भारतीय अर्थव्यवस्था
ई-कॉमर्स नीति मसौदा
- 25 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने सार्वजनिक टिप्पणियों हेतु राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा जारी किया है।
नीति की आवश्यकता क्यों?
- ई-कॉमर्स के क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण, डेटा गोपनीयता और हितधारकों हेतु समान अवसर उपलब्ध कराने जैसी समस्याएँ पटल पर आती रही हैं। इन्हीं समस्याओं हेतु उचित समाधान प्रस्तुत करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति एक रणनीति तैयार करती है।
- भारत में औसत मासिक डेटा की खपत 2014 में केवल 0.26 जीबी प्रति व्यक्ति थी, जो 2017 के अंत में बढ़कर 4GB हो गई।
- इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ ढेर सारा डेटा भी उत्पन्न होता है। इसलिये गोपनीयता, उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बढ़ गई है।
- इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से घरेलू अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाने के लिये डेटा के प्रवाह को विनियमित करने की आवश्यकता है।
- नियामक वातावरण इसलिये आवश्यक होता है ताकि बाज़ार में वास्तविक प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित की जा सके। गौरतलब है कि वास्तविक प्रतिस्पर्द्धा उद्यमशीलता और नवाचार को प्रोत्साहित करती है।
प्रमुख मुद्दे
डेटा
- व्यक्तिगत अधिकार: किसी भी व्यक्ति के डेटा का उपयोग उसकी सहमति के साथ किया जाना चाहिये।
- डेटा पर भारतीय नियंत्रण: सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध होना चाहिये। डेटा के स्थानीयकरण के लिये नीति इस बात की पैरोकार है कि भारत के भीतर उत्पन्न डेटा को भारत में ही संग्रहीत किया जाना चाहिये।
- विदेश में संग्रहीत ऐसे सभी डेटा तक भारतीय अधिकारियों की पहुँच के अनुरोध का अनुपालन तुरंत किया जाएगा।
ई-कॉमर्स बाज़ार
- नीति में उल्लेख किया गया है कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment-FDI) की अनुमति केवल बाज़ार आधारित मॉडल में है, सूची (Inventory) आधारित मॉडल में नहीं।
- यह दिसंबर में सरकार द्वारा दिये गए ई-कॉमर्स दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
- यह नीति घरेलू निर्माताओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के हितों को भी ध्यान में रखती है, साथ ही ऑनलाइन बाज़ार को उनके लिये बराबरी का क्षेत्र बनाना चाहती है।
- चीनी ई-कॉमर्स निर्यात पर अंकुश लगाने के लिये मुफ्त रास्ते (जहाँ सामान उपहार के रूप में भेजा जाता है) जो कि अक्सर चीनी एप्स द्वारा उपयोग किया जाता है, जीवन रक्षक दवाओं को छोड़कर सभी पार्सलों के लिये वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
- नकली उत्पादों को रोकने के लिये सभी उत्पादों के विक्रेताओं का विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाना चाहिये और विक्रेताओं को उत्पादों की प्रमाणिकता के बारे में एक मंच प्रदान करना चाहिये।
घरेलू डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
- उपभोक्ता संरक्षण जैसे देश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये स्मार्ट उपकरणों और IoT (Internet of things) उपकरणों के लिये घरेलू औद्योगिक मानकों (Domestic Industrial Standards) को बनाने की आवश्यकता है।
- ऑनलाइन कस्टम क्लीयरेंस (Online Custom Clearance) मैन्युअल प्रक्रियाओं की आवश्यकता को समाप्त किये जाने से यह व्यापार करने में सरलता प्रदान करेगा।
- सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया पहल पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने से ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास में सहायता प्राप्त होगी।
निर्यात को बढ़ावा
- ई-कॉमर्स, निर्यात को बढ़ावा देने के लिये 25,000 रुपए से कूरियर शिपमेंट की सीमा बढ़ाते हुए ‘शिशु उद्योग’ का दर्जा प्राप्त कर सकता है।
- निर्यात को बढ़ावा देने के लिये परिवहन की लागत में कमी, कागज़ी कार्रवाई समाप्त करना तथा बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर होने वाली देरी को कम करना आदि हैं।
- ई-कॉमर्स के माध्यम से आयात की ट्रैकिंग में सुधार के लिये सीमा शुल्क, आरबीआई और इंडिया पोस्ट को एकीकृत करना।
स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन