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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट निकोबार द्वीप में विकास परियोजना: त्रुटिपूर्ण EIA

  • 27 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रेट निकोबार द्वीप, पर्यावरण प्रभाव आकलन, गैलाथिया बे, जायंट लेदरबैक, प्रवासी पक्षी, ओंगे जनजाति, शोम्पेन जनजाति, कैंपबेल बे।

मेन्स के लिये:

पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, ग्रेट निकोबार द्वीप में विकास परियोजना और पर्यावरण पर इसका प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

ग्रेट निकोबार द्वीप में मेगा-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिये हाल ही में जारी ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ (EIA) मसौदा रिपोर्ट के तहत गलत या अधूरी जानकारी प्रस्तुत करने, वैज्ञानिक अशुद्धि और उचित प्रक्रिया का पालन न करने से संबंधित गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

  • पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक समिति ने मई 2021 में EIA रिपोर्ट तैयार करने हेतु ‘संदर्भ की शर्तें’ (ToR) जारी की थीं।
  • इससे पहले अंडमान और निकोबार समूह में 680 वर्ग किमी लंबे संवेदनशील ‘लिटिल अंडमान’ द्वीप के सतत् एवं समग्र विकास की एक योजना ने संरक्षणवादियों के बीच चिंता पैदा कर दी थी।

पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)

  • यह एक प्रस्तावित परियोजना या विकास के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है, जिसमें लाभ और प्रतिकूल दोनों तरह के अंतर-संबंधित सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक व मानव-स्वास्थ्य प्रभावों को ध्यान में रखा जाता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 द्वारा वैधानिक रूप से समर्थित है जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) की पद्धति और प्रक्रिया पर विभिन्न प्रावधान शामिल हैं।

EIA

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • नीति आयोग ने ग्रेट निकोबार में 72,000 करोड़ रुपए की एकीकृत परियोजना की शुरुआत की है, जिसमें एक मेगा पोर्ट, एक हवाई अड्डा परिसर, 130 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत शहर, सौर और गैस आधारित बिजली संयंत्र का निर्माण शामिल है।
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम लिमिटेड (ANIIDCO) परियोजना प्रस्तावक है।
      • पारिस्थितिक विज्ञानी और शोधकर्त्ता इस परियोजना के बारे में एक साल से अधिक समय से चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं।
  • EIA रिपोर्ट से संबंधित मुद्दे:
    • गलत या अधूरी जानकारी:
      • द्वीप का क्षेत्रफल एक स्थान पर 1,045 वर्ग किमी. के रूप में वर्णित है, जबकि यह 910 वर्ग किमी. (वर्तमान आधिकारिक आँकड़ा) है।
      • यह बताया गया कि गैलाथिया बंदरगाह (Galathea port) क्षेत्र किसी भी प्रवाल भित्तियों को रिकॉर्ड नहीं करता है, जबकि भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के अध्ययन से पता चलता है कि गैलाथिया खाड़ी (Galathea Bay) में प्रवाल भित्तियाँ 116 हेक्टेयर में फैली हुई है।
        • गैलाथिया की खाड़ी भारत में जायंट लीथेरबैक (Giant Leatherback) के लिये एक प्रतिष्ठित नेस्टिंग साइट है जो तीन दशकों में किये गए सर्वेक्षणों के तहत दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री कछुआ है।
      • द्वीप में जीवों की 330 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जबकि वहीं भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के  अध्ययन के अनुसार इसकी संख्या दोगुना से अधिक यानी 695 है।
      • EIA का कहना है कि ग्रेट निकोबार से दूसरी जगह किसी प्रवासी पक्षी की सूचना नहीं मिली है, जबकि यह सर्वविदित है कि यह द्वीप विश्व स्तर पर दो महत्त्वपूर्ण पक्षी फ्लाईवे का स्थान है, इसके साथ ही ग्रेट निकोबार में प्रवासी पक्षियों की 40 से अधिक प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
    • संस्थागत उदासीनता:
      • EIA रिपोर्ट में परियोजना प्रस्तावक (ANDICO) की पर्यावरण नीति जैसे इसकी मानक संचालन प्रक्रिया, पर्यावरण और वन मानदंडों के उल्लंघन को उज़ागर करने की प्रक्रिया तथा पर्यावरण मंज़ूरी शर्तों (environmental clearance conditions) के अनुपालन को सुनिश्चित करने संबंधी विवरण होने की उम्मीद थी।
      • जनजातीय कल्याण निदेशालय द्वारा नियुक्त उपक्रम एजेंसी ने द्वीपों पर स्वदेशी लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने की प्राथमिकता के साथ कार्य किया।
        • इसके द्वारा पहले यह आश्वासन दिया जाता है कि "आदिवासियों के अधिकारों की अच्छी तरह से रक्षा की जाएगी और उनका ध्यान रखा जाएगा"।
        • फिर यह निष्कर्ष निकलता है कि "जब भी परियोजना के निष्पादन हेतु भूमि के मौजूदा नियमों/नीतियों/कानून से कोई छूट प्रदान करने की आवश्यकता होगी, तो यह निदेशालय सक्षम प्राधिकारी से उस प्रभाव के लिये आवश्यक छूट की मांग करेगा"।
  • पर्यावरणविदों द्वारा उठाए गए मुद्दे:
    • इस परियोजना से द्वीपों पर स्थित कछुए और मेगापोड के घोंसले (megapode nesting) तथा प्रवाल भित्तियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
    • ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व और एक आदिवासी रिज़र्व की भूमि सहित कई आरक्षित क्षेत्रों को परियोजना के लिये गैर-अधिसूचित किये जाने की उम्मीद है।
      • लगभग 81.74% द्वीप राष्ट्रीय उद्यानों, रिज़र्व और जंगलों से आच्छादित है।
    • परियोजना का जैव विविधता और स्वदेशी ओंगे जनजाति पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
      • ओंगे भारत के अंडमान द्वीप समूह की जनजातियों में से एक हैं। 

ग्रेट निकोबार

  • परिचय:
    • ग्रेट निकोबार ‘निकोबार द्वीप समूह’ का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
    • इसमें 1,03,870 हेक्टेयर के अद्वितीय और संकटग्रस्त उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।
    • यह एक बहुत ही समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें एंजियोस्पर्म, फर्न, जिम्नोस्पर्म, ब्रायोफाइट्स की 650 प्रजातियाँ शामिल हैं।
    • जीवों के संदर्भ में बात करें तो यहाँ 1800 से अधिक प्रजातियाँ हैं, जिनमें से कुछ इस क्षेत्र की स्थानिक प्रजातियाँ भी हैं।
  • पारिस्थितिकी विशेषताएँ:
    • ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व, उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वनों, पर्वत शृंखलाओं और समुद्र तल से 642 मीटर (माउंट थ्यूलियर) की ऊँचाई वाले पारिस्थितिक तंत्रों की एक विस्तृत शृंखला है।
  • जनजाति:
    • मंगोलोइड शोम्पेन जनजाति, जिसमें लगभग 200 सदस्य हैं, विशेष रूप से नदियों और नदी धाराओं के किनारे जैवमंडल रिज़र्व के वनों में पाई जाती है।
    • एक अन्य मंगोलोइड जनजाति, निकोबारी में लगभग 300 सदस्य थे और ये पश्चिमी तट के किनारे बस्तियों में निवास करती थी।
      • वर्ष 2004 में आई सुनामी, जिसने पश्चिमी तट पर बनी बस्ती को तबाह कर दिया, के बाद उन्हें उत्तरी तट और कैम्पबेल बे में अफरा खाड़ी में स्थानांतरित कर दिया गया।

Andaman-and-Nicobar-Islands

स्रोत- द हिंदू

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