देवनहल्ली पोमेलो | 27 Apr 2020
प्रीलिम्स के लिये:देवनहल्ली पोमेलो मेन्स के लिये:भौगोलिक संकेतक |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘बंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड’ (Bangalore International Airport Limited- BIAL) ने अपनी ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी’ (Corporate Social Responsibility- CSR) के हिस्से के रूप में 500 देवनहल्ली पोमेलो (Devanahalli Pomelo) के पेड़ लगाने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- अपने अनूठे स्वाद के कारण देवनाहल्ली पोमेलो को ‘भौगोलिक संकेतक’ (Geographical Indication) के रूप में मान्यता प्राप्त है। देवनाहल्ली पोमेलो को लोकप्रिय रूप से ‘चकोटा’ (Chakota) के रूप में भी जाना जाता है।
- नगरीकरण तथा भू-परिदृश्य में बदलाव के कारण ‘देवनहल्ली पोमेलो’ फल उगाने वाले किसानों की संख्या में लगातार कमी आई है।
- देवनहल्ली पोमेलो एक साइट्रस फल (Citrus) की किस्म है, जो लगभग विलुप्त होने के कगार पर है।
साइट्रस (Citrus):
- साइट्रस रूई परिवार (Rue Family) के फूलों वाले वृक्षों और झाड़ियों का एक समूह है।
- इस समूह के पौधे खट्टे फलों का उत्पादन करते हैं, जिसमें संतरे, नींबू, अंगूर, पोमेलो आदि शामिल हैं।
चकोटा की कृषि
- चकोटा की कृषि मुख्यत: कर्नाटक के देवनहल्ली और डोड्डाबल्लापुर क्षेत्रों (कर्नाटक) में की जाती है।
- चकोटा को इन क्षेत्रों में किसान द्वारा खेतों की मेड़ पर या घरों के आसपास उगाया जाता है तथा यह प्रथा वर्षों से चली आ रही है।
- चकोटा फलों को GI टैग मिलने के बाद किसान पौधे उगाने के लिये आगे आ रहे हैं तथा वर्तमान में इन फलों को बागानों में उगाने के लिये सरकार मदद कर रही है।
पोमेला फल की विशेषता:
- पोमेलो को अंगूरों का जनक फल माना जाता है जो विटामिन C से भरपूर होता है।
- पोमेलो का वैज्ञानिक नाम ‘साइट्रस मैक्सिमा’ (Citrus Maxima) है।
- प्रत्येक मौसम में पोमेलो के वृक्ष में लगभग 24 इंच की वृद्धि होती जो 25 फीट की ऊँचाई तक पहुँच सकता है। यह लगभग 50-150 वर्षों तक जीवित रह सकता है।
- प्रत्येक वृक्ष प्रतिवर्ष औसतन 300 से 400 फल देता है, जिसमें प्रत्येक फल आमतौर पर 2 से 2.5 किलोग्राम वजन का होता है।
- पोमेलो के फल गुलाबी या लाल रंग के तथा रसीले होते हैं।