मनरेगा के तहत काम की मांग में बढ़ोतरी | 03 Apr 2020
प्रीलिम्स के लियेमनरेगा (MNREGA) मेन्स के लियेमनरेगा के तहत काम की मांग में वृद्धि के निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MNREGA) के विषय में जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 5.47 करोड़ परिवारों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में मनरेगा के तहत कार्यों की मांग की, जो कि वित्तीय वर्ष 2010-11 के पश्चात् सबसे अधिक है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में तकरीबन 5.47 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की थी।
प्रमुख बिंदु
- आँकड़ों के अनुसार, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था धीमी होती जा रही है मनरेगा कार्यक्रम के तहत काम की मांग बढ़ती जा रही है। इसीलिये वित्तीय वर्ष 2019-20 में मनरेगा के तहत काम की मांग 9 वर्ष के सबसे उच्चतम स्तर पर आ गई है।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में मनरेगा के तहत कार्य करने वाले लोगों की संख्या भी काफी अधिक है, इस अवधि में तकरीबन 7.86 करोड़ लोग देश भर के विभिन्न स्थलों पर कार्यरत थे। यह वित्तीय वर्ष 2012-13 के बाद सबसे अधिक है।
- अन्य आँकड़ों के अनुसार, शून्य व्यय वाली ग्राम पंचायतों की संख्या में भी गिरावट आई है।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में ऐसी पंचायतों की संख्या 9,144 और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 10,978 थी।
- उल्लेखनीय है कि भारत में कुल 2.63 लाख ग्राम पंचायतें हैं।
- शून्य व्यय वाली पंचायतों की संख्या में हो रही गिरावट से यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिक-से-अधिक पंचायतें बेरोज़गारों को अकुशल कार्य प्रदान करने के लिये मनरेगा के तहत आवंटित धन का उपयोग कर रही हैं।
- मनरेगा के तहत काम की मांग करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि के बावजूद भी इसके तहत मिलने वाली मज़दूरी में कुछ खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है।
- आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति औसत मनरेगा मज़दूरी 182.09 रुपए थी, जो कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 179.13 रुपए था।
- इसी दौरान सामग्री तथा अन्य संबंधित मदों पर आने वाली प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत लागत वित्तीय वर्ष 2018-19 में 247.19 रुपए से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2019-20 में बढ़कर 263.3 रुपए हो गई।
- आँकड़ों से यह भी ज्ञात होता है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 263.73 करोड़ व्यक्ति दिवस (Person Days) उत्पन्न हुए, जो कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 267.96 करोड़ से थोड़ा कम है। हालाँकि मनरेगा को लेकर ये अंतिम आँकड़े नहीं है, सरकार द्वारा अंतिम आँकड़े अप्रैल माह के अंत तक प्रस्तुत किये जाएंगे।
मनरेगा
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA-नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया।
- ग्रामीण भारत को ‘श्रम की गरिमा’ से परिचित कराने वाला मनरेगा रोज़गार की कानूनी स्तर पर गारंटी देने वाला विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रम है।
- मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार, दैनिक बेरोज़गारी भत्ता और परिवहन भत्ता (5 किमी. से अधिक दूरी की दशा में) का प्रावधान किया गया है।
- ध्यातव्य है कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों में मनरेगा के तहत 150 दिनों के रोज़गार का प्रावधान है।
- मनरेगा एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है। वर्तमान में इस कार्यक्रम में पूर्णरूप से शहरों की श्रेणी में आने वाले कुछ ज़िलों को छोड़कर देश के सभी ज़िले शामिल हैं। मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन के निर्धारण का अधिकार केंद्र एवं राज्य सरकारों के पास है। जनवरी 2009 से केंद्र सरकार सभी राज्यों के लिये अधिसूचित की गई मनरेगा मज़दूरी दरों को प्रतिवर्ष संशोधित करती है।