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आंतरिक सुरक्षा

अशांत क्षेत्र अधिनियम

  • 26 Feb 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अशांत क्षेत्र अधिनियम

मेन्स के लिये:

आतंरिक सुरक्षा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात सरकार ने राज्य के आनंद ज़िले के खम्भात शहर में सामुदायिक हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए शहर के संवेदनशील हिस्सों को अशांत क्षेत्र अधिनियम (Disturbed Areas Act) के तहत सूचीबद्ध करने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु:

23 फरवरी, 2020 को आनंद ज़िले के अकबरपुर क्षेत्र में भूमि-विवाद के एक मामले में दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा बढ़ गई जिसमें कई लोग घायल हुए।

इसके साथ ही ज़िले के कुछ अन्य हिस्सों में भी हिंसा के मामले दर्ज किये गए ।

क्या है अशांत क्षेत्र अधिनियम-1991?

  • राज्य में सामुदायिक हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के अशांत क्षेत्रों को चिह्नित करने तथा इन क्षेत्रों में तनाव को कम करने के लिये वर्ष 1986 में इस संबंध में एक अध्यादेश जारी किया गया।
  • गुजरात सरकार द्वारा अशांत क्षेत्र अधिनियम को वर्ष 1991 में लागू किया गया था।
  • वर्ष 2010 में इस अधिनियम में कुछ संशोधन किये गए तथा इसका नाम बदल कर ‘अशांत क्षेत्रों में अचल संपत्तियों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और परिसर से बेदखली से किरायेदारों के संरक्षण के लिये प्रावधान अधिनियम’ कर दिया गया।
  • इस अधिनियम के तहत कलेक्टर द्वारा शहर या जिले के किसी भाग को अशांत घोषित किये जाने के बाद संबंधित क्षेत्र में अचल संपत्ति (घर,प्लाट आदि) की बिक्री, अनुबंध, पुनर्निर्माण आदि के लिये दोनों पक्षों को कलेक्टर की विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • अधिनियम में निर्धारित प्रावधानों के तहत किसी अशांत क्षेत्र में अचल संपत्ति की बिक्री की अनुमति के लिये विक्रेता को प्रमाण-पत्र यह लिखकर देना होता है कि वह स्वेच्छा से अपनी संपत्ति बेच रहा है तथा उसे इसके लिये उसे सही मूल्य प्राप्त हुआ है।
  • संपत्ति के हस्तांतरण में अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना करने की स्थिति में आरोपी व्यक्ति पर 6 माह के कारावास के साथ 1000 रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के तहत राज्य के अहमदाबाद, बड़ोदरा, सूरत, हिम्मतनगर, गोधरा आदि शहरों के विभिन्न क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है।

अधिनियम का उद्देश्य:

  • इस अधिनियम का उद्देश्य राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण करना था।
  • इसके साथ ही इस अधिनियम के माध्यम से अचल संपत्ति के हस्तांतरण के दौरान लोगों के शोषण को कम करना था।

अधिनियम की आलोचना:

  • विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने इस अधिनियम को सामाजिक सद्भाव की भावना के विपरीत बताकर इसकी आलोचना की है।
  • इस अधिनियम के माध्यम से सरकार पर अनावश्यक बल प्रयोग के आरोप लगते रहते हैं।
  • संपत्ति के विवादों का निपटारा अन्य कानूनों से भी किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

अशांत क्षेत्र अधिनियम में स्पष्टता की कमी के कारण इस अधिनियम के क्रियान्वयन में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अतःअधिनियम अधिनियम के संदर्भ में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने के लिए अधिनियम उपयुक्त संशोधन किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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