डीप सी माइनिंग | 29 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:डीप-सी माइनिंग, इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS), यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (UNCLOS), डीप ओशन मिशन, ऑफशोर ओशन थर्मल एनर्जी कंवेर्ज़न (OTEC)। मेन्स के लिये:डीप सी माइनिंग और इसके निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने उन भारतीय वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रदान किया, जिन्होंने मध्य हिंद महासागर में गहरे समुद्र में खनन प्रणाली का दुनिया का पहला लोकोमोटिव परीक्षण किया था।
- मंत्री ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 16वें स्थापना दिवस पर यह पुरस्कार प्रदान किया।
- इसके अलावा हिंद महासागर के लिये अपनी तरह का पहला और पूरी तरह से अत्याधुनिक स्वचालित बोया-आधारित तटीय अवलोकन एवं पानी की गुणवत्ता वाली नाउकास्टिंग प्रणाली का उद्घाटन किया, जिसे इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS) द्वारा विकसित किया गया था, भारत के डीप ओशन मिशन का हिस्सा है।
नाउकास्टिंग प्रणाली (Nowcasting System):
इस पद्धति में स्थानीय वायुमंडलीय स्थितियों के रडार और उपग्रह अवलोकनों को संसाधित किया जाता है तथा कंप्यूटर द्वारा कई घंटे पहले मौसम को प्रोजेक्ट करने के लिये तेज़ी से प्रदर्शित किया जाता है। नाउकास्टिंग प्रणाली तटीय निवासियों, मछुआरों, समुद्री उद्योग, शोधकर्त्ताओं , प्रदूषण, पर्यटन, मत्स्य पालन और तटीय पर्यावरण से निपटने वाली एजेंसियों सहित विभिन्न हितधारकों को लाभ पहुँचाने के लिये है।
डीप सी माइनिंग:
- परिचय:
- समुद्र का वह भाग जो 200 मीटर की गहराई से नीचे स्थित है, उसे गहरे समुद्र के रूप में परिभाषित किया गया है और इस क्षेत्र से खनिज निकालने की प्रक्रिया को डीप सी माइनिंग के रूप में जाना जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण के अनुसार, गहरे समुद्र में खनिज संसाधनों से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी के लिये संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत एक एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल, वह क्षेत्र जो राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमा से परे है और दुनिया के महासागरों के कुल क्षेत्रफल का लगभग 50% का प्रतिनिधित्व करता है।
- चुनौतियाँ:
- यह समुद्री जैवविविधता और पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकता है,
- मशीनों द्वारा समुद्र तल की खुदाई और मापन गहरे समुद्र के आवासों को बदल या नष्ट कर सकता है।
- इससे प्रजातियों का नुकसान होता है (जिनमें से कई प्रजातियाँ कहीं और नहीं पाए जाते हैं) और पारिस्थितिकी तंत्र संरचना एवं कार्य का विखंडन या नुकसान होता है।
- यह समुंदर के तल पर महीन तलछट को उभारेगा, जिससे निलंबित कणों के ढेर बन जाएंगे।
- यह सतह पर अपशिष्ट जल का निर्वहन करने वाले खनन जहाज़ों द्वारा बढ़ा दिया गया है।
- व्हेल, टूना और शार्क जैसी प्रजातियाँ खनन उपकरण और सतह के जहाज़ों के कारण होने वाले शोर, कंपन तथा प्रकाश प्रदूषण के साथ-साथ ईंधन एवं ज़हरीले उत्पादों के संभावित रिसाव और फैलाव से प्रभावित हो सकती हैं।चुनौतियाँ:
भारत का डीप ओशन मिशन:
- डीप ओशन मिशन खोज करने के लिये आवश्यक तकनीकों को विकसित करने और फिर गहरे समुद्र में खनिजों को निकालने का प्रयास करता है।
- यह मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित करेगा जो वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जा सकती है।
- इसमें एकीकृत खनन प्रणाली शामिल है जिसे गहरे समुद्र से खनिज अयस्कों को निकालने के लिये विकसित किया जाएगा।
- यह गहरे समुद्र में जैवविविधता की खोज और संरक्षण के लिये "गहरे समुद्र के वनस्पतियों और जीवों के जैव-पूर्वेक्षण एवं गहरे समुद्र में जैव-संसाधनों के सतत् उपयोग पर अध्ययन" के माध्यम से तकनीकी नवाचारों को आगे बढ़ाएगा।
- मिशन "अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संचालित विलवणीकरण संयंत्रों के लिये अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिज़ाइन के माध्यम से समुद्र से ऊर्जा व मीठे जल प्राप्त करने की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश करेगा।
नीली अर्थव्यवस्था/ब्लू इकॉनमी से संबंधित अन्य पहलें:
- सतत् विकास के लिये नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स:
- सागरमाला परियोजना
- ओ-स्मार्ट
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन
- राष्ट्रीय मत्स्य नीति
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: 'इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
मुख्य परीक्षा:प्रश्न. महासागरों के विभिन्न संसाधनों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये जिनका उपयोग विश्व में संसाधन संकट के समाधान के लिये किया जा सकता है। (2014) |