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शासन व्यवस्था

डॉटेड लैंड्स

  • 23 May 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डॉटेड लैंड्स, स्वामित्व योजना (SVAMITVA), परिवेश पोर्टल (PARIVESH) भूमि संवाद (Bhumi Samvaad) 

मेन्स के लिये :

भू-स्वामित्व विवादों से संबंधित मुद्दे और डॉटेड लैंड्स की अवधारणा, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने निषिद्ध सूची से "डॉटेड लैंड्स" को निर्गत करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे किसानों को इन विवादित भूमि पर अपने पूर्ण अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति प्राप्त हुई है।

  • इस कदम का उद्देश्य स्वामित्व विवादों का समाधान करना और पात्र किसानों को भू-स्वामित्व के स्पष्ट दस्तावेज़ प्रदान करना है।

डॉटेड लैंड्स क्या है? 

  • परिचय: 
    • डॉटेड लैंड्स ऐसे विवादित भूमि क्षेत्र हैं जिनके कोई स्पष्ट भू-स्वामित्व दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं।
      • आमतौर पर यह ऐसे विवादित भू क्षेत्र जिस पर एक या एक से अधिक व्यक्तियों के साथ-साथ सरकार का राजस्व विभाग भू-स्वामित्व का दावा करता है।
    • इन भूमि क्षेत्रों को "डॉटेड लैंड्स" के रूप में जाना जाने लगा क्योंकि ब्रिटिश काल के दौरान जब भू-स्वामित्व सर्वेक्षण और भूमि अभिलेखों का आकलन किया गया था, तो स्थानीय राजस्व अधिकारियों को सरकारी स्वामित्व और निजी स्वामित्व वाली भूमि की पहचान करने का काम सौंपा गया था। वे इन अस्पष्ट भू स्वामित्व के क्षेत्रों, जिनमें एक से अधिक व्यक्ति स्वामित्व का दावा करते हैं या यदि स्वामित्व स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं किया जा सकता है, को दर्शाने के लिये दस्तावेज़ में स्वामित्व कॉलम में डॉट या बिंदु से इंगित करते थे।
  • स्वामित्व विवाद का कारण: 
    • स्वामित्व विवाद सामान्यतः तब उत्पन्न होते हैं जब भू-स्वामी वसीयत के माध्यम से स्पष्ट विरासत स्थापित करने में विफल होते हैं या जब एक ही भूमि पर कई उत्तराधिकारी दावा करते हैं।
    • कुछ मामलों में सरकार भूमि को राज्य के स्वामित्व के रूप में पहचानती है लेकिन उस पर निजी पार्टियों द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है।
  • डॉटेड लैंड के मुद्दे को हल करने हेतु सरकार की पहल:
    • आंध्र प्रदेश सरकार ने 12 वर्षों से अधिक समय से डॉटेड लैंड पर खेती करने वाले किसानों को भूमि का अधिकार देने के लिये एक विधेयक पेश किया।
      • भूमि रजिस्टरों से बिंदुओं और प्रविष्टियों को हटाने से लगभग 97,000 किसानों को स्पष्ट भूमि स्वामित्व दस्तावेज़ उपलब्ध होंगे। 
    • भू-स्वामी/किसान भूमि का उपयोग ऋण प्राप्त करने के लिये संपार्श्विक के रूप में कर सकते हैं, शहरी क्षेत्रों में, डॉटेड लैंड को अवैध रूप से बेचा गया है और घरों का निर्माण किया गया है, जिस पर कर नहीं लगाया जा सकता है। इसका उपयोग फसल एवं वित्तीय सहायता के लिये आवेदन करने, भूमि बेचने या उन्हें परिवार के सदस्यों को उपहार में देने हेतु कर सकते हैं।
    • आंध्र प्रदेश सरकार की “जगन्नाथ शाश्वत भू हक्कू भू रक्षा योजना” के माध्यम से इस भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा ताकि भविष्य में कोई भी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ न कर सके।
      • इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश सरकार ने पहले चरण में 2,000 गाँवों में किसानों को 7,92,238 स्थायी शीर्षक विलेख प्रदान किये हैं।
  • सरकार की कार्यवाही के पीछे तर्क: 
    • लैंड सीलिंग के मुख्य आयुक्त को डॉटेड लैंड विवादों को हल करने के लिये 1 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए जो समाधान की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।
    • शहरी क्षेत्रों को अवैध बिक्री और डॉटेड लैंड पर निर्माण से संबंधित मुद्दों का सामना करना पड़ा जिसके परिणामरूप सरकार को कर चोरी तथा राजस्व की हानि का सामना करना पड़ा।
    • 2,06,171 एकड़ का पंजीकरण मूल्य 8,000 करोड़ रुपए से अधिक है, जबकि भूमि का मूल्य 20,000 करोड़ रुपए से अधिक है।

भूमि विवादों को कम करने हेतु डिजिटल भूमि अभिलेखों के लिये भारत में क्या पहलें हैं?

  • स्वामित्व: 
    • स्वामित्व पंचायती राज मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जो ड्रोन तकनीक और निरंतर संचालन संदर्भ स्टेशन (CORS) का उपयोग करके ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि पार्सल का मानचित्रण करती है।
    • वर्ष 2020 से 2024 तक चार वर्षों की अवधि में देश भर में चरणबद्ध तरीके से मानचित्रण किया जाएगा।
  • परिवेश पोर्टल: 
    • परिवेश एक वेब-आधारित एप्लीकेशन है जिसे केंद्र, राज्य और ज़िला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव एवं तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) की अनुमति प्राप्त करने के लिये प्रस्तावकों द्वारा प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति तथा निगरानी के लिये विकसित किया गया है।
  • भूमि संवाद: 
    • भूमि संवाद डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला है।
    • यह देश भर में एक उपयुक्त एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (ILIMS) विकसित करने के लिये विभिन्न राज्यों में भूमि अभिलेखों के क्षेत्र में एकरूपता लाने का प्रयास करता है, जिसमें विभिन्न राज्य राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं, जो कि प्रासंगिक और उपयुक्त हों, को भी जोड़ा जा सकता है।
  • राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली:
    • यह मौजूदा मैनुअल पंजीकरण प्रणाली से भूमि की बिक्री-खरीद और हस्तांतरण में सभी लेन-देन के ऑनलाइन पंजीकरण के लिये एक बड़ा बदलाव है।
    • यह राष्ट्रीय एकता हेतु एक बड़ा कदम है और 'वन नेशन वन सॉफ्टवेयर' की दिशा में उठाया गया है।
  • अद्वितीय भूमि पार्सल पहचान संख्या:
    • "भूमि के लिये आधार" के रूप में वर्णित होने के नाते विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या एक ऐसी संख्या है जो भूमि के प्रत्येक सर्वेक्षण पार्सल की विशिष्ट रूप से पहचान करेगी और भूमि धोखाधड़ी को रोकेगी, विशेष रूप से ग्रामीण भारत के भीतरी इलाकों में जहाँ भूमि रिकॉर्ड पुराने हैं और अक्सर विवादित होते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. स्वतंत्र भारत में भूमि सुधारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2019)

(a) हदबंदी कानून पारिवारिक जोत पर केंद्रित थे, न कि व्यक्तिगत जोत पर।
(b) भूमि सुधारों का प्रमुख उद्देश्य सभी भूमिहीनों को कृषि भूमि प्रदान करना था।
(c) इसके परिणामस्वरूप नकदी फसलों की खेती, कृषि का प्रमुख रूप बन गई।
(d) भूमि सुधारों ने हदबंदी सीमाओं को किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं दी।

उत्तर: (b)


प्रश्न. कृषि विकास में भूमि सुधारों की भूमिका की विवेचना कीजिये। भारत में भूमि सुधारों की सफलता के लिये उत्तरदायी कारकों को चिह्नित कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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