छत्तीसगढ़ पंचायतों में दिव्यांग कोटा | 25 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये
छत्तीसगढ़ पंचायतों में दिव्यांग कोटा
मेन्स के लिये
सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में छत्तीसगढ़ का योगदान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की पंचायतों में दिव्यांगों (Differently Abled) के लिये आरक्षण का प्रावधान करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लिये गए इस निर्णय से प्रत्येक पंचायत में एक स्थान दिव्यांग सदस्य के लिये आरक्षित होगा।
- छत्तीसगढ़ राज्य में दिव्यांगों की संख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 6 प्रतिशत है।
- दिव्यांग सदस्यों का या तो चुनाव होगा या उन्हें नामित किया जाएगा।
- यदि दिव्यांग सदस्य का चयन चुनावी प्रक्रिया द्वारा नहीं होता, तो किसी एक पुरुष या महिला सदस्य को बतौर पंच नामित किया जाएगा।
- ब्लाक तथा ज़िला पंचायतों के लिये ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर राज्य सरकार दो दिव्यांग सदस्यों को नामित करेगी जिसमें एक महिला तथा एक पुरुष शामिल होगा।
- इस निर्णय के क्रियान्वयन के लिये छत्तीसगढ़ सरकार को राज्य पंचायती राज अधिनियम, 1993 (State Panchayati Raj Act, 1993) में संशोधन करना होगा।
निर्णय का महत्त्व:
- इस प्रावधान के लागू होने के बाद राज्य में लगभग 11,000 दिव्यांग सदस्य राज्य की पंचायती व्यवस्था का हिस्सा होंगे।
- इस निर्णय के माध्यम से राज्य के दिव्यांग वर्गों की न सिर्फ सामाजिक तथा राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी बल्कि वे मानसिक रूप से सशक्त होंगे।
- इस व्यवस्था के लागू होने के बाद छत्तीसगढ़, पंचायतों में दिव्यांगों के लिये आरक्षण लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।
दिव्यांगों से संबंधित संवैधानिक तथा कानूनी उपबंध:
- राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों (Directive Principles of State Policy-DPSP) के अंतर्गत अनुच्छेद-41 बेरोज़गार, रोगियों, वृद्धों तथा शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को काम, शिक्षा तथा सार्वजनिक सहायता का अधिकार दिलाने के लिये राज्य को दिशा निर्देश देता है।
- संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची (State List) के विषयों में दिव्यांगों तथा बेरोज़गारों के संबंध में प्रावधान दिये गए हैं।
- दिव्यांग अधिकार कानून, 2016 (Rights of Person with Disability Act, 2016) के तहत दिव्यांगों को सरकारी नौकरियों में 4% तथा उच्च शिक्षा के संस्थाओं में 5% के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
भारत में पंचायती राज व्यवस्था:
- पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्वशासन (Local Self Government) का विकास करना था। इसके लिये सरकार ने वर्ष 1992 में 73वें संविधान संशोधन द्वारा भारत में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत की।
- इसके अंतर्गत सभी राज्यों ने पंचायती राज व्यवस्था के विकास हेतु अधिनियम पारित किये।
- इस व्यवस्था में पंचायतों को तीन स्तर पर बाँटा गया है: ग्राम पंचायत, क्षेत्र या ब्लाक पंचायत तथा ज़िला पंचायत।
- पंचायत के सभी स्तर के प्रतिनिधियों का चुनाव स्थानीय लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है तथा इनका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।
- पंचायतों से संबंधित चुनाव की ज़िम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है।
- पंचायत चुनावों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग, महिला तथा अल्पसंख्यकों के लिये आरक्षण का प्रावधान है।
पंचायती राज के संबंध में संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान का भाग-9 तथा 11वीं अनुसूची पंचायतों से संबंधित है।
- पंचायती राज से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-243 से 243(O) में दिये गए हैं।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों के अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद-40 में स्थानीय स्वशासन की बात कही गई है।
छत्तीसगढ़ से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- स्थापना - 1 नवंबर, 2000
- राजधानी - रायपुर
- ज़िले - 27
- लोकसभा सीटें - 13
- विधानसभा सीटें - 91
- संभाग - 5 (बस्तर, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा)
- जनसंख्या - 2,55,40,196
- लिंगानुपात - 991 (महिला प्रति 1000 पुरुष)
- जनसंख्या घनत्व - 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.
- साक्षरता दर - 71.4%
- अनुसूचित जनजाति - 31.8%
- अनुसूचित जाति - 11.6%
- राजकीय पशु - जंगली भैंसा
- राजकीय पक्षी - पहाड़ी मैना
- राजकीय वृक्ष - साल