भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता डिजिटल लेन-देन | 17 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-2019 में डिजिटल लेन-देन की मात्रा में 58.8 प्रतिशत तथा मूल्य मात्रा में 19.5 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज़ की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह नगद रहित अर्थव्यवस्था (Cashless Economy) की ओर भारत का मज़बूत कदम है। रिपोर्ट के अनुसार, रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2021 तक डिजिटल लेन-देन में 4 गुना वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
मुख्य बिंदु :
- RBI के अनुसार, डिजिटल लेन-देन की मूल्य मात्रा में कुल 19.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई है जो की पिछले वित्तीय वर्ष में 22.2 प्रतिशत थी।
- डिजिटल लेन-देन की इस वृद्धि में एक बड़ा हिस्सा RTGS (82.2 प्रतिशत) का है वहीं RTGS (Real Time Gross Settlement System) तथा अंतरबैंक लेन-देन (Interbank Transactions) के अतिरिक्त अन्य घटकों के कारण डिजिटल लेन-देन में 59.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ हुई है।
- चेक (Cheque) के उपयोग की वर्तमान प्रवृति को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने यह अनुमान लगाया है कि वर्ष 2021 तक चेक आधारित लेन-देन में 2 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।
- इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है की वर्ष 2021 तक एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (Unified Payment Interface - UPI) जैसी भुगतान प्रणालियों में सालाना लगभग 100 प्रतिशत औसत वृद्धि दर होने की संभावना है।
- RBI के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में भुगतान तथा निपटान (Payment and Settlement) प्रणालियों में काफी नवीनीकरण हुआ है, मोबाइल वॉलेट्स (Mobile Wallets) ने सभी के लिये बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता को बहुत आसान कर दिया है, इसके अतिरिक्त बॉयोमीट्रिक प्रमाणीकरण (Biometric Authentication) ने भी बैकिंग सेवाओं को और अधिक सुरक्षित बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के उपयोग ने भी एक नई दिशा प्रदान की है, आज इस क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग काफी व्यापक स्तर पर हो रहा है जिसने इसे ओर भी सुविधाजनक बना दिया है।
- रिपोर्ट में निकट क्षेत्र संचार (Near field Communication - NFC) तकनीक और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (Central Bank Digital Currencies - CBDC) को वित्तीय क्षेत्र के अग्रणी नवाचारों के रूप में परिभाषित किया गया है।
- RBI के अनुसार, UPI से होने वाले भुगतानों की मात्रा मार्च 2019 में अपने शीर्ष स्तर 799.5 मिलियन पर पहुँच गई है जो मार्च 2018 से 4.5 प्रतिशत अधिक है।
- वर्ष 2018-2019 में डेबिट कार्ड की आयतन तथा मूल्य मात्रा में क्रमशः 19.5 और 16.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
- हालाँकि क्रेडिट कार्ड की आयतन तथा मूल्य मात्रा में पिछले वर्ष के मुकाबले कम वृद्धि दर्ज़ की गई है। जहाँ पिछले वर्ष इसकी आयतन मात्रा में कुल 29.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, वहीं इस वित्तीय वर्ष यह सिर्फ 25.4 प्रतिशत ही रही और मूल्य मात्रा में इस वर्ष 31.4 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई जबकि यह बीते वर्ष यह 39.7 प्रतिशत थी।
भारतीय रिज़र्व बैंक :
- भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।
- यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, वर्ष 1949 में RBI के राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
- रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार के भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य :
- मौद्रिक प्रधिकारी
- वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षक
- विदेशी मुद्रा प्रबंधक
- मुद्रा जारीकर्त्ता
- सरकार का बैंकर
- बैंकों के लिये बैंकर
एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) क्या है?
- यह एक ऐसी प्रणाली है जो एक मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से कई बैंक खातों का संचालन, विभिन्न बैंकों की विशेषताओं को समायोजित, निधियों का निर्बाध आवागमन और एक ही छतरी के अंतर्गत व्यापरियों का भुगतान कर सकता है।
- यह "पीयर टू पीयर" अनुरोध को भी पूरा करता है जिसे आवश्यकता और सुविधा के अनुसार निर्धारित कर भुगतान किया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि UPI का पहला संस्करण अप्रैल 2016 में लॉन्च किया गया था।