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डिजिटल कॉपीराइट भुगतान

  • 25 Jan 2021
  • 10 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गूगल ने ऑनलाइन समाचार सामग्री के लिये डिजिटल कॉपीराइट भुगतान (Digital Copyright Payments) हेतु फ्राँसीसी प्रकाशकों के एक समूह के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • समाचार प्रकाशकों के साथ रॉयल्टी के बँटवारे को लेकर ऑस्ट्रेलियाई सरकार और विश्व के बड़े तकनीकी प्लेटफॉर्म्स (गूगल और फेसबुक) के बीच रस्साकशी चल रही है।

प्रमुख बिंदु:

गूगल-फ्रेंच सौदा: 

  • फ्राँस, यूरोपीय संघ के कॉपीराइट नियमों को राष्ट्रीय कानून के रूप में लागू करने वाला पहला देश बना, जिसके चलते नेबरिंग राइट्स लॉ (Neighbouring Rights Law) प्रभाव में आया।
  • नेबरिंग राइट्स (Neighbouring Rights): विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के अनुसार, नेबरिंग राइट्स जनता के लिये काम करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के कानूनी अधिकारों की रक्षा करते हैं। वे व्यक्ति और संस्थाएँ जो लोगों को ऐसी विषय सामग्री उपलब्ध कराने में सहायता करती हैं, कॉपीराइट के तहत काम करने से प्रतिबंधित हैं, इसमें पर्याप्त रचनात्मकता या तकनीकी तथा संगठनात्मक कौशल शामिल है।
    • EU द्वारा अपनाए गए नए दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करते हैं कि मीडिया संस्थानों को उनके मूल कंटेंट (मुख्य रूप से समाचार) जिसे फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी तकनीकी संस्थानों द्वारा प्रसारित किया जाता है, को उचित रायल्टी प्रदान की जाए। 
  • नए कानून के तहत गूगल को प्रकाशकों और समाचार एजेंसियों की मूल सामग्री का पुन: उपयोग करने के बदले उचित भुगतान करने के बारे में उनसे बातचीत के लिये विवश होना पड़ा। 

यूरोपीय संघ कॉपीराइट नियम: 

  • यह एक ऐसा व्यापक ढाँचा स्थापित करने का प्रयास करता है जहाँ कॉपीराइट सामग्री, कॉपीराइट धारक, प्रकाशक, प्रदाता और उपयोगकर्त्ता सभी उन नियमों से लाभान्वित हो सकते हैं, जिन्हें डिजिटल युग के अनुकूल बनाया गया है।
    • यह शिक्षा, अनुसंधान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु कॉपीराइट सामग्री का उपयोग करने का व्यापक अवसर प्रदान करता है।
    • नागरिकों के लिये कॉपीराइट-सुरक्षित सामग्री की बेहतर सीमा पार और ऑनलाइन पहुँच।
    • कॉपीराइट बाज़ार के बेहतर कामकाज के लिये उचित नियम जो उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया का मुद्दा:

  • गूगल ने ऑस्ट्रेलिया से अपने सर्च इंजन को हटाने को कहा है और फेसबुक ने कहा है कि यदि रॉयल्टी भुगतान के प्रस्तावित मानदंडों को लागू किया जाता है तो वह ऑस्ट्रेलियाई उपयोगकर्त्ताओं को अपनी साईट पर समाचार लिंक पोस्ट  या साझा करने से रोक सकता है।
    • रायल्टी भुगतान: रॉयल्टी किसी व्यक्ति को दिया जाने वाला वह कानूनी रूप से बाध्यकारी भुगतान है, जो कि उसके द्वारा बनाई गई ओरिज़नल या मूल संपत्ति (कॉपीराइट , फ्रेंचाइजी, और प्राकृतिक संसाधनों सहित) के उपयोग के लिये दी जाती है।
  • प्रौद्योगिकी कंपनियों का तर्क : 
    • ऑस्ट्रेलियाई मीडिया उद्योग प्रत्येक डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा लाए गए ट्रैफिक द्वारा पहले से ही लाभान्वित हो रहा है।
    • ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित नए नियमों से इन कंपनियों को व्यापक वित्तीय और परिचालन जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। 
    • अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित भारी जुर्माने को एक अतिरिक्त हतोत्साहक कदम के रूप में देखा जा रहा है। 
  • इस मुद्दे पर फ्राँसीसी और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण में मूलभूत अंतर यह है कि ऑस्ट्रेलिया की तरह समझौतों के लिये विवश करने की बजाय फ्राँस ने भुगतान की इस मांग को विशेष रूप से कॉपीराइट से जोड़कर प्रस्तुत किया है।

भारत के लिये महत्त्व: 

  • डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने रचनात्मक सामग्री के उत्पादन, वितरण और इसकी खपत के तरीकों को बदल दिया है।
  • यूरोपीय संघ का नए दिशा-निर्देश और ऑस्ट्रेलिया में कॉपीराइट रॉयल्टी को लेकर चल रही रस्साकशी भारत सहित विश्व भर में कॉपीराइट नियमों को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है ताकि डिजिटल उत्पादकों को भी कॉपीराइट भुगतान में सक्षम बनाने हेतु नीतियों और कानूनों का समन्वयन किया जा सके।
  • FICCI-EY रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में वर्ष 2020 के लिये देश में ऑनलाइन समाचार साइटों, पोर्टलों और एग्रीगेटर्स हेतु कुल उपयोगकर्त्ताओं की संख्या लगभग 300 मिलियन बताई गई है।
    • भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन समाचार की मांग वाला देश है जहाँ इसके उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 282 मिलियन है। 
  • ड्राफ्ट कॉपीराइट (संशोधन नियम), 2019 भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स और उपयोगकर्त्ताओं के हितों को सुरक्षित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 
    • भारत में मौजूदा कॉपीराइट कानून:
      • भारत में कॉपीराइट से जुड़े मामलों को कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और कॉपीराइट नियम, 2013 द्वारा शासित किया जाता है।
      • 'कॉपीराइट नियम, 2013' को अंतिम बार कॉपीराइट संशोधन नियम, 2016 के माध्यम से वर्ष 2016 में  संशोधित किया गया था।

ड्राफ्ट कॉपीराइट (संशोधन नियम), 2019 

  • शामिल एजेंसी: इसे ‘उद्योग संवर्द्धन और आतंरिक व्यापार विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा जारी किया गया था। 
  • उद्देश्य : इस संशोधन को इसलिये लागू किया जा रहा है ताकि कॉपीराइट अधिनियम को अन्य प्रासंगिक विधानों के समतुल्य लाया जा सके और  कॉपीराइट अधिनियम तथा वर्तमान डिजिटल युग में तकनीकी प्रगति के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
  • ड्राफ्ट नियमों में प्रस्ताव:
    • एक अपीलीय बोर्ड का गठन:
      • कॉपीराइट बोर्ड की जगह एक अपीलीय बोर्ड (Appellate Board) का गठन।
      • बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के अनुसार नियुक्त किया जाएगा।
    • शुल्क निर्धारण योजनाएँ:
      • यह उन तरीकों को भी संशोधित करने का प्रस्ताव करता है जिसकी सहायता से कॉपीराइट सोसायटी (Copyright Societies) अपनी टैरिफ योजनाओं (Tariff Schemes) को सुनिश्चित करती हैं।
  • कॉपीराइट सोसायटी: यह एक कानूनी निकाय है जो वाणिज्यिक प्रबंधन के क्षेत्र में रचनात्मक लेखकों को उनके हितों की सुरक्षा का आश्वासन देती है।
  • ये सोसाइटी लाइसेंस जारी करती हैं और टैरिफ स्कीम के अनुसार रॉयल्टी जमा करती हैं।
  • DPIIT ने संशोधनों में प्रस्ताव दिया है कि कॉपीराइट सोसायटी टैरिफ का निर्धारण करते समय “क्रॉस-सेक्शनल टैरिफ तुलना (Cross-Sectional Tariff Comparisons), आर्थिक अनुसंधान, लेखन के उपयोग की प्रकृति और विस्तार, उपयोग संबंधी अधिकारों का व्यावसायिक मूल्य एवं लाइसेंस-धारियों को लाभ" आदि पहलुओं पर विचार कर सकती है।
  • प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, कॉपीराइट सोसायटी द्वारा अपनी वेबसाइट पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिये ‘वार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट’ (The Annual Transparency) का प्रकाशन अनिवार्य किया जाना चाहिये।

आगे की राह

  • सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखना: यह भारत को एक टिकाऊ कानूनी ढाँचे के तहत रचनात्मक सामग्री के ऑनलाइन निर्माण और वितरण के लिये अपनी प्राथमिकताओं को संतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।
  • परिवर्तन के साथ तालमेल: भारत को यह मानना चाहिये कि कॉपीराइट कानूनों को इंटरनेट के उपयोग में होने वाले परिवर्तन और बाज़ार के डिजिटलाइज़ेशन तथा वैश्वीकरण के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये गतिशील होना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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