हॉन्कॉन्ग के साथ दोहरे कराधान से बचाव की संधि | 13 Nov 2017
चर्चा में क्यों
- हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान के उन्मूलन और राजकोषीय अपवंचन को रोकने के लिये चीन जनवादी गणराज्य के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हॉन्कॉन्ग की सरकार के बीच करार को अपनी मंज़ूरी प्रदान कर दी है।
क्या होगा प्रभाव?
- यह करार भारत के हॉन्कॉन्ग एसएआर को तथा विलोमत: निवेश, प्रौद्योगिकी तथा कार्मिकों की आवाज़ाही को बढ़ाएगा।
- यह दोनों संविदाकारी पक्षकारों के बीच दोहरे कराधान को रोकेगा और सूचनाओं के आदान-प्रदान का प्रावधान करेगा।
- यह कर मामलों में पारदर्शिता में सुधार तथा कर अपवंचन एवं कर के परिहार को रोकने में सहायता करेगा।
- इससे दोनों पक्षों के बीच कर स्थिरता सुनिश्चित होगी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इससे दोनों देशों के बीच पारदर्शिता के साथ-साथ निवेश, प्रौद्योगिकी एवं सेवाओं का प्रवाह बढ़ेगा।
क्या है दोहरे कराधान से बचाव की संधि?
- दोहरा कराधान का संदर्भ ऐसी स्थिति से है जहाँ एक ही आय एक ही कंपनी या व्यष्टि (करदाता) के हाथों में एक से अधिक देश में कर योग्य हो जाती है।
- दोहरे कराधान से बचाव की संधि दो या अधिक देशों के बीच हस्ताक्षरित एक कर संधि है, जिसका मुख्य उद्देश्य इन देशों में करदाताओं को समान आय पर दो बार कर लगाने से बचाना है।
- यह उन मामलों में लागू होता है जहाँ करदाता का आवास और धनोपार्जन का स्थान दोनों अलग-अलग देशों में हो।
- भारत का 80 से अधिक देशों के साथ दोहरे कराधान से बचाव की संधि है। जिन देशों के साथ भारत के व्यापक दोहरे कराधान से बचाव की संधि है उनमें प्रमुख हैं:
♦ ऑस्ट्रेलिया
♦ कनाडा
♦ जर्मनी
♦ मॉरीशस
♦ सिंगापुर
♦ संयुक्त अरब अमीरात
♦ ब्रिटेन
♦ अमेरिका
हॉन्कॉन्ग से संबंधित मुख्य तथ्य
- हॉन्कॉन्ग चीन में एक स्वायत्त क्षेत्र है। यह दुनिया का चौथा सबसे घनी आबादी वाला देश या क्षेत्र है।
- वन नेशन, टू सिस्टम" के सिद्धांत के तहत हॉन्कॉन्ग चीन से एक अलग राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बनाए रखता है।
- सैन्य रक्षा और विदेशी मामलों को छोड़कर, हॉन्कॉन्ग अपनी स्वतंत्र कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शक्तियाँ रखता है।