भारतीय अर्थव्यवस्था
रुपए का अवमूल्यन
- 02 Nov 2020
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प्रिलिम्स के लिये:रुपए का अवमूल्यन मेन्स के लिये:रुपए के मूल्य में डॉलर के मुकाबले गिरावट का प्रमुख कारण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का एक्सचेंज रेट गिरकर 74 के स्तर पर पहुँच गया।
प्रमुख बिंदु:
- अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ एक महीने के सबसे निचले स्तर ( 73.87) पर पहुँच गया है।
- इस अवमूल्यन का प्रमुख कारण निवेशकों द्वारा अमेरिकी डॉलर में निवेश को प्राथमिकता देना है।
- जोखिम से बचने के लिये निवेशक अज्ञात जोखिमों के साथ उच्च रिटर्न की जगह ज्ञात जोखिमों के साथ कम रिटर्न को पसंद करता है।
- COVID-19 मामलों में वृद्धि के कारण अधिकांश देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है, जिससे अमेरिकी डॉलर न केवल रुपए के मुकाबले बल्कि अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले भी मज़बूत हुआ है।
- यूरोप में बढ़ रहे COVID-19 मामलों ने बाज़ारों में इन आशंकाओं को जन्म दिया है कि लॉकडाउन पहले से ही कमज़ोर आर्थिक सुधार को और प्रभावित करेगा।
मुद्रा का अभिमूल्यन और अवमूल्यन
(Appreciation and Depreciation of Currency)
- लचीली विनिमय दर प्रणाली (Floating Exchange Rate System) में बाज़ार की ताकतें (मुद्रा की मांग और आपूर्ति) मुद्रा का मूल्य निर्धारित करती हैं।
- मुद्रा अभिमूल्यन : यह किसी अन्य मुद्रा की तुलना में एक मुद्रा के मूल्य में वृद्धि है।
- सरकार की नीति, ब्याज दरों, व्यापार संतुलन और व्यापार चक्र सहित कई कारणों से मुद्रा के मूल्य में वृद्धि होती है।
- मुद्रा अभिमूल्यन किसी देश की निर्यात गतिविधि को हतोत्साहित करता है क्योंकि विदेशों से वस्तुएँ खरीदना सस्ता हो जाता है, जबकि विदेशी व्यापारियों द्वारा देश की वस्तुएँ खरीदना महँगा हो जाता है।
- मुद्रा अवमूल्यन: यह एक लचीली विनिमय दर प्रणाली में मुद्रा के मूल्य में गिरावट है।
- आर्थिक बुनियादी संरचना, राजनीतिक अस्थिरता, या जोखिम से बचने के कारण मुद्रा अवमूल्यन हो सकता है।
- मुद्रा अवमूल्यन किसी देश की निर्यात गतिविधि को प्रोत्साहित करता है क्योंकि विदेशों से वस्तुएँ खरीदना महँगा हो जाता है, जबकि विदेशी व्यापारियों द्वारा संबंधित देश की वस्तुएँ खरीदना सस्ता हो जाता है।