कपास पर आयात शुल्क घटाने की मांग | 01 Dec 2021
प्रिलिम्स के लिये:कपास, आयात शुल्क, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम, भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य मेन्स के लिये:भारत में कपास उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ एवं समाधान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री से कपास पर लगाए गए आयात शुल्क को हटाने हेतु संबंधित मंत्रालयों को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
- कपड़ा उद्योग राज्य में दूसरा सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता है तथा देश के कपड़ा उद्योग में तमिलनाडु की 1/3 हिस्सेदारी है।
प्रमुख बिंदु
- प्रमुख मांगें:
- कपास आयात पर लगने वाले 11% आयात शुल्क को हटाना। साथ ही कपास की खरीद में सूत निर्माताओं को व्यापारियों की तुलना में प्राथमिकता देने की मांग।
- पीक सीज़न (दिसंबर-मार्च) के दौरान कपास खरीद के लिये कताई मिलों को 5% ब्याज सबवेंशन (Interest Subvention) का विस्तार।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों ( Micro, Small and Medium-sized Enterprises- MSMEs) के लिये टिकाऊ कपास की ई-नीलामी के न्यूनतम लॉट आकार को 500 गांँठ तक कम करने का भी आग्रह किया गया है।
- मांग का कारण:
- कपास और धागे की कीमतों में उतार-चढ़ाव की गंभीर स्थिति के कारण कपड़ों की कीमतों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की वजह मांगहै।
- वर्तमान संकट ने निर्यात ऑर्डर्स को बड़े पैमाने पर रद्द कर दिया है जिससे दीर्घकालिक निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
- कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव का एक प्रमुख कारण वर्ष 2021-22 के बजट में 5% मूल सीमा शुल्क (BCD), 5% कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) और 10% समाज कल्याण उपकर लगाया जाना है जो समग्र आयात शुल्क का 11% है।
- कपास और धागे की कीमतों में उतार-चढ़ाव की गंभीर स्थिति के कारण कपड़ों की कीमतों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की वजह मांगहै।
- आयात शुल्क से संबंधित चिंताएंँ
- कच्चे कपास पर आयात शुल्क मूल्यवर्द्धित क्षेत्रों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को नष्ट कर देगा, जिनका निर्यात में लगभग 50,000 करोड़ रुपए और घरेलू बाज़ार में 25,000 करोड़ रुपए का कारोबार है।
- ये क्षेत्र लगभग 12 लाख लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
- कच्चे कपास पर आयात शुल्क मूल्यवर्द्धित क्षेत्रों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को नष्ट कर देगा, जिनका निर्यात में लगभग 50,000 करोड़ रुपए और घरेलू बाज़ार में 25,000 करोड़ रुपए का कारोबार है।
कपास
- परिचय:
- यह खरीफ फसल है, जिसे तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।
- सूखा-प्रतिरोधी फसल के लिये शुष्क जलवायु आदर्श मानी जाती है।
- इस फसल को विश्व की 2.1% कृषि योग्य भूमि पर उगाया जाता है तथा विश्व की 27% वस्त्र आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- तापमान: 21-30 डिग्री सेल्सियस के मध्य।
- वर्षा: लगभग 50-100 सेमी.।
- मिट्टी का प्रकार: बेहतर जल निकासी वाली काली कपासी मिट्टी (रेगुर मिट्टी) (जैसे दक्कन के पठार की मिट्टी) इसके लिये उपयुक्त मानी जाती है।
- उत्पाद: फाइबर, तेल और पशु चारा।
- शीर्ष कपास उत्पादक देश: चीन > भारत > यूएसए
- भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य: गुजरात> महाराष्ट्र> तेलंगाना> आंध्र प्रदेश> राजस्थान।
- कपास की चार कृषिगत प्रजातियाँ: गॉसिपियम अर्बोरियम (Gossypium arboreum), जी.हर्बेसम (G.herbaceum), जी.हिरसुटम (G.hirsutum) व जी.बारबडेंस (G.barbadense)।
- गॉसिपियम आर्बोरियम और जी.हर्बेसम को प्राचीन विश्व का कपास या एशियाई कपास के रूप में जाना जाता है।
- जी.हिरसुटम को अमेरिकी कपास या उच्च्भूमि कपास के रूप में भी जाना जाता है और जी.बारबडेंस को मिस्र के कपास के रूप में जाना जाता है। ये दोनों नए विश्व की कपास प्रजातियाँ हैं।
- संकर/हाइब्रिड कपास: इस प्रकार की कपास विभिन्न आनुवंशिक लक्षणों वाले दो मूल उपभेदों को हाइब्रिड करके बनाई गई है। जब खुले-परागण वाले पौधे अन्य संबंधित किस्मों के साथ स्वाभाविक रूप से पार-परागण करते हैं तो हाइब्रिड अक्सर प्रकृति में अनायास और निरुद्देश्य ढंग से बनाए जाते हैं।
- बीटी कपास: यह एक आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव या कपास की आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट प्रतिरोधी किस्म है।
- भारत में कपास:
- कपास एक महत्त्वपूर्ण फाइबर और नकदी फसल है जो भारत की औद्योगिक और कृषि अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाती है।
- भारत विश्व में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। यह विश्व में कपास का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
- कीट-प्रतिरोधी आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) बीटी कपास संकर फसलों ने वर्ष 2002 में अपनी शुरुआत के बाद से भारतीय बाज़ार (कपास के 95% से अधिक क्षेत्र को कवर) पर कब्जा कर लिया है।
- भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 6 मिलियन टन कपास का उत्पादन करता है जो विश्व के कपास उत्पादन का लगभग 23% है।
- भारत विश्व के कुल जैविक कपास उत्पादन का लगभग 51% उत्पादन करता है।