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लोकसभा में पारित हुआ DNA टेक्नोलॉजी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018

  • 10 Jan 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?


8 जनवरी, 2019 को लोकसभा में DNA टेक्नोलॉजी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 [DNA Technology (Use and Application) Regulation Bill] पारित हुआ। इस विधेयक में कुछ लोगों की पहचान स्थापित करने हेतु DNA टेक्नोलॉजी के प्रयोग के रेगुलेशन का प्रावधान है।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ


DNA डेटा का प्रयोग

  • विधेयक के अंतर्गत DNA परीक्षण की अनुमति केवल विधेयक की अनुसूची में उल्लिखित मामलों (जैसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत अपराधों, पेटरनिटी (paternity) से संबंधित मुकदमों या असहाय बच्चों की पहचान) के लिये दी जाएगी।

DNA डेटा के प्रयोग के लिये अनुमति

  • DNA प्रोफाइल तैयार करते समय जाँच अधिकारियों द्वारा किसी व्यक्ति के शारीरिक पदार्थों को इकट्ठा किया जा सकता है।
  • कुछ स्थितियों में इन पदार्थों को इकट्ठा करने के लिये अधिकारियों को उस व्यक्ति की सहमति लेना आवश्यक होगा।

♦ सात साल तक की सज़ा पाने वाले गिरफ्तार व्यक्तियों के DNA परीक्षण के लिये अधिकारियों को उनकी सहमति प्राप्त करनी होगी। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को सात साल से अधिक या फाँसी की सज़ा दी गई है तो अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों के DNA परीक्षण के लिये उनकी सहमति लेना आवश्यक नहीं है।
♦ इसके अतिरिक्त किसी पीड़ित व्यक्ति या लापता व्यक्ति के संबंधी अथवा नाबालिग या विकलांग व्यक्ति के DNA परीक्षण के लिये अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे उस पीड़ित व्यक्ति, उसके संबंधी या नाबालिग या विकलांग व्यक्ति के माता-पिता या अभिभावक की सहमति प्राप्त करें। यदि किसी भी मामले में सहमति नहीं मिलती है तो अधिकारी मेजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं।

DNA डेटा बैंक

  • विधेयक में राष्ट्रीय DNA डेटा बैंक और हर राज्य में या दो या दो से अधिक राज्यों में क्षेत्रीय DNA डेटा बैंक की स्थापना का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय डेटा बैंक DNA प्रयोगशालाओं से मिलने वाले DNA प्रोफाइल्स को स्टोर करेंगे और क्षेत्रीय बैंकों से DNA डेटा प्राप्त करेंगे।
  • प्रत्येक डेटा बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निम्नलिखित श्रेणियों के डेटा का रखरखाव करेगा-

♦ क्राइम सीन इंडेक्स
♦ संदिग्ध व्यक्तियों (सस्पेक्ट) या विचाराधीन कैदियों (अंडरट्रायल्स) के इंडेक्स
♦ अपराधियों के इंडेक्स
♦ लापता व्यक्तियों के इंडेक्स
♦ अज्ञात मृत व्यक्तियों के इंडेक्स

  • सूचना का संरक्षण
  • विधेयक के अंतर्गत DNA नियामक बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि DNA बैंकों, प्रयोगशालाओं और अन्य व्यक्तियों के DNA प्रोफाइल्स से संबंधित सूचनाओं को गोपनीय रखा जाए।
  • DNA डेटा को केवल व्यक्तियों की पहचान के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  • हालांकि विधेयक डेटा बैंक से सूचना हासिल करने के लिये केवल वन टाइम की-बोर्ड सर्च की अनुमति देता है। इस सर्च में इंडेक्स और DNA सैंपल की सूचनाओं के बीच तुलना की अनुमति है लेकिन सैंपल की सूचना इंडेक्स में शामिल नहीं होगी।

DNA डेटा को रखना

  • विधेयक के अनुसार, DNA प्रोफाइल की प्रविष्टि, उसे रखने या हटाने के मानदंडों को विनियामक द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। फिर भी विधेयक में निम्नलिखित व्यक्तियों के DNA डेटा को हटाने का प्रावधान हैं:

♦ संदिग्ध व्यक्ति, अगर पुलिस रिपोर्ट फाइल की गई है या अदालत द्वारा आदेश दिया गया है।
♦ विचाराधीन कैदी, अगर अदालती आदेश दिये गए हैं
4 आग्रह करने पर किसी ऐसे व्यक्ति का प्रोफाइल जो संदिग्ध, अपराधी या विचाराधीन नहीं लेकिन क्राइम सीन के इंडेक्स या लापता व्यक्तियों के इंडेक्स में उसका DNA प्रोफाइल इंटर हो गया है।

  • इसके अतिरिक्त विधेयक यह प्रावधान करता है कि क्राइम सीन इंडेक्स की सूचना को बरकरार रखा जाएगा।

DNA नियामक बोर्ड

  • विधेयक में DNA नियामक बोर्ड (Regulatory Board) की स्थापना का प्रावधान है जो कि DNA डेटा बैंक और DNA प्रयोगशालाओं की निगरानी करेगा।
  • बायोटेक्नोलॉजी विभाग का सेक्रेटरी बोर्ड का पदेन (ex officio) चेयरपर्सन होगा।
  • बोर्ड में 12 अतिरिक्त सदस्य होंगे जिनमें शामिल हैं-

♦ वाइस प्रेसीडेंट के रूप में एक ऐसा प्रख्यात व्यक्ति जिसे बायोलॉजिकल साइंसेज़ में कम-से-कम 25 वर्ष का अनुभव हो।
♦ राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) का डायरेक्टर जनरल।
♦ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) का डायरेक्टर या उनके नॉमिनी (कम से कम ज्वाइंट डायरेक्टर पद स्तर के अधिकारी)।

बोर्ड के कार्य

  • DNA लेबोरेट्रीज़ या डेटा बैंकों की स्थापना से संबंधित सभी विषयों पर सरकारों को सलाह देना
  • DNA लेबोरेट्रीज़ को आधिकारिक मान्यता प्रदान करना
  • DNA संबंधी मामलों पर काम करने हेतु कर्मचारियों के लिये प्रशिक्षण मॉड्यूल और दिशा-निर्देश तैयार करना।

DNA लेबोरेट्रीज़

  • DNA टेस्टिंग करने वाली किसी भी लेबोरेट्री को बोर्ड से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करनी होगी।
  • बोर्ड इस मान्यता को रद्द कर सकता है। जिन कारणों से मान्यता को रद्द किया जा सकता है, उनमें शामिल हैं-

♦ अगर लेबोरेट्री DNA टेस्टिंग करने में असफल होती है
♦ मान्यता से जुड़ी शर्तों को पूरा करने में असफल होती है।

  • मान्यता रद्द होने पर केंद्र सरकार या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य अथॉरिटी के समक्ष अपील की जा सकती है।

DNA लेबोरेट्रीज़ की बाध्यताएँ:

विधेयक के अंतर्गत हर DNA लेबोरेट्री से जिन बातों की अपेक्षा की जाती है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-

  • DNA सैंपल्स के कलेक्शन, स्टोरिंग, टेस्टिंग और विश्लेषण में गुणवत्ता आश्वासन के मानदंडों का पालन करना।
  • डेटा बैंक में DNA सैंपल्स को जमा करना।
  • जारी मामलों के लिये सैंपल जमा करने के बाद लेबोरेट्री से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बायोलॉजिकल सैंपल को जाँच अधिकारी को लौटा दे।
  • दूसरे सभी मामलों में सैंपल को नष्ट कर दिया जाना चाहिये और संबंधित व्यक्ति को इस बारे में सूचना दी जानी चाहिये।

अपराध

विधेयक जिन विभिन्न अपराधों के लिये दंड विनिर्दिष्ट करता है, उनमें शामिल हैं

  • DNA सूचना का खुलासा करना।
  • अनुमति के बिना DNA सैंपल का इस्तेमाल करना।
  • DNA सूचना का खुलासा करने पर तीन वर्ष तक की कैद की सज़ा भुगतनी पड़ सकती है और एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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