नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ई-बिज़ पोर्टल परियोजना में विलंब

  • 16 Aug 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों ? 
भारत में कहीं भी व्यवसाय आरंभ करने के इच्छुक निवेशकों की सुविधा के लिये एक ऑनलाइन एकल-खिड़की प्रवेश द्वार की शुरुआत 2013 में की गई थी। परंतु कई तकनीकी कारणों से यह अभी तक पूरी तरह से चालू होने के लिये  संघर्ष कर रही है।  

क्या है ई-बिज़ पोर्टल परियोजना ?

  • ई-बिज़ पोर्टल एक एकीकृत सेवा परियोजना है, जो भारत सरकार के राष्ट्रीय ई-अभिशासन योजना के तहत 27 मिशन मोड परियोजनाओं का हिस्सा है। 
  • ई-बिज़ पोर्टल को इंफोसिस टेक्नोलॉजी लिमिटेड द्वारा औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग,  वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के मार्गदर्शन में कार्यान्वित किया जा रहा है। 

इसका उद्देश्य 

  • ई-बिज़ पोर्टल परियोजना का उद्देश्य ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सरकार से व्यापार (जी 2 बी) सेवाओं तक तेज़ी से पहुँच को सक्षम बना कर देश में कारोबार के माहौल को सुधारना है। 
  • यह भारत में व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिये आवश्यक विभिन्न नियामक प्रक्रियाओं में होने वाले  अनावश्यक विलंब को कम करने में सहायक होगा।
  • इसका उद्देश्य पारदर्शी, कुशल और सुविधाजनक इंटरफ़ेस भी विकसित करना है, जिसके माध्यम से सरकार और निवेशक भविष्य में समय पर बातचीत कर सकते हैं।  

समस्या कहाँ है ?

  • ई-बिज़ प्रोजेक्ट के महत्त्वपूर्ण घटकों को प्रस्तुत करने के लिये राज्य सरकारें अब तक पूरे उत्साह से सामने नहीं आई हैं।
  • सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्रौद्योगिकी के अलग-अलग प्लेटफार्मों को चुनने के कारण एक ही सिस्टम पर सभी मंज़ूरियों को एकीकृत करने संबंधी इस योजना में तकनीकी खामियाँ उत्पन्न हुई हैं। 
  • ई-बिज़ पोर्टल के माध्यम से अपनी सेवाओं की पेशकश करने वाले मंत्रालयों और विभागों ने अपने मौजूदा अनुप्रयोगों को नए प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों (जैसे- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ओरेकल पर और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एस.ए.पी. वी.2 ) पर  स्थानांतरित कर दिया है। इससे  ई-बिज़  पोर्टल पर उनकी सेवाओं की उपलब्धता पर असर पड़ा  है। 
  • अतः तकनीकी के स्थानांतरण के मुद्दों को हल करने के लिये अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है| 
  • सरकार के अनुसार विभिन्न विभागों में तकनीकी संसाधनों की सीमित उपलब्धता राष्ट्रीय ई-अभिशासन सेवा वितरण गेटवे के साथ एकीकरण करने में विलंब का कारण बनता है। 
  • डी.आई.पी.पी. ने वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति से कहा है कि ई-बिज़  पोर्टल के साथ अलग-अलग सेवाओं के एकीकरण का परीक्षण करने से भी विलंब हुआ है।

संयुक्त आवेदन फॉर्म

  • निवेशकों के लिये राज्य स्तर पर एक संयुक्त आवेदन फॉर्म (CAF), जो  राज्य सरकार की 14 सेवाओं और परमिटों को एकीकृत करेगा, बनाने के लिये राज्यों के साथ बातचीत प्रारंभ करने के दो वर्ष बाद भी ई-बिज़  पोर्टल के इस प्रमुख घटक में दिल्ली के अलावा और किसी राज्य ने रुचि नहीं दिखाई है।  
  • वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2015 के बाद से आधिकारिक स्तर की चर्चा के बाद, गत फरवरी में राज्य के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया था कि वे ई-बिज़  की राज्य स्तर की सेवाओं को सामने कर दें। 
  • परंतु राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली की सरकारों से राज्य सी.ए.एफ. पर नहीं, बल्कि सिर्फ ई-बिज़ पोर्टल के साथ राज्य सेवाओं को एकीकृत करने के लिये सहमति मिली थी।  
  • पिछले वर्ष अक्टूबर में सभी राज्य सरकारों को राज्य सी.ए.एफ. प्रदर्शित किया गया था, लेकिन केवल दिल्ली सरकार ने ही अभी तक इसके लिये सहमति दी है। राज्य सी.ए.एफ. का हिस्सा रही सात सेवाओं को ई-बिज़  पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। 
  • उल्लेखनीय है कि संसद की स्थायी समिति ने हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे पायलट राज्यों द्वारा सी.ए.एफ. की पहल को मंजूरी नहीं दिये जाने पर प्रश्न उठाया है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow