सामाजिक न्याय
मनरेगा जॉब कार्डों को निरस्त किया जाना
- 30 Nov 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:मनरेगा, मनरेगा योजना, नगर निगम, प्रबंधन सूचना प्रणाली, आधार-आधारित भुगतान प्रणाली, काम करने का कानूनी अधिकार, बेरोज़गारी, ग्राम पंचायत, बेरोज़गारी भत्ता। मुख्य परीक्षा के लिये:गरीबी, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे, मनरेगा और संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के अंतर्गत जॉब कार्डों से श्रमिकों के नाम विलोपित किये जाने की हालिया वृद्धि ने काम के अधिकार और कार्यान्वयन में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं।
- अकेले वर्ष 2022-23 में 5.53 करोड़ से अधिक श्रमिकों को हटा दिया गया, जो वर्ष 2021-22 से 247% की वृद्धि दर्शाता है।
मनरेगा जॉब कार्ड हटाने के लिये मुख्य प्रावधान क्या हैं?
- विलोपन के आधार: मनरेगा अधिनियम, 2005 की अनुसूची II, पैराग्राफ 23 के अनुसार, जॉब कार्ड को केवल विशिष्ट, सुपरिभाषित शर्तों के तहत ही हटाया जा सकता है:
- स्थायी प्रवास: यदि कोई परिवार संबंधित ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो जाता है।
- डुप्लीकेट जॉब कार्ड: यदि कोई जॉब कार्ड डुप्लीकेट पाया जाता है।
- जाली दस्तावेज़: यदि जॉब कार्ड जाली दस्तावेज़ों के आधार पर जारी किया गया हो।
- क्षेत्र का पुनर्वर्गीकरण: यदि किसी ग्राम पंचायत को नगर निगम के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया जाता है, तो उससे संबंधित सभी जॉब कार्ड हटा दिये जाते हैं।
- अन्य वैध कारण: मनरेगा प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) में "डुप्लीकेट आवेदक", "फेक आवेदक" और "काम करने के लिये इच्छुक नहीं" जैसे कारण सूचीबद्ध हैं।
- ABPS की भूमिका: वर्ष 2022-23 के दौरान मनरेगा जॉब कार्ड विलोपन में वृद्धि अनिवार्य आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) के कार्यान्वयन के साथ हुई, जिसके तहत श्रमिकों को अपने आधार नंबर को अपने जॉब कार्ड से जोड़ना आवश्यक हो गया।
- जिन श्रमिकों के आधार कार्ड लिंक नहीं थे या गलत तरीके से लिंक थे, उनके जॉब कार्ड निरस्त कर दिये गए।
- विलोपन की उचित प्रक्रिया: विलोपन के लिये प्रस्तावित श्रमिकों की सुनवाई दो स्वतंत्र व्यक्तियों की उपस्थिति में की जानी चाहिये, हटाने के कारणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जानी चाहिये, कार्यवाही का दस्तावेज़ीकरण किया जाना चाहिये, तथा पारदर्शिता के लिये रिपोर्ट ग्राम सभा या वार्ड सभा के साथ साझा की जानी चाहिये।
नोट: एबीपीएस एक भुगतान प्रणाली है जो सरकारी सब्सिडी और लाभों को लाभार्थियों के आधार से जुड़े बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजने के लिये आधार संख्या का उपयोग करती है।
मनरेगा जॉब कार्डों के निरस्त के क्या परिणाम होंगे?
- कार्य करने के अधिकार का उल्लंघन: "कार्य करने के इच्छुक नहीं होने" के आधार पर जॉब कार्ड से श्रमिकों के नाम हटाना, श्रमिक को कार्य करने के उसके विधिक अधिकार से वंचित करना है।
- जिन श्रमिकों पर "कार्य करने के लिये तैयार नहीं" के रूप में चिह्नित किया गया था, उनमें से कई ने वास्तव में अपने हटाए जाने के वित्तीय वर्ष में काम किया था या काम के लिये अनुरोध किया था।
- असंगत प्रक्रिया: केवल कुछ श्रमिकों के जॉब कार्ड हटाने के लिये प्रयुक्त किया गया आधिकारिक कारण "ग्रामीण शहरी बन जाता है" अधिनियम की इस शर्त का खंडन करता है कि शहरी क्षेत्र में सभी जॉब कार्ड हटा दिए जाने चाहिये।
- नाम हटाने में अक्सर ग्राम सभा की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती, जो अधिनियम का उल्लंघन है तथा कई श्रमिकों को उनकी जानकारी के बिना गलत तरीके से नाम हटा दिए जाते हैं।
- सत्यापन का अभाव: कई श्रमिक गलत तरीके से नाम हटाए जाने के शिकार हुए, जब हटाए जाने के कारणों की वैधता का आकलन करने के लिये किसी सत्यापन या विश्लेषण के बिना ही उनका नाम हटा दिया गया।
- यद्यपि नाम हटाने की प्रक्रिया एमआईएस में दर्ज की जाती है, लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नाम हटाने के कारणों, जिनमें 'कार्य करने के लिये तैयार नहीं होना' का कारण भी शामिल है, का कोई सत्यापन और विश्लेषण नहीं किया है।
- वंचित समुदाय पर प्रभाव: "कार्य करने के लिये तैयार नहीं होने" जैसे कारणों से श्रमिकों को हटाना, विशेष रूप से उच्च ग्रामीण बेरोज़गारी दरों के मद्देनजर, प्रत्यक्ष तौर पर उनके आजीविका के अवसरों को कम करता है।
- डेटा-संचालित चिंताएँ: डेटा से ज्ञात होता है कि विलोपन में वृद्धि एबीपीएस पर बढ़ते फोकस के साथ संरेखित है, जो यह दर्शाता है कि विलोपन वास्तविक कारणों के बजाय अनुपालन प्रोत्साहनों से प्रेरित हो सकता है।
मनरेगा योजना क्या है?
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 को सितंबर 2005 में पारित किया गया ताकि मनरेगा योजना के तहत रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान की जा सके।
- उद्देश्य: अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को प्रति वित्तीय वर्ष 100 दिनों का रोज़गार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा में वृद्धि करता है।
- पात्रता:
- लक्षित समूह: रोज़गार की आवश्यकता वाले सभी ग्रामीण परिवार जो शारीरिक, अकुशल कार्य करने के लिये तैयार हों।
- पंजीकरण: आवेदक अपना आवेदन ग्राम पंचायत को प्रस्तुत करते हैं, जिसके द्वारा परिवारों को पंजीकृत करने के साथ सत्यापन के बाद जॉब कार्ड जारी किया जाता है।
- प्राथमिकता: वेतन चाहने वालों में कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
- रोज़गार की शर्तें: रोज़गार कम से कम 14 दिनों तक लगातार चलना चाहिये तथा प्रति सप्ताह अधिकतम छह कार्यदिवस होने चाहिये।
- रोज़गार प्रावधान:
- रोज़गार समयसीमा: ग्राम पंचायत या ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी को आवेदन के 15 दिनों के अंदर आवेदक के गाँव के 5 किलोमीटर की सीमा में कार्य उपलब्ध कराना होता है।
- 5 किलोमीटर की सीमा के बाहर कार्य प्रदान करने की स्थिति में परिवहन तथा अन्य लागत हेतु 10% अतिरिक्त वेतन का प्रावधान है।
- बेरोज़गारी भत्ता: यदि 15 दिनों के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है जो प्रथम 30 दिनों के लिये मजदूरी दर का एक-चौथाई तथा शेष के लिये कम से कम आधा होता है।
- रोज़गार समयसीमा: ग्राम पंचायत या ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी को आवेदन के 15 दिनों के अंदर आवेदक के गाँव के 5 किलोमीटर की सीमा में कार्य उपलब्ध कराना होता है।
- अनुमेय कार्य:
- जल एवं भूमि विकास: संरक्षण एवं संचयन।
- वनरोपण एवं सूखा निवारण: वृक्षारोपण।
- सिंचाई एवं कृषि अवसंरचना: नहरें, तालाब और सिंचाई।
- ग्रामीण संपर्कता: सड़कें एवं पुलिया।
- स्वच्छता एवं स्वास्थ्य: शौचालय तथा अपशिष्ट प्रबंधन।
- ग्रामीण बुनियादी ढाँचा: सामुदायिक केंद्र एवं भंडारण केंद्र।
- रोज़गार से संबंधित परियोजनाएँ: खाद बनाना, पशुधन आश्रय, मत्स्य पालन।
- प्रतिबंध: ठेकेदारों एवं श्रमिक-विस्थापन मशीनों का उपयोग निषिद्ध है।
- मनरेगा और सतत विकास लक्ष्य:
आगे की राह
- सत्यापन की प्रक्रियाएँ: मनमाने ढंग से नाम हटाने की घटनाओं को कम करने तथा श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि चयन में मनरेगा अधिनियम, 2005 तथा मास्टर सर्कुलर प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।
- लेखापरीक्षा एवं निरीक्षण: निरंतरता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के क्रम में समय-समय पर रिकॉर्ड में हेरफेर एवं जॉब कार्ड के निरस्त होने के कारणों की लेखापरीक्षा करने हेतु स्वतंत्र निकायों या तीसरे पक्ष की एजेंसियों की स्थापना करनी चाहिये।
- शिकायत निवारण: श्रमिकों को शिकायत दर्ज करने और गलत तरीके से हटाए गए नामों के लिये निवारण की मांग करने हेतु एक स्पष्ट और कुशल प्रक्रिया प्रदान करने हेतु प्रणालियों का निर्माण या सुदृढ़ीकरण करना।
- ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना: यह सुनिश्चित करना कि सभी विलोपनों की समीक्षा की जाए और ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किया जाए, जैसा कि मनरेगा अधिनियम, 2005 में अनिवार्य किया गया है।
- MIS को उन्नत करना: जॉब कार्ड को सटीक रूप से ट्रैक करने और रिकॉर्ड करने के लिये MIS को बेहतर निगरानी के लिये वास्तविक समय अधिसूचना एवं सख्त रिपोर्टिंग सुविधाओं के साथ उन्नत बनाना।
- समय पर हस्तक्षेप और सुधारात्मक कार्रवाई के लिये जॉब कार्ड को निरस्त करने की प्रवृत्तियों और अनियमितताओं का पता लगाने के लिये डेटा विश्लेषण का उपयोग करना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: मनरेगा सत्यापन प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाकर मनमाने ढंग से कार्ड को निरस्त करने को रोकने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभ पाने के पात्र हैं? (2011) (A) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवारों के वयस्क सदस्य। उत्तर: (D) मेन्सप्रश्न: "भारत में स्थानीय स्वशासन पद्धति, शासन का प्रभावी साधन साबित नहीं हुई है।" इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए तथा स्थिति में सुधार के लिये अपने विचार प्रस्तुत कीजिये। (2017) प्रश्न: क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसांधनों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं ? (2014) |