इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म: ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी

  • 10 Aug 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

टेलीमेडिसिन, ई-संजीवनी, ई-संजीवनी ओपीडी

मेन्स के लिये

टेलीमेडिसिन अनुप्रयोग के क्षेत्र, इसकी उपयोगिता और संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ‘ई-संजीवनी’ और ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ प्‍लेटफॉर्मों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए इन टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्मों को लोकप्रिय बनाने में राज्‍यों के योगदान की सराहना की।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन (Telemedicine) सेवा प्‍लेटफॉर्मों (ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी) ने 1,50,000 से अधिक टेली-परामर्शों (Tele-Consultation) को पूरा किया और अपने घरों में रहते हुए ही मरीज़ों को डॉक्‍टरों के साथ परामर्श करने में सक्षम बनाया है।
  • नवंबर, 2019 के बाद बहुत कम समय में ही ‘ई-संजीवनी’ और ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ द्वारा टेली-परामर्श कुल 23 राज्यों (जिसमें देश की 75 प्रतिशत आबादी रहती है) द्वारा लागू किया गया है और अन्य राज्य इसको शुरू करने की प्रक्रिया में हैं।
  • ‘ई-संजीवनी और ‘ई संजीवनी ओपीडी’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से सबसे अधिक परामर्श प्रदान करने वाले शीर्ष राज्यों में तमिलनाडु (32,035 परामर्श) और आंध्रप्रदेश (28,960 परामर्श) आदि शामिल हैं।
  • गौरतलब है कि दोनों प्‍लेटफॉर्मों (ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी) को सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (Centre for Development of Advanced Computing: C-DAC) द्वारा विकसित किया गया है।

  • ई-संजीवनी: 
    • डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेली-परामर्श संबंधी इस प्रणाली का कार्यान्वयन आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWCs) कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। 

    • गौरतलब है कि इसके तहत वर्ष 2022 तक ‘हब एंड स्पोक’ (Hub and Spoke) मॉडल का उपयोग करते हुए देश भर के सभी 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में टेली-परामर्श प्रदान करने की योजना बनाई गई है।

    • इस मॉडल में राज्यों द्वारा पहचाने एवं स्थापित किये गए चिकित्‍सा कॉलेज तथा ज़िला अस्पताल ‘हब’ (Hub) के रूप में कार्य करेंगे और वे देश भर के स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों यानी ‘स्पोक’ (Spoke) को टेली-परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराएंगे।
  • ई-संजीवनी ओपीडी: 
    • इसकी शुरुआत COVID-19 महामारी के दौर में रोगियों को घर बैठे डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से की गई थी, इसके माध्यम से नागरिक बिना अस्पताल जाए व्यक्तिगत रूप से डॉक्टरों से परामर्श कर सकते हैं।
    • सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह एंड्रॉइड मोबाइल एप्लीकेशन के रूप में सभी नागरिकों के लिये उपलब्ध है। वर्तमान में लगभग 2800 प्रशिक्षित डॉक्टर ई-संजीवनी ओपीडी (eSanjeevaniOPD) पर उपलब्ध हैं, और रोज़ाना लगभग 250 डॉक्टर और विशेषज्ञ ई-स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करा रहे हैं।
    • इसके माध्यम से आम लोगों के लिये बिना यात्रा किये स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त करना काफी आसान हो गया है।

टेलीमेडिसिन का अर्थ?

  • टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की एक उभरती हुई शैली है, जो कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को दूरसंचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए कुछ दूरी पर बैठे रोगी की जाँच करने और उसका उपचार करने की अनुमति देता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, टेलीमेडिसिन का अभिप्राय पेशेवर स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का उपयोग करके ऐसे स्थानों पर रोगों की जाँच, उपचार तथा रोकथाम, अनुसंधान और मूल्यांकन आदि की सेवा प्रदान करना है, जहाँ रोगी और डॉक्टर के बीच दूरी एक महत्त्वपूर्ण कारक हो।
  • टेलीमेडिसिन का सबसे शुरुआती प्रयोग एरिज़ोना प्रांत के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने के लिये किया गया।
  • गौरतलब है कि राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने टेलीमेडिसिन के शुरुआती विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं भारत में इसरो ने वर्ष 2001 में टेलीमेडिसिन सुविधा की शुरू पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की थी, जिसने चेन्नई के अपोलो अस्पताल को चित्तूर ज़िले के अरगोंडा गाँव के अपोलो ग्रामीण अस्पताल से जोड़ा था।

आगे की राह

  • विदित हो कि ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी जैसे तकनीक आधारित मंच ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, जिनके पास इस प्रकार की सेवाओं तक आसान पहुँच उपलब्ध नहीं है।
  • टेलीमेडिसिन के उपयोग से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के समय और लागत दोनों में काफी कमी आती है। साथ ही इस प्रकार के प्लेटफॉर्म भारत के ‘डिजिटल इंडिया’ दृष्टिकोण के भी अनुरूप हैं और मौजूदा COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को सही ढंग से संबंधित करने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।
  • ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी को लेकर कई नवीन प्रयास किये हैं, उदाहरण के लिये केरल ने पलक्कड़ ज़िले की जेल में टेलीमेडिसिन सेवाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है, इस प्रकार आवश्यक है कि राज्य द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं का विश्लेषण किया जाए और यदि संभव हो तो उन्हें देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाए।

स्रोत: पी.आई.बी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2