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ड्राफ्ट इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज़ पॉलिसी 2022

  • 24 Feb 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डेटा एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी, हाई वैल्यू डेटा, इंडिया डेटा ऑफिस, डेटा प्रोटेक्शन लॉ।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, साइबर सुरक्षा, संचार प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, डेटा एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी एवं इसकी चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने "ड्राफ्ट इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज़ पॉलिसी, 2022" शीर्षक से एक नीति प्रस्ताव जारी किया।

  • इस मसौदे में उल्लिखित नीतिगत उद्देश्य प्राथमिक रूप से वाणिज्यिक प्रकृति के हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के डेटा का उपयोग करने की भारत की क्षमता को मौलिक रूप से बदलना है।
  • इससे पहले इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक सरकारी समिति ने सुझाव दिया था कि भारत में उत्पन्न गैर-व्यक्तिगत डेटा को विभिन्न घरेलू कंपनियों और संस्थाओं को उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिये।

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ड्राफ्ट डेटा एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी के प्रस्ताव का कारण:

  • डेटा में वृद्धि: नागरिक डेटा का उत्पादन अगले दशक में तेज़ी से बढ़ने और भारत की 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था की आधारशिला बनने की उम्मीद है।
  • डेटा दोहन के लाभ: राष्ट्रीय आर्थिक सर्वेक्षण, 2019 ने सरकारी डेटा दोहन के व्यावसायिक लाभों को प्रदर्शित किया है।
    • निजी क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग के लिये चुनिंदा डेटाबेस तक पहुँच प्रदान की जा सकती है।
  • नीति का अभाव: नीति की पृष्ठभूमि में आने वाले डेटा साझाकरण और उपयोग में मौज़ूदा बाधाओं को रेखांकित करता है।
    • इसमें नीति निगरानी एवं डेटा साझा करने के प्रयासों को लागू करने हेतु एक निकाय की अनुपस्थिति, डेटा साझा करने के लिये तकनीकी उपकरणों व मानकों की अनुपस्थिति, उच्च मूल्य वाले डेटासेट की पहचान तथा लाइसेंसिंग एवं मूल्यांकित ढाँचे शामिल हैं।
  • उच्च मूल्य डेटा को अनलॉक करना: अर्थव्यवस्था में डेटा के उच्च मूल्य को अनलॉक करने के लिये एक रास्ता, सरकार के डेटा को इंटरऑपरेबल बनाने और डेटा कौशल एवं संस्कृति की स्थापना के लिये अनुकूल व मज़बूत शासन रणनीतिक को इंगित करता है।

ड्राफ्ट डेटा एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी के प्रमुख प्रस्ताव:

  • भारत डेटा कार्यालय: दस्तावेज़ सरकार और अन्य हितधारकों के बीच डेटा एक्सेस और साझाकरण को सुव्यवस्थित व एकीकृत करने के लिये एक भारत डेटा कार्यालय (India Data Office) की स्थापना का प्रस्ताव करता है।
    • यह उच्च-मूल्य वाले डेटासेट के लिये ढाँचे को परिभाषित करने, डेटा तथा मेटाडेटा मानकों को अंतिम रूप देने के साथ ही नीति कार्यान्वयन की समीक्षा करेगा।
    • प्रत्येक मंत्रालय या विभाग में मुख्य डेटा अधिकारियों की अध्यक्षता में डेटा प्रबंधन इकाइयाँ होनी चाहिये, जो इस नीति के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु IDO के साथ मिलकर काम करेंगी।
  • कवरेज: केंद्र सरकार और अधिकृत एजेंसियों द्वारा उत्पन्न, निर्मित, एकत्र या संग्रहीत सभी डेटा और जानकारी पॉलिसी द्वारा कवर की जाएगी। ये उपाय राज्य सरकारें भी अपना सकती हैं।
  • प्रतिबंधित डेटा: सभी सरकारी डेटा तब तक खुला और साझा करने योग्य होगा जब तक कि वह डेटासेट की नकारात्मक सूची के अंतर्गत नहीं आता।
    • डेटासेट की नकारात्मक सूची के अंतर्गत वर्गीकृत डेटा को संबंधित मंत्रालय या विभाग द्वारा परिभाषित किया जाएगा और इसे केवल विश्वसनीय उपयोगकर्त्ताओं के साथ ही साझा किया जाएगा।
  • डेटा टूलकिट: डेटा साझाकरण और प्रकाशन से जुड़े जोखिम का आकलन एवं प्रबंधन करने में सहायता हेतु सभी मंत्रियों या विभागों को डेटा-साझाकरण टूलकिट प्राप्त होगा।
    • यह फ्रेमवर्क डेटा अधिकारियों को यह निर्धारित करने में सहायता करेगा कि क्या डेटा सेट रिलीज़ हेतु योग्य है या फिर इसे प्रतिबंधित साझाकरण या नकारात्मक सूची में रखा जाना चाहिये।
  • मौजूदा कानूनों के अनुरूप: डेटा उस एजेंसी/विभाग/मंत्रालय/इकाई की संपत्ति बना रहेगा, जिसने इसे उत्पन्न/एकत्र किया है। इस नीति के तहत डेटा तक पहुँच भारत सरकार के किसी भी अधिनियम और लागू नियमों का उल्लंघन नहीं होगा।
    • इस नीति के कानूनी फ्रेमवर्क को डेटा को कवर करने वाले विभिन्न अधिनियमों और नियमों के साथ जोड़ा जाएगा।

नीति संबंधी समस्याएँ:

  • गोपनीयता: भारत में कोई डेटा सुरक्षा कानून नहीं है जो गोपनीयता के उल्लंघन और अनुचित रूप से डेटा संग्रह हेतु जवाबदेही निर्धारित करता हो तथा इस संबंध में उपाय प्रदान करता हो।
    • यह अंतर-विभागीय डेटा साझाकरण गोपनीयता से संबंधित चिंताओं को प्रस्तुत करता है, क्योंकि स्वतंत्र सरकारी डेटा पोर्टल जिसमें सभी विभागों का डेटा शामिल है, के परिणामस्वरूप 360 डिग्री प्रोफाइल का निर्माण हो सकता है और राज्य प्रायोजित जन निगरानी को सक्षम बनाया जा सकता है।
      • इस नीति में कानूनी जवाबदेही और स्वतंत्र नियामक निरीक्षण की कमी है।
      • यह नीति अज्ञात डेटा की पुन: पहचान हेतु वैज्ञानिक विश्लेषण और स्वचालित उपकरणों की उपलब्धता पर विचार करने में भी विफल रही है।
    • व्यक्तिगत डेटा की अधिक मात्रा के साथ डेटा का व्यावसायिक मूल्य बढ़ता है। एक मार्गदर्शक कानून की अनुपस्थिति इस नीति को गोपनीयता में राज्य के हस्तक्षेप की वैधता को पूरा करने में सक्षम नहीं होने की ओर ले जाती है, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गोपनीयता निर्णय के अपने ऐतिहासिक अधिकार (केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ मामला 2017 ) में रखा था।
  • पारदर्शिता: ‘ओपन डेटा’ संबंधी परिभाषा को अपनाते समय यह नीति अपने नागरिकों के प्रति सरकार की पारदर्शिता प्रदान करने के उसके मूल सिद्धांत से भटक जाती है।
    • पारदर्शिता के बारे में केवल एक ही बार विवरण दिया गया है और इस तरह के डेटा साझाकरण से जवाबदेही व निवारण की मांगों को सुनिश्चित करने में कैसे मदद मिलेगी, इसका बहुत कम उल्लेख है या कोई उल्लेख नहीं है।
  • विकृत राजस्व उद्देश्य: दूसरा मुद्दा यह है कि नीति संसद को दरकिनार कर देती है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर डेटा साझा करने और संवर्द्धन पर विचार करती है जिसे सार्वजनिक धन से वहन किया जाएगा।
    • इसके अलावा कार्यालयों का गठन, मानकों का निर्धारण जो न केवल केंद्र सरकार पर लागू हो सकते है, बल्कि जिनके लिये राज्य सरकारों और उनके द्वारा प्रशासित योजनाओं पर भी विधायी विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है।
  • संघवाद: नीति भले ही यह दर्शाती है कि राज्य सरकारें "नीति के कुछ हिस्सों को अपनाने के लिये स्वतंत्र" होंगी, यह निर्दिष्ट नहीं करती है कि ऐसी स्वतंत्रता कैसे प्राप्त की जाएगी।
    • यह प्रासंगिक हो जाता है कि डेटा साझा करने या वित्तीय सहायता के लिये एक पूर्व शर्त के रूप में केंद्र सरकार द्वारा विशिष्ट मानक निर्धारित किये जाते हैं।
    • इस पर भी कोई टिप्पणी नहीं की गई है कि क्या राज्यों से एकत्र डेटा को केंद्र सरकार द्वारा बेचा जा सकता है और क्या इससे होने वाली आय को राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
  • प्रमुख अवधारणाओं के लिये परिभाषाओं पर स्पष्टता का अभाव: नीति द्वारा शुरू की गई नई अवधारणाओं को अस्पष्ट तरीके से परिभाषित किया गया है जो उनकी गलत व्याख्या के लिये प्रस्तुत करती है।
    • यह नीति उन 'उच्च-मूल्य वाले डेटासेट' की एक अलग श्रेणी बनाती है जिसे वह शासन और नवाचार के लिये आवश्यक मानती है, की पहुँच में तेज़ी आएगी।
    • हालाँकि इस नीति में कहीं भी श्रेणी को संक्षिप्त रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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