हाइड्रोजन बम | 06 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम (Hydrogen bomb) का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण ने जहाँ एक ओर समस्त विश्व का ध्यान परमाणु सुरक्षा की ओर खींचा है, वहीं दूसरी ओर हाइड्रोजन बम के निर्माण तथा इसके प्रभाव के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न की है।
प्रमुख बिंदु
- परमाणु बम का प्रयोग सर्वप्रथम द्वितीय विश्वयुद्ध में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर किया गया था।
- इसके अंतर्गत अस्थिर यूरेनियम या प्लूटोनियम (plutonium) परमाणुओं का विखंडन होता है और उनसे सबएटॉमिक न्यूट्रॉन (subatomic neutrons) मुक्त होते हैं| फलस्वरूप एक विनाशकारी विस्फोट होता है।
हाइड्रोजन बम परमाणु बम से भिन्न कैसे है?
- हाइड्रोजन बम को थर्मोन्यूक्लियर बम (thermonuclear bomb) अथवा “एच बम” भी कहा जाता है, इसके अंतर्गत परमाणु विस्फोट की ताकत को बढ़ाने के लिये परमाणु संलयन के द्वितीय चरण का उपयोग किया जाता है।
- हाइड्रोजन बम के अंतर्गत आरंभिक परमाणु विखंडन विस्फोट का उपयोग किया जाता है ताकि एक ज़बरदस्त विस्फोट हो सके।
- इसके अंतर्गत बम के केंद्र में बहुत थोड़ी मात्रा में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को संपीडित करके पिघलाया जाता (गर्म किया जाता है) है यानी एक तरह से हाइड्रोजन का निर्माण किया जाता है।
- इससे न्यूट्रॉन के समूह मुक्त हो जाते हैं तथा यूरेनियम की एक परत इस विस्फोटक श्रृंखला के चारों-ओर एक घेरा बना लेती है, जिससे यूरेनियम विखंडन की अपेक्षा अधिक विनाशकारी विस्फोट उत्पन्न होता है।
हाइड्रोजन बम धारक देश कौन-कौन से है?
- ध्यातव्य है कि वर्ष 1954 में अमेरिका द्वारा पहली बार हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया गया था जोकि वर्ष 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 1000 गुना अधिक विनाशकारी था।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, चीन, फ्रांस तथा रूस द्वारा हाइड्रोजन बम का निर्माण किया गया है।
निष्कर्ष
यह सही है कि उत्तर कोरिया द्वारा किये गए हाइड्रोजन बम के परीक्षण से एक देश के स्तर पर उसके हथियारों के जखीरे में वृद्धि होगी, वहीं अगर इसके वैश्विक निहितार्थों पर गौर करें तो इससे संपूर्ण विश्व की सुरक्षा संदेह के घेरे में आ गई है।