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जैव विविधता और पर्यावरण

घरेलू खतरनाक अपशिष्ट

  • 18 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

घरेलू खतरनाक अपशिष्ट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016।

मेन्स के लिये:

घरेलू खतरनाक अपशिष्ट और इसका प्रभाव, घरेलू खतरनाक अपशिष्ट के प्रबंधन की आवश्यकता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016

चर्चा में क्यों?

मज़बूत बुनियादी ढाँचे के अभाव में अधिकांश भारतीय शहरों के लिये घरेलू खतरनाक अपशिष्ट का पृथक्करण एक दूर का सपना बना हुआ है।

  • इंदौर देश का एकमात्र शहर है जो अपने घरेलू खतरनाक अपशिष्ट का सुरक्षित प्रबंधन करता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • घरेलू खतरनाक अपशिष्ट ऐसा कोई भी रसायन या उत्पाद है जो गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है या यदि अनुचित तरीके से इसको संग्रहीत, परिवहन या निपटान किया जाता है तो यह पर्यावरण या स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकता है।
    • जब खतरनाक अपशिष्ट को कूड़ेदान में, नाले के नीचे या ज़मीन पर फेंक दिया जाता है तो पानी और मिट्टी दूषित हो सकती है या कचरा संग्रहकर्ता को नुकसान हो सकता है।
    • खतरनाक, ज्वलनशील, ज़हर और संक्षारक लेबल वाले अधिकांश उत्पादों को खतरनाक अपशिष्ट माना जाता है।
    • उदाहरण: ऑटो बैटरी, उर्वरक, बैटरी (गैर-क्षारीय), पेंट।
  • भारत में घरेलू खतरनाक अपशिष्ट:
    • वर्ष 2020 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली और IIT बॉम्बे के शोधकर्त्ताओं द्वारा जहरीले भारी धातुओं व कीटनाशकों जैसे लगातार कार्बनिक संदूषकों का एक महत्त्वपूर्ण स्तर पाया गया है।
      • उन्होंने देश भर में आठ डंप साइटस् से बारीक कणों का विश्लेषण किया है।
  • घरेलू कचरे को नियंत्रित करना:
    • घरेलू कचरा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में उल्लिखित नियमों द्वारा शासित होता है।
    • ये नियम घरेलू कचरे को सूखे और गीले कचरे में विभाजित करते हैं।
      • गीले कचरे को किसी भी कचरे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो स्वयं ही विघटित या खराब हो जाता है।
      • अन्य सभी कचरा नियमानुसार सूखे कचरे में गिना जाता है।
  • मुद्दे:
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:
      • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 इसे "घरेलू स्तर पर उत्पन्न पेंट ड्रम, कीटनाशक के डिब्बे, कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइटबल्ब, ट्यूब लाइट, एक्सपायर्ड दवाएँ, टूटे हुए पारा थर्मामीटर, इस्तेमाल की गई बैटरी, इस्तेमाल की गई सुई और सीरिंज एवं दूषित गेज आदि" के रूप में परिभाषित करता है।
      • यह परिभाषा संपूर्ण नहीं है इसलिये व्यक्तिगत घरों और स्थानीय सरकारी निकायों जैसे कि पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिये छोड़ दिया जाता है।
      • उदाहरण के लिये नियम सिगरेट बट्स को छोड़ देते हैं, भले ही उनमें भारी धातुओं तथा अन्य रसायनों के निशान हों।
    • ज़मीनी स्तर पर नियमों के क्रियान्वयन का अभाव:
      • नियमों के अनुसार, परिवारों को कचरे को गीले, सूखे और घरेलू खतरनाक अपशिष्ट जैसी श्रेणियों में अलग करना चाहिये।
      • स्थानीय सरकारी निकायों को घरेलू खतरनाक अपशिष्ट को एकत्र करना चाहिये और/या प्रति 20 किलोमीटर की दूरी पर एक संग्रह केंद्र स्थापित करना चाहिये ताकि परिवार स्वयं अपशिष्ट को जमा कर सकें।
      • इसके पश्चात् स्थानीय अधिकारियों को एकत्रित कचरे को निपटान सुविधाओं तक सुरक्षित रूप से पहुँचाना चाहिये। ये नियम वर्ष 2018 तक अधिकारियों को आवश्यक बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और लोगों को संवेदनशील बनाने का भी निर्देश देते हैं।
      • लेकिन इनमें से किसी भी नियम को धरातल पर सही ढंग से लागू नहीं किया गया है।
    • पर्याप्त निपटान सुविधाओं की कमी:
      • यदि अपशिष्ट एकत्र कर भी लिया जाता है, तो देश में उनके सुरक्षित निपटान के लिये पर्याप्त निपटान सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
      • एक निपटान सुविधा में आमतौर पर विशिष्ट लैंडफिल मौजूद होते हैं, जो ज़मीन में जहरीले लीचेट के रिसाव को रोकते हैं ।
      • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में जारी ‘भारत में रसायन और खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन व हैंडलिंग पर हैंडबुक’ के अनुसार, वर्तमान में देश में ऐसी केवल 45 सुविधाएँ ही हैं।

आगे की राह

  • खराब प्रदर्शन को देखते हुए भारत खतरनाक अपशिष्ट को ‘एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी’ (EPR) के तहत शामिल करने पर विचार कर सकता है।
    • भारत में वर्तमान में केवल प्लास्टिक उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक एवं विद्युत उपकरणों के लिये ही EPR नीति मौजूद है। कनाडा में घरेलू खतरनाक अपशिष्ट वर्ष 1990 के दशक से EPR के अधीन है।
    • इस नीति ने सरकार और करदाताओं को घरेलू खतरनाक अपशिष्ट संग्रह के उत्तदयित्त्व से राहत दी है।
    • एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (Extended Producer Responsibility-EPR) के तहत मैन्युफैक्चरर्स पर अपने पोस्ट-कंज्यूमर प्रोडक्ट्स को एकत्र करने और संचालित  करने की ज़िम्मेदारी होती है।
    • भारत में वर्तमान में केवल प्लास्टिक उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक एवं  विद्युत उपकरणों के लिये EPR नीति है। कनाडा में, घरेलू खतरनाक अपशिष्ट 1990 के दशक से ईपीआर के अधीन है।
  • अधिकारियों को कचरे का सुरक्षित भंडारण और खतरनाक अपशिष्ट निपटान सुविधा के लिये परिवहन भी सुनिश्चित करना चाहिये।
    • चूंँकि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत नगर निगम के अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि वे तिमाही या समय-समय पर खतरनाक कचरे को इकट्ठा करें और/या ऐसे जमा केंद्र स्थापित करें जहांँ ऐसे अपशिष्ट को पैदा करने वालों द्वारा छोड़ा जा सके। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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