शासन व्यवस्था
मनरेगा भुगतान में विलंब
- 25 Jan 2025
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम (APBS), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली (NEFMS), मेन्स के लिये:मनरेगा योजना के तहत विलंबित भुगतान का मुद्दा, मनरेगा योजना से संबंधित चुनौतियाँ, आगे की राह और मनरेगा योजना को मज़बूत करने के समाधान। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
इंडियन जर्नल ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स (आईजेएलई) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना के श्रमिकों को विलंबित मज़दूरी के रूप में 39 करोड़ रुपए बकाया हैं।
- अध्ययन में वर्ष 2021-22 में 31.36 मिलियन वेतन लेनदेन का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) तथा जाति-आधारित वेतन वितरण ने भुगतान की गति में सुधार करने के बजाय देरी का कारण बना है।
मनरेगा भुगतान से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- ABPS की अकुशलता: जनवरी, 2024 में ABPS की अनिवार्यता के बाद केवल 43% मनरेगा श्रमिक ही इसके लिये पात्र थे।
- ABPS के कारण देशभर में हुई अघोषित देरी की क्षतिपूर्ति राशि 400 करोड़ रुपए तक हो सकती है, जो भुगतान को सुव्यवस्थित करने और पारदर्शिता में सुधार लाने के सरकार के दावे के विपरीत है।
- अपर्याप्त निधि: भुगतान में देरी का कारण मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई निधि का अपर्याप्त होना है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में केवल 29% भुगतान ही अनिवार्य 7-दिवसीय अवधि के अंदर संसाधित किये गए।
- बजट आवंटन में कमी: अध्ययन में मनरेगा के लिये वित्तपोषण की कमी पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 में बजट आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 0.41% (जो ग्रामीण रोज़गार की मांग को पूरा करने के लिये आवश्यक स्तर से काफी कम है) था।
- कोविड-महामारी (वर्ष 2020-21) के दौरान यह केवल 0.56% था, जो वित्त वर्ष 2023-24 एवं वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 0.2% रह गया।
- शोधकर्त्ताओं का सुझाव है कि पूर्ण कार्य मांग को पूरा करने के लिये इसका बजट कम से कम 4 गुना (अर्थात सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.2% से 1.5%) अधिक होना चाहिये।
- जाति-आधारित मजदूरी भुगतान और असमानताएँ: वर्ष 2021 में शुरू किये गए जाति-आधारित मजदूरी पृथक्करण (जिसके तहत भुगतान को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं 'अन्य' श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया) के बाद यह देखा गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों की तुलना में 'अन्य' जाति के श्रमिकों के लिये भुगतान में देरी हुई।
- 'अन्य' जाति के केवल 33% भुगतान 7 दिनों के अंदर संसाधित किये गए, जबकि अनुसूचित जनजातियों के लिये यह आँकड़ा 42% तथा अनुसूचित जातियों के लिये 47% था।
मनरेगा अधिनियम क्या है?
- परिचय:
- यह सामाजिक सुरक्षा के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य भारत में ग्रामीण रोज़गार की गारंटी प्रदान करना है।
- इसे वर्ष 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत अधिनियमित किया गया था।
- उद्देश्य: अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक पंजीकृत वयस्क ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत रोज़गार उपलब्ध कराना।
- कवरेज: यह योजना 100% शहरी आबादी वाले ज़िलों को छोड़कर पूरे देश में लागू है।
- मांग-आधारित ढाँचा: मांग के आधार पर रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है; यदि 15 दिनों के भीतर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो श्रमिक बेरोज़गारी भत्ते के हकदार होते हैं, जो पहले 30 दिनों के लिये न्यूनतम पारिश्रमिक का एक-चौथाई और उसके बाद न्यूनतम पारिश्रमिक का आधा होता है।
- विकेंद्रीकृत योजना: इस योजना में आधारिक स्तर पर नियोजन किये जाने पर ज़ोर दिया जाता है, जिसमें कम से कम 50% कार्य ग्रामसभा की सिफारिशों के आधार पर ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित किया जाता है।
- निधि साझाकरण: केंद्र सरकार अकुशल श्रम लागत का 100% और सामग्री लागत का 75% वहन करती है, जबकि राज्य सरकारें सामग्री लागत का 25% योगदान देती हैं, जिससे कार्यान्वयन में सहकारी संघवाद सुनिश्चित होता है।
- पारिश्रमिक भुगतान तंत्र: योजना के अंतर्गत पारिश्रमिक, राज्य-विशिष्ट न्यूनतम पारिश्रमिक दरों पर आधारित होती है और पारदर्शिता के लिये प्रत्यक्ष रूप से श्रमिकों के बैंक या आधार-लिंक्ड खातों में इसका भुगतान किया जाता है।
- विलंबित भुगतान के लिये प्रतिदिन अवैतनिक पारिश्रमिक की 0.05% प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती जाता है, जो उपस्थिति नामावली (Muster Roll) का समापन किये जाने के 16वें दिन से शुरू होता है।
- दुर्घटना प्रतिपूर्ति: कार्यस्थल पर घायल हुए श्रमिक प्रतिपूर्ति के पात्र होते हैं तथा मृत्यु अथवा स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में परिवारों को अनुग्रह (Ex-Gratia) राशि प्रदान की जाती है।
- MGNREGA लाभार्थियों में एक तिहाई महिलाओं का होना आवश्यक है, जिससे पारिश्रमिक और कार्य के अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित हो सके।
MGNREGA पर प्रमुख नवीनतम आँकड़े
- बजट 2024-25:
- मनरेगा आवंटन: मनरेगा बजट वित्त वर्ष 2013-14 में 33,000 करोड़ रुपए था जो वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 86,000 करोड़ रुपए हो गया है।
- पारिश्रमिक दर में वृद्धि: वित्त वर्ष 2024-25 में न्यूनतम औसत पारिश्रमिक दर में 7% की वृद्धि हुई।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24:
- महिला भागीदारी: मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2019-20 में 54.8% थी जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 58.9% हो गई।
- जियोटैगिंग और पारदर्शिता: मनरेगा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से परिसंपत्तियों की जियोटैगिंग के साथ 99.9% भुगतान सटीकता सुनिश्चित करता है।
मनरेगा योजना को प्रभावी बनाने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये?
- पर्याप्त बजट आवंटन: सरकार को समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने, ग्रामीण रोज़गार की बढ़ती मांग को पूरा करने और श्रमिकों की गरिमा और आजीविका की रक्षा करने के लिये मनरेगा के बजट आवंटन में वृद्धि करनी चाहिये।
- डिजिटल प्रणालियों की समीक्षा और सुधार: सरकार को ABPS जैसी डिजिटल प्रणालियों की समीक्षा और सुधार करना चाहिये, तकनीकी बाधाओं को दूर करना चाहिये, बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना चाहिये और विशेष रूप से ग्रामीण श्रमिकों के लिये पहुँच और उपयोगकर्त्ता-मित्रता सुनिश्चित करनी चाहिये।
- जवाबदेही तंत्र को मज़बूत करना: सरकार को देरी के लिये ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये, मनरेगा प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा सुनिश्चित करना चाहिये, और समय पर मजदूरी संवितरण सुनिश्चित करने के लिये रिपोर्टिंग, निगरानी और शिकायत निवारण प्रणालियों में सुधार करना चाहिये।
- भावी सुधार: भावी सुधारों में कुशल, पारदर्शी और न्यायसंगत वेतन वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिये, जाति-आधारित असमानताओं से बचना चाहिये और सभी श्रमिकों के लिये उचित व्यवहार सुनिश्चित करना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के उद्देश्यों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इसकी चुनौतियों का समाधान करने और इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभ पाने के पात्र हैं? (2011) (A) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवारों के वयस्क सदस्य। उत्तर: (D) |