गहरे समुद्र में खनन और इसके खतरे | 21 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:गहरे समुद्र में खनन, UNCLOS, समुद्री विज्ञान पर फ्रंटियर्स रिपोर्ट, गहरे समुद्री मिशन मेन्स के लिये:गहरे समुद्र में खनन और इसके प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही के एक अध्ययन ने सुझाव दिया है कि वाणिज्यिक पैमाने पर गहरे समुद्र तल पर खनन कार्य महासागरों और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे- ब्लू व्हेल और कई डॉल्फिन प्रजातियों को नुकसान पहुँचा सकता है।
- यह मूल्यांकन इन प्रजातियों की रक्षा के लिये निरंतर संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है।
गहरे समुद्र में खनन:
- परिचय:
- गहरे समुद्र में खनन से तात्पर्य 200 मीटर से नीचे गहरे समुद्र तल से खनिज निकालने की प्रक्रिया से है, जो कुल समुद्री तल के दो-तिहाई हिस्से को कवर करता है।
- गहरे समुद्र में खनिज संसाधनों से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी के लिये सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के तहत एक एजेंसी इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सीबेड वह क्षेत्र है जो राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमा से बाहर है और विश्व के महासागरों के कुल क्षेत्र का लगभग 50% प्रतिनिधित्त्व करता है।
- ISA ने गहरे समुद्र में खनिज भंडार का पता लगाने के लिये 32 अनुबंध किये हैं। खनिज अन्वेषण का पता लगाने हेतु 1.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल को अलग रखा गया है।
- शासन:
- ISA को UNCLOS द्वारा 2 वर्षों के भीतर गहरे समुद्र में खनन की रूपरेखा को नियंत्रित करने वाले नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं सहित शासन के बुनियादी ढाँचे को स्थापित करने की आवश्यकता है।
- विफलता के मामले में ISA को कम-से-कम दो वर्ष के अंत तक खनन प्रस्ताव का मूल्यांकन करना चाहिये।.
- 11वाँ वार्षिक डीप सी माइनिंग समिट 2023 लंदन, यूनाइटेड किंगडम में आयोजित किया जाना है। एजेंडे में "आर्थिक परिदृश्य और गहरे समुद्र में खनन के लिये विकास एवं व्यावसायीकरण से जुड़े तकनीकी विकास" शामिल हैं।
बढ़ती रुचि का कारण:
- स्थलीय निक्षेपों का क्षरण: तांबा, निकल, एल्युमीनियम, मैंगनीज़, जस्ता, लिथियम और कोबाल्ट जैसी धातुओं के घटते भंडार के कारण गहरे समुद्र के निक्षेपों की ओर ध्यान केंद्रित हुआ।
- खनिज संसाधन गहरे प्रशांत और हिंद महासागर सहित विभिन्न गहरे महासागरीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स से निकाले जाते हैं।
- नोड्यूल लगभग आलू के आकार के होते हैं और क्लैरियन-क्लिपर्टन ज़ोन (CCZ) में वितलीय मैदानों में तलछट की सतह पर पाए जाते हैं, जो मध्य प्रशांत महासागर में 4,000 - 5,500 मीटर की गहराई पर 5,000 किलोमीटर (3,100 मील) तक फैला क्षेत्र है।
- बढ़ती मांग: स्मार्टफोन, पवन टर्बाइन, सौर पैनल और बैटरी का उत्पादन करने के लिये इन धातुओं की मांग भी बढ़ रही है।
सेटेशियन (Cetaceans):
- सेटेशियन विशेष रूप से जलीय स्तनधारी (व्हेल, डॉल्फिन, पोर्पोइज़ आदि सहित) हैं जो सेटेसिया क्रम का गठन करते हैं। वे दुनिया भर में महासागरों में और कुछ मीठे पानी के वातावरण में पाए जाते हैं।
- इनका शरीर संकुचित/पतला होता है, कोई बाह्य पश्चपाद नहीं होता है तथा पूँछ दो भागों या क्षैतिज ब्लेड के तिकोना नुकीले भाग के रूप में समाप्त होती है।
- अपने सिर के ऊपर स्थित ब्लोहोल्स के माध्यम से साँस लेने के लिये सेटेशियन को जल की सतह पर आना पड़ता है।
खतरा:
- वाणिज्यिक पैमाने पर खनन दिन में 24 घंटे संचालित रहने की संभावना है, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
- यह उन आवृत्तियों के साथ ओवरलैप कर सकता है जिन पर सेटेशियन संचार करते हैं, जो समुद्री स्तनधारियों में श्रवण प्रच्छादन और व्यवहार परिवर्तन का कारण बन सकता है।
- खनन वाहनों द्वारा उत्पन्न तलछट का निपटान आसपास के क्षेत्र में समुद्र के तल में प्रजातियों (बेथेंटिक प्रजाति) को क्षति पहुँचा सकता है/मार सकता है।
- प्रसंस्करण वाहिकाओं से निकलने वाले तलछट भी जल के स्तंभ में मैलापन बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा दृष्टि से दूर प्रभाव काफी हद तक अनिश्चित हो सकते हैं।
भारत का डीप ओशन मिशन:
- डीप ओशन मिशन गहरे समुद्र तल में खनिजों की खोज और निष्कर्षण के लिये आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करना चाहता है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) इस बहु-संस्थागत महत्त्वाकांक्षी मिशन को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।
- यह एक मानवयुक्त पनडुब्बी (मत्स्य 6000) विकसित करेगा जो वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक तीन लोगों को ले जा सकती है।
- यह "गहरे समुद्र की वनस्पतियों और जीवों के जैव-पूर्वेक्षण एवं गहरे समुद्र के जैव-संसाधनों के सतत् उपयोग पर अध्ययन" के माध्यम से गहरे समुद्र की जैवविविधता की खोज तथा संरक्षण हेतु तकनीकी नवाचारों को आगे बढ़ाएगा।
- मिशन अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (Offshore Ocean Thermal Energy Conversion- OTEC) संचालित अलवणीकरण संयंत्रों के अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिज़ाइन के माध्यम से समुद्र से ऊर्जा एवं मीठे जल प्राप्त करने की संभावनाओं का पता लगाने का प्रयास करेगा।
अन्य ब्लू इकॉनमी पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन- IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
अतः विकल्प D सही है। प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्सप्रश्न. विश्व में संसाधन संकट से निपटने के लिये महासागरों के विभिन्न संसाधनों, जिनका उपयोग किया जा सकता, का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। |