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कितना सही है वित्त वर्ष में परिवर्तन करने का निर्णय

  • 05 May 2017
  • 4 min read

संदर्भ 
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश सरकार ने अपने वित्त वर्ष में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश सरकार चाहती है कि राज्य के वित्तीय वर्ष को ग्रेगोरियन कैलेंडर(जिसकी शुरुआत 1 जनवरी को होती है तथा अंत 31 दिसम्बर को होता है) के साथ संरेखित किया जाए। विदित हो कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है तथा इसका अंत 31 मार्च को होता है। हालाँकि यह कोई नया विचार नहीं है और स्वतंत्रता से पूर्व अथवा पश्चात भी इस विचार को कई बार संज्ञान में लिया जा चुका था। 

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम हतोत्साहित कर देने वाला है क्योंकि कुछ माह पूर्व ही बजट पेश करते समय भी इस प्रकार की किसी भी योजना का जिक्र सरकार द्वारा नहीं किया गया था। 
  • दरअसल,मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस निर्णय की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वित्त वर्ष में परिवर्तन का सुझाव देने के 10 दिन बाद की गई है।
  • राज्य का अगला बजट दिसम्बर अथवा जनवरी में प्रस्तुत किया जाएगा परन्तु अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य उस धन को किस प्रकार से व्यवस्थित करेगा जिसका आवंटन इसने मार्च 2018 तक के लिये किया है ताकि उसका उपयोग 2017 के दिसम्बर माह तक ही कर लिया जाए। 
  • यह ध्यान देने योग्य है कि वित्तीय वर्ष कोई ऐसी सामान्य वस्तु नहीं है जिसका निर्णय राज्यों द्वारा एकाकी अथवा स्वतंत्र रूप से कर लिया जाए।
  • केंद्र ने वित्त वर्ष में परिवर्तन की वांछनीयता और व्यवहार्यता का पता लगाने के लिये पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य के नेतृत्व में एक समिति को नियुक्त किया था। हालाँकि इस समिति की सिफ़ारिशों को अभी तक सार्वजानिक नहीं किया गया है।
  • इस वर्ष केन्द्रीय बजट को 28 फरवरी के स्थान पर 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वित्त वर्ष के प्रथम दिन से ही मंत्रालयों को धन उपलब्ध हो जाएगा। परन्तु यहाँ प्रश्न यह उठता है कि यदि वित्त वर्ष की शुरुआत जनवरी में होती है तो क्या वर्तमान वित्त वर्ष की समाप्ति 1 नवम्बर को ही हो जानि चाहिये। 
  • हालाँकि, मध्य प्रदेश जैसे राज्य इसकी शुरुआत कर सकते हैं परन्तु आने वाले वर्ष में केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं का स्पष्ट आकलन करने के लिये उन्हें फरवरी तथा केंद्र से धन प्राप्त करने के लिये अप्रैल तक प्रतीक्षा करनी होगी।

निष्कर्ष
राज्यों में विभिन्न वित्त वर्ष होना जबकि केंद्र इस पर कोई कार्यवाही न कर रहा हो चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार इस साल जीएसटी लागू करने जा रही है, ऐसे में अगर वित्त वर्ष में बदलाव किया जाता है तो कंपनियों को अपने स्तर पर कई तरह के बदलाव करने पड़ सकते हैं। इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इस पर काफी समय और शक्ति जाया हो सकती है।

केंद्र को शंकर आचार्य पैनल की रिपोर्ट को अवश्य ही सार्वजानिक करनी चाहिये तथा अपने रोडमैप को भी स्पष्ट करनी चाहिये ताकि राज्य और कर का भुगतान करने वाले नागरिक इसमें सहयोग कर सकें।

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