ट्रस्ट या संस्थान के लिये ऑडिट नियमों से संबंधित मसौदा अधिसूचना | 22 May 2019
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes-CBDT) ने किसी ट्रस्ट या संस्थान के लिये ऑडिट नियमों से संबंधित आयकर नियमों, 1962 के नियम 17B के संशोधन के लिये एक मसौदा अधिसूचना जारी की।
नोट:
- नियम 17B और फॉर्म संख्या 10B को आयकर नियम, 1962 (आयकर (द्वितीय संशोधन) नियम, 1973) में शामिल किया गया।
- नियम 17B में कहा गया है कि किसी भी ट्रस्ट अथवा संस्थान के लेखा के अंकेक्षण की रिपोर्ट (Report of Audit) फॉर्म संख्या 10B में होगी।
- फॉर्म संख्या 10B के अंतर्गत ऑडिट रिपोर्ट के अलावा अनुलग्नक के रूप में ‘ब्योरेवार रिपोर्टों का विवरण’ (Statement of particulars) भी उपलब्ध कराया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- चूँकि नियम और प्रपत्र को बहुत पहले अधिसूचित किया गया था, वर्तमान समय की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिये इन्हें और अधिक तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।
- नया फॉर्म 10B कुछ इस तरह का है:
- प्राप्त विदेशी दान प्राप्त और दानकर्त्ताओं का विवरण भरना (जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत कटौती का दावा करने के लिये प्रमाण-पत्र जारी किये जाते हैं);
- वह कानून जिसके तहत ट्रस्ट/संस्थान गठित की जाती है तथा आयकर अधिनियम के तहत पंजीकरण;
- ट्रस्ट/संस्थान का उद्देश्य;
- आय का विवरण और आय का आवेदन;
- विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, [Foreign Contribution (Regulation) Act-FCRA], 2010 के तहत पंजीकरण की स्थिति; तथा
- विभिन्न अन्य विवरणों के साथ लेखांकन नीति की विधि।
- ट्रस्ट/संस्थान के मामले में 'सामान्य जनोपयोगी किसी अन्य वस्तु की उन्नति' के रूप में वर्गीकृत वस्तु के साथ मसौदा अधिसूचना में इस बात की जानकारी मांगी गई है कि क्या इस तरह की गतिविधि व्यापार, वाणिज्य, व्यवसाय या सेवाओं के संबंध में उपकर, फीस आदि से संबद्ध है, इस तरह की किसी भी गतिविधि से प्राप्त रसीद के विवरण को फॉर्म में भरा जाएगा।
- संशोधित 'विवरणों का विवरण' में ट्रस्ट के संचालन का व्यापक विवरण देना होगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रस्ट उपयुक्त प्रक्रियाओं का अनुपालन कर रहा है।
- जहाँ किसी व्यावसायिक उपक्रम को 'ट्रस्ट के अधीन संपत्ति' के रूप में दर्शाया जाता है, वहाँ प्रस्तावित फॉर्म में उक्त ट्रस्ट के संबंध में व्यापक विवरण और ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की आवश्यकता होगी।
- कर विशेषज्ञों के अनुसार, विभिन्न अतिरिक्त प्रकटीकरण आवश्यकताओं से लेखा परीक्षकों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाएगी क्योंकि अब उन्हें यह प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी कि अनुलग्नक में दिये गए विवरण सही हैं या नहीं। इस प्रकार, निर्धारिती (Assessee) के साथ-साथ लेखा परीक्षक की ज़िम्मेदारी भी महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ जाएगी।