्य राज्यों और राज्यों के समूहों के बीच निजी और विशेष रूप से वाणिज्यिक कानून के आधुनिकीकरण, सामंजस्य तथा समन्वय हेतु ज़रूरतों एवं विधियों का अध्ययन करना तथा उन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये समान कानून उपकरणों, सिद्धांतों और नियमों को तैयार करना है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1926 में राष्ट्र संघ के अंग के रूप में हुई थी।
- एक बहुपक्षीय समझौते, यूनिड्रोइट कानून (UNIDROIT Statute) के माध्यम से लीग के विघटन के बाद वर्ष 1940 में इसे फिर से स्थापित किया गया था।
- इसके 63 सदस्य देश शामिल हैं, जिसमें भारत की भी भागीदार है।