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जैव विविधता और पर्यावरण

दिल्ली में वायु प्रदूषण

  • 17 Oct 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हर साल सर्दियों की शुरुआत के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिरने लगती है। भारत में हर साल वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 1.5 मिलियन के करीब है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation - WHO) द्वारा संकलित वायु गुणवत्ता डेटा के अनुसार, दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है।

WHO के अनुसार, विश्व भर में क्रोनिक श्वसन रोग और अस्थमा के कारण मरने वालों लोगों का अनुपात भारत में सबसे अधिक है। केवल स्वास्थ्य ही नहीं वायु प्रदूषण के कारण कम दृश्यता, अम्लीय वर्षा और उष्णकटिबंधीय स्तर पर ओजोन के गठन आदि कारकों से पर्यावरण पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के कारण

  • दिल्ली का वायु प्रदूषण एक क्षेत्रीय समस्या है। भारत के नागपुर में स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (IIASA) और नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि दिल्ली में PM 2.5 की समस्या पड़ोसी राज्यों के कारण है। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में धान की फसल की कटाई के बाद खेतों को साफ करने के लिये उनमें आग लगा दी जाती है, जिसके चलते इससे उत्पन्न होने वाला धुआँ दिल्ली की हवा को प्रदूषित कर देता है।
  • पिछले दशक के दौरान प्रदूषण के 15 स्रोतों का अध्ययन किया गया जिनमें से 10 प्रत्यक्ष नमूना पद्धति पर आधारित हैं, जबकि पाँच माध्यमिक आँकड़ों पर आधारित हैं। सभी अध्ययनों में उत्सर्जन के स्रोत समान पाए गए हैं, दिल्ली के प्रदूषण में विभिन्न स्रोतों का योगदान भिन्न-भिन्न पाया गया है। यह मौजूदा अध्ययनों की अविश्वसनीयता के चलते सटीक अनुमान लगाने में कठिनाई को रेखांकित करता है जो कि आंशिक रूप से दिल्ली के जटिल मौसम विज्ञान और उत्सर्जन के स्रोतों की बदलती प्रकृति के कारण है।
  • दिल्ली में बुनियादी ढाँचे की भी कमी है। सार्वजनिक परिवहन के लिये ज़रुरत के हिसाब से बसों की संख्या आधी से भी कम है। निजी ऑटोमोबाइल के उपयोग से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। DPCC, जिसमें शहर में वायु प्रदूषण नियमों के अनुपालन और उन्हें लागू करने का जनादेश है, गंभीर वैज्ञानिक और तकनीकी श्रमबल की कमी से ग्रस्त है (1990 से लगभग तीन-चौथाई क्षमता पर परिचालन)। सार्वजनिक आधारभूत संरचना में यह अंतर खराब वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने की शहर की क्षमता में सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है।
  • इसके अलावा देश की राजधानी में चल रहे निर्माण कार्यों के चलते उड़ने वाले धूल के कण, डीज़ल से चलने वाले वाहन, कोयले तथा कारखानों से निकलने वाला धुआँ, फ्रिज़ और एसी में इस्तेमाल होने वाली गैस, पटाखों फोटो-केमिकल रिएक्शन तथा पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर जानलेवा स्तर तक पहुँच गया है।

प्रदूषण से निपटने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम
पराली जलाने संबंधी

  • सरकार टर्बो हैप्पी सेडर (Turbo Happy Seeder-THS) खरीदने के लिये किसानों को सब्सिडी दे रही है, यह ट्रैक्टर के साथ लगाई जाने वाली एक प्रकार की मशीन होती है जो पेड़ों की ठूँठ को उखाड़ फेंकती है।
  • क्षेत्रीय विचारण को ध्यान में रखे बिना प्रदूषण नियंत्रण की किसी भी नीति के सफल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिये दिल्ली के प्रदूषण को क्षेत्रीय प्रदूषण समस्या के रूप में माना जाना चाहिये और इसके समाधान के लिये अंतर-एजेंसी के प्रयासों को केंद्रीय स्रोत द्वारा नियंत्रित और समन्वयित किये जाने की आवश्यकता है।

ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राजधानी में ख़राब स्थिति की ओर रुख कर रहे वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के लिये आपातकालीन कार्य योजना (emergency action plan) लागू की है। ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan-GRP) नामक इस आपातकालीन योजना के तहत शहर की वायु गुणवत्ता के आधार पर कड़े कदम उठाए जाते हैं।
  • इसके तहत वायु गुणवत्ता खराब होने पर तत्काल सख्त कदम उठाए जाएंगे।
  • इस कार्य योजना के अंतर्गत मध्यम से खराब श्रेणी में वायु गुणवत्ता होने पर कचरा जलाने से रोक दिया जाएगा और ईंट भट्ठे, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के मानक लागू किये जाएंगे।

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक

  • केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत सार्वजनिक सूचना के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (National Air Quality Index - AQI) भी जारी किया। AQI को आठ प्रदूषकों- PM 2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड के लिये विकसित किया गया है।
  • भारत सरकार की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली सफर (System of Air Quality & Weather Forecasting & Research-SAFAR Scale) पर दिल्ली का वायु गुणवत्ता स्तर मापा जाता है, जिस पर 1 से लेकर 500 अंकों तक हवा की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है। शुरुआती 100 अंकों को अच्छा माना जाता है और जैसे-जैसे अंक बढ़ते जाते हैं, हवा की गुणवत्ता खराब होती जाती है।

BS-VI मानक

  • इसके अलावा जहाँ एक ओर देश भर में BS-VI मानकों को लागू करने के लिये अप्रैल 2020 की समय-सीमा तय की गई है, वहीं राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को मद्देनज़र रखते हुए 1 अप्रैल, 2018 से इसे लागू कर दिया गया है।
  • इसके अलावा दिल्ली में अधिभारित और गैर-नियत ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ 'ग्रीन टैक्स' लगाने की भी व्यवस्था की गई है।

2800 प्रमुख उद्योगों में से 920 उद्योगों द्वारा निरंतर (24x7) वायु प्रदूषण निगरानी उपकरणों को स्थापित किया गया है, जबकि अन्य अभी प्रक्रिया में हैं।

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