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विकास परियोजनाएँ बाघ अधिवासों के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं

  • 30 Jul 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

भारत में बाघों के अधिवासों के गंभीर खतरे के संबंध में  23 जुलाई को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 399 सड़कें, सिंचाई और रेलवे परियोजनाएँ आठ राज्यों में बाघ आवासों को प्रभावित कर सकती हैं जिसमें मध्य भारत-पूर्वी घाट शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • गैर-लाभकारी वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट, जो कि वन्यजीव और वन संरक्षण पर सरकार के साथ काम करती है, ने 1,697 रैखिक विकास परियोजनाओं की जानकारी के आधार पर 57,071 हेक्टेयर वन भूमि के पथांतरण की आवश्यकता बताई है।
  • मध्य भारत और पूर्वी घाटों में प्रस्तावित इन परियोजनाओं को जुलाई 2014 से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया गया है।
  • इस जानकारी का विश्लेषण करने वाले शोधकर्त्ताओं ने पाया कि इन परियोजनाओं में से 39, जिनकी अनुमानित लागत 1,30,000 करोड़ रुपए है,  महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में बाघ गलियारे से गुज़रेंगी।
  • बाघ आरक्षित क्षेत्र को कम करने वाली सिंचाई परियोजनाओं में मध्य प्रदेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना शामिल है, जबकि सड़क विकास प्रस्तावों में तेलंगाना में एनएच -365 के मल्लंपल्ली हिस्से में नेकरेकल शामिल है।
  • इन परियोजनाओं में से अधिकांश (345) के लिये काम करने वाली एजेंसियों ने वन्यजीव मंजूरी की आवश्यकता से इनकार कर दिया है और इनमें से 80% से अधिक परियोजनाएँ अभी भी मंजूरी के लिये विभिन्न चरणों में हैं|
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सूचीबद्ध कई परियोजनाएँ पूर्ण होने के विभिन्न चरणों में हैं| यह सुनिश्चित करने के लिये कोई निकाय नहीं है कि परियोजनाएँ सांविधिक निकायों द्वारा निर्धारित शर्तों का अनुपालन करती हैं या नहीं|
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