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कृषि

आनुवंशिक रूप से संशोधित सोया बीजों के आयात की मांग

  • 03 Aug 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जीएम फसलें, बीटी कपास, बीटी बैंगन 

मेन्स के लिये:

जीएम फसलों से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

पोल्ट्री उद्योग (Poultry Industry), केंद्र सरकार से किसानों की कैप्टिव खपत के लिये क्रश्ड जेनेटिकली मॉडिफाइड (Genetically Modified- GM) सोया बीजों के आयात के लिये परमिट की मांग कर रहा है।

  • गैर-राजकोषीय और राजकोषीय राहत उपायों जिसमें सावधि ऋणों का पुनर्गठन और अतिरिक्त कार्यशील पूंजी शामिल है, की भी केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की गई है।

GM-Crops

प्रमुख बिंदु:

जीएम फसलें:

  • एक जीएम या ट्रांसजेनिक फसल ऐसी फसल है जिसमें आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से प्राप्त आनुवंशिक सामग्री का एक नया संयोजन होता है।
    • उदाहरण के लिये किसी जीएम फसल में एक ऐसा जीन हो सकता है जिसे परागण के माध्यम से प्राप्त करने के बजाय  पौधे में कृत्रिम रूप से डाला गया हो।
  • पारंपरिक पौधों के प्रजनन में एक ही जीनस की प्रजातियों का संकरण करना शामिल है ताकि संतान को माता-पिता दोनों के वांछित लक्षण प्रदान किये जा सकें।
    • जीनस वस्तुओं का एक वर्ग है जैसे जानवरों या पौधों का एक समूह जिसमें समान लक्षण, गुण या विशेषताएँ होती हैं।
    • वांछित परिणाम प्राप्त करने में क्रॉस ब्रीडिंग में लंबा समय लग सकता है और प्रायः किसी भी संबंधित प्रजाति में रुचि की विशेषताएँ मौजूद नहीं होती हैं।
  • बीटी कपास (Bt Cotton) एकमात्र जीएम फसल है जिसकी भारत में अनुमति है। इसमें जीवाणु बैसिलस थुरिंजिनेसिस (Bt) के विदेशी जीन होते हैं जो फसल को सामान्य कीट पिंक बॉलवर्म (Pink Bollworm) के लिये एक प्रोटीन विषाक्त विकसित करने की अनुमति देता है।
  • दूसरी ओर हर्बिसाइड टॉलरेंट बीटी (Herbicide Tolerant- Ht Bt) कपास, एक अन्य मृदा के जीवाणु से एक अतिरिक्त जीन के सम्मिलन से प्राप्त होता है, जो पौधे को सामान्य हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट का विरोध करने की अनुमति देता है।
  • बीटी बैंगन ( Bt Brinjal) में एक जीन पौधे को फल और प्ररोह बेधक के हमलों का विरोध करने की अनुमति देता है।
  • डीएमएच-11 सरसों (DMH-11 Mustard) में आनुवंशिक संशोधन एक ऐसी फसल में पर-परागण की अनुमति देता है जो प्रकृति में स्व-परागण करती है।

भारत में GM सोयाबीन की स्थिति:

  • भारत GM सोयाबीन और कैनोला तेल के आयात की अनुमति देता है।
  • भारत में GM सोयाबीन बीजों के आयात को मंज़ूरी नहीं दी गई है।
    • मुख्य डर यह है कि GM सोयाबीन का आयात गैर-GM किस्मों को दूषित करके भारतीय सोयाबीन उद्योग को प्रभावित करेगा।

मांग काकारण:

  • कोविड-19 के प्रकोप ने बड़े पैमाने पर संकट पैदा कर दिया है जिसके कारण चिकन उत्पादों में वायरस और पोल्ट्री उत्पादों के बीच संबंध के बारे में झूठी खबरों के कारण मांग में कमी आई है।
  • इसने एक अनुचित वित्तीय संकट पैदा कर दिया और कार्यशील पूंजी (दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रयुक्त) का क्षरण हुआ।
  • पिछले कई महीनों से नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (National Commodity and Derivatives Exchange Limited- NCDEX) पर सोया अनुबंधों में उच्च सट्टा गतिविधियाँ इस क्षेत्र को चिंतित कर रही हैं।
    • NCDEX एक ऑनलाइन कमोडिटी एक्सचेंज है जो मुख्य रूप से कृषि संबंधी उत्पादों में व्यवहार करता है।
  • सोयाबीन की प्रक्रिया में वृद्धि के कारण खुदरा बाज़ार में अंडे और चिकन उत्पादों की कीमतों में उछाल आया था।
    • विशेष समयसीमा के लिये आयात, कच्चे माल के बाज़ार को स्थिर करेगा।

भारत में जीएम फसलों के लिये अनुमोदन प्रक्रिया:

प्रमुख संबंधित पहल:

  • पोल्ट्री वेंचर कैपिटल फंड (PVCF):
    • पशुपालन और डेयरी विभाग राष्ट्रीय पशुधन मिशन के "उद्यमिता विकास और रोज़गार सृजन" (EDEG) के तहत इसे लागू कर रहा है।
    • यह एक बैंक-आधारित कार्यक्रम है  तथा केंद्र सरकार PVCF हेतु ऋण लेने वाले लाभार्थियों के लिये राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से सब्सिडी प्रदान कर रही है।
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन:
    • राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत विभिन्न कार्यक्रम जिसके अंतर्गत रुरल बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट (RBPD) और इनोवेशन पोल्ट्री प्रोडक्शन प्रोजेक्ट (IPPP) के कार्यान्वयन के लिये राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • पशु रोग नियंत्रण (ASCAD) योजना के लिये राज्यों को सहायता:
    • ASCAD "पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण" (LH&DC) के तहत जो आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण कुक्कुट रोगों जैसे रानीखेत रोग, संक्रामक बर्सल रोग, फाउल पॉक्स आदि के टीकाकरण को कवर करता है, जिसमें एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) जैसी आकस्मिक और विदेशी बीमारियों का नियंत्रण और रोकथाम करना शामिल है।

स्रोत : द हिंदू

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