शासन व्यवस्था
प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019
- 12 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने ‘मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019’ (‘Model Tenancy Act’, 2019- MTA) का एक मसौदा तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रारूप में मालिक और किरायेदार दोनों के हितों और अधिकारों को संतुलित करने तथा परिसरों/आवासों को अनुशासित एवं कुशल तरीके से किराये पर देने में उत्तरदायी और पारदर्शी व्यवस्था बनाने का प्रावधान है।
- यह अधिनियम समाज के विभिन्न आय वर्गों के लिये किराये पर मकानों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने में सहायता प्रदान करेगा।
- समाज के इन वर्गों में अन्य जगह पर बसे लोग, औपचारिक तथा अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक, पेशेवर लोग, विद्यार्थी आदि शामिल हैं।
- इस अधिनियम का उद्देश्य गुणवत्ता संपन्न किराये के आवासों तक पहुँच को बढ़ाना है।
- यह विधेयक पूरे देश में किराये के मकानों के संदर्भ में समग्र कानूनी रूपरेखा को नया रूप देने में सहायक होगा।
- यह विधेयक देश में रिहायशी मकानों की भारी कमी की समस्या से निपटने के लिये किराये हेतु आवासों के निर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
प्रावधान की विशेषताएँ
- प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019 (MTA) किराये के मकानों की वृद्धि, इस क्षेत्र में निवेश, उद्यम के अवसर तथा स्थान साझा करने की नवाचारी व्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा।
- यह MTA भविष्य में किरायेदारी के मामले में लागू होगा। वर्तमान किरायेदारी के मामलों को यह प्रभावित नहीं करेगा।
प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019 (MTA 2019) के प्रावधान
- इसमें शिकायतों के समाधान की व्यवस्था का प्रावधान है जिसमें किराया प्राधिकरण, किराया न्यायालय और किराया न्यायाधिकरण शामिल हैं।
- इसमें आवासीय संपत्तियों के मामले में अधिकतम दो महीने के किराये के बराबर जमानत राशि की सीमा प्रस्तावित है तथा गैर-आवासीय संपत्ति के मामले में यह सीमा कम-से-कम एक महीने के किराये के बराबर है।
- इस अधिनियम के लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति लिखित समझौता किये बिना न तो परिसर/आवास को किराये पर दे सकता है और न कोई व्यक्ति परिसर को किराये पर ले सकता है।
- यह मॉडल अधिनियम शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगा।
- किराया समझौता होने के दो महीने के अंदर मकान मालिक एवं किरायेदार को इस समझौते के बारे में किराया प्राधिकरण को सूचना देनी होगी तथा किराया प्राधिकरण सात दिनों के अंदर दोनों पक्षों को विशिष्ट पहचान संख्या जारी करेगा।
- किरायेदारी समझौता तथा अन्य दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने के लिये राज्य की स्थानीय भाषा में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाएगा।
- मॉडल अधिनियम को अंतिम रूप दिये जाने के बाद अतिशीघ्र इसे राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया जाएगा।
निष्कर्ष
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश भर में लगभग 1.1 करोड़ मकान खाली थे। इन मकानों को किराये पर उपलब्ध कराने से वर्ष 2022 तक सभी के लिये घर के विज़न को पूरा किया जा सकेगा।
- वर्तमान किराया नियंत्रण कानून के कारण किराये पर दिये जाने वाले मकानों की संख्या में वृद्धि नही हो रही है। मकान मालिकों में इस बात का डर बना रहता है कि कहीं मकान को किराये पर देने से मकान दूसरे के कब्ज़े में न चला जाए।