नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रौद्योगिकी

प्रतिबंध के बावजूद नए तरीकों से बढ़ रहे हैं क्रिप्टो-एक्सचेंज

  • 14 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

आरबीआई ने अप्रैल में जारी किये एक सर्कुलर द्वारा भारतीय बैंकों को क्रिप्टो करेंसी विनियमनों (crypto-currency exchanges) को डील करने से प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन कई नए तरीकों के माध्यम से इन विनियमनों में अभी भी बढ़ोतरी हो रही है। यथा- क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों के माध्यम से परिवर्तन या विनियामकीय कार्रवाई से बचने हेतु विदेशों में बेस शिफ्टिंग करना।

प्रमुख बिंदु 

  • एक क्रिप्टो-करेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के फाउंडर के अनुसार, वर्तमान में भारतीय करेंसी से क्रिप्टो करेंसी के बीच ट्रेडिंग पर प्रभावी प्रतिबंध है, लेकिन अभी भी पीयर-टू-पीयर ट्रेडिंग या एक क्रिप्टो करेंसी से दूसरी क्रिप्टो करेंसी में विनियमन किया जा सकता है।
  • आरबीआई ने ‘आभासी मुद्राओं में लेनदेन पर रोकथाम’ (Prohibition on dealing in Virtual Currencies) नामक एक नोटिस के माध्यम से बैंक, ई-वॉलेट और अन्य भुगतान गेटवे प्रदाताओं से देश में आभासी मुद्रा विनियमनों और अन्य ऐसे व्यवसायों, जो आभासी मुद्रा लेनदेनों में शामिल हैं, का समर्थन न करने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुपालन हेतु 3 महीने का समय दिया गया था।
  • उदाहरणस्वरूप, ज़ेबपे और कियोनेक्स क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म हैं। इसी प्रकार यूनोकॉइन ने एक मल्टी-क्रिप्टो परिसंपत्ति एक्सचेंज यूनोडैक्स (UNODAX) लॉन्च किया है।
  • एक अन्य क्रिप्टो-एक्सचेंज बइयूकॉइन (BuyUcoin), जिसे 2016 में लॉन्च किया गया था, एक क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंज और वॉलेट कंपनी है। इसने खुद का बइयूकॉइन टोकन (BUC) लॉन्च किया है। इस कंपनी के सीईओ का कहना है कि इस प्रकार के कुल 100 मिलियन टोकन की आपूर्ति की जाएगी। ध्यातव्य है कि बइयूकॉइन 30 से अधिक क्रिप्टो-करेंसियों के विनियमन की सुविधा प्रदान करती है। इनमें बिटकॉइन, रिप्पल, लाइटकॉइन, इथीरीयम, डैश जैसी क्रिप्टो-करेंसियाँ शामिल हैं।

बेस स्थानांतरण

  • कई कंपनियाँ विनियामकीय कार्रवाई से बचने के लिये विदेशों में अपना बेस स्थानांतरित कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर बइयूनिकॉइन कंपनी को लिया जा सकता है, जो अपना बेस सिंगापुर में स्थानांतरित कर रही है।
  • ऐसी कई अन्य कंपनियाँ हैं, जो इसी तरह अपने बेस स्थानांतरित कर रही हैं।
  • कई क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंजों ने आरबीआई के इस सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। 

क्या होती है क्रिप्टो करेंसी ?

  • क्रिप्टो करेंसी (crypto-currency) एक डिज़िटल या आभासी मुद्रा है, जिसमें सुरक्षा के लिये क्रिप्टोग्राफी तकनीक उपयोग में लाई जाती है। 
  • इसके सुरक्षा वैशिष्ट्य के कारण इसका जाली रूप बनाना मुश्किल है। इसे सामान्यतः किसी केंद्रीय या सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है। अतः सैद्धांतिक रूप से यह सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त है। 
  • सन् 2009 में ‘बिटकॉइन’ के नाम से पहली क्रिप्टो करेंसी बनाई गई थी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow