भारतीय राजनीति
J&K के अधिवास नियम
- 03 Apr 2020
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प्रीलिम्स के लिये:जम्मू-कश्मीर के अधिवासी मेन्स के लिये:जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) आदेश, 2020 (J&K Reorganisation (Adaptation of State Laws) Order 2020) की धारा 3A के तहत राज्य के अधिवासियों को पुन: परिभाषित किया है।
मुख्य बिंदु:
- अधिसूचना के अनुसार, जो व्यक्ति जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में पंद्रह वर्ष की अवधि से रह रहा है या सात वर्ष तक वहाँ अध्ययन किया है और जम्मू-कश्मीर स्थित शैक्षणिक संस्थान में 10वीं तथा 12वीं कक्षा की परीक्षा में शामिल हुआ हो, नवीन अधिवास की परिभाषा में शामिल होगा।
- इस आदेश के माध्यम से, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर नागरिक सेवाओं (विशेष प्रावधानों) अधिनियम (J&K Civil Services (Special Provisions) Act) को निरस्त कर दिया है।
क्या थे प्रावधान?
- संविधान का अनुच्छेद 35A (अब निरस्त) जम्मू-कश्मीर विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के अधिवासियों को परिभाषित करने का अधिकार देता है तथा ऐसे निवासी ही वहाँ नौकरियों तथा अचल संपत्ति के लिये आवेदन करने के लिए पात्र थे।
नवीन अधिसूचना के लाभार्थी:
- नवीन बदलाव का उद्देश्य अखिल भारतीय सेवा, सार्वजनिक उपक्रमों, केंद्र सरकार के स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकायों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थानों के ऐसे अधिकारी जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में दस वर्ष सेवा प्रदान की है, उनके बच्चों को अधिवास की परिभाषा में शामिल करना हैं।
- इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर के राहत और पुनर्वास आयुक्त (प्रवासियों) (Relief and Rehabilitation Commissioner (Migrants)) के तहत प्रवासी के रूप में पंजीकृत व्यक्तियों को भी नवीन परिभाषा में शामिल किया जाएगा।
- इसमें जम्मू और कश्मीर(J&K) में निवास करने वाले ऐसे लोग जिनके बच्चें रोज़गार, व्यवसाय, अन्य कोई पेशा या आजीविका कारणों से जम्मू और कश्मीर के बाहर रहते हैं लेकिन उनके माता-पिता उपर्युक्त शर्तों को पूरा करते हैं, शामिल होंगे।
प्रमाण-पत्र जारीकर्त्ता अधिकारी:
- अधिनियम के प्रावधान तहसीलदार को अधिवास प्रमाण-पत्र जारी करने के लिये सक्षम प्राधिकारी के रूप में प्राधिकृत करते हैं।
राज्य कानून में संशोधन:
- अब तक पूर्ववर्ती J&K राज्य के 29 कानूनों को निरस्त कर दिया गया है जबकि 109 में संशोधन किया गया है।
निष्कर्ष:
- यह आदेश राज्य से बाहर रह रहे विशिष्ट लोगों को राज्य में नौकरी तथा अचल संपत्ति अधिग्रहण का अधिकार देता है, अत: यह आदेश राज्य को वास्तविक अर्थों में भारत के साथ एकीकृत करने की दिशा में अच्छा प्रयास है।