लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

गहरे समुद्र में मत्स्य संरक्षण

  • 17 Feb 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पर्स सीन फिशिंग, विशेष आर्थिक क्षेत्र, यूएनसीएलओएस, कुल स्वीकार्य फिशिंग

मेन्स के लिये:

पर्स सीन फिशिंग तकनीक और संबंधित चिंताएँ, समुद्री पशु संसाधनों हेतु संरक्षण प्रयास

चर्चा में क्यों? 

सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने तमिलनाडु के मछुआरों को कुछ प्रतिबंधों के साथ प्रादेशिक जल क्षेत्र (12 समुद्री मील) से परे और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) (200 समुद्री मील) के भीतर मछली पकड़ने के लिये पर्स सीन फिशिंग तकनीक का उपयोग करने की अनुमति दी है। 

  • यह निर्णय फरवरी 2022 में तमिलनाडु सरकार द्वारा पर्स सीन फिशिंग पर प्रतिबंध लगाने की पृष्ठभूमि में आया है। 
  • सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार द्वारा लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को रद्द करते हुए दो दिनों- सोमवार और गुरुवार को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक मछली पकड़ने के लिये पर्स सीनर को प्रतिबंधित किया है। 

चिंताएँ:

  • अपर्याप्त संरक्षण प्रयास:
    • न्यायालय का आदेश सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के तहत संरक्षण उपायों और दायित्त्वों की तुलना में प्रशासनिक तथा पारदर्शिता उपायों के साथ मछली पकड़ने को विनियमित करने के बारे में अधिक चिंतित है।
    • UNCLOS के तहत तटीय राज्यों को यह सुनिश्चित करने का संप्रभु अधिकार है कि EEZ के जीवित और निर्जीव संसाधनों का उपयोग संरक्षित एवं प्रबंधित हो तथा इनका अतिदोहन न हो। 
    • अतिदोहन को रोकने के लिये तटीय राज्यों को EEZ में कुल स्वीकार्य फिशिंग (TAC) का निर्धारण करना चाहिये।
    • मछली पकड़ने के तरीकों को विनियमित किये बिना दो दिनों के लिये मछली पकड़ने हेतु पर्स सीनर को प्रतिबंधित करना पर्याप्त नहीं है। 
  • पारंपरिक मछुआरों की आजीविका को खतरा:
    • पारंपरिक फिशिंग उपकरणों का उपयोग करने वाले पारंपरिक मछुआरों के विपरीत पर्स सीनर अत्यधिक मछली पकड़ने की प्रवृत्ति रखते हैं, इस प्रकार पारंपरिक मछुआरों की आजीविका को खतरे में डालते हैं।
    • यह एक गैर-लक्षित मछली पकड़ने का उपकरण है जो किशोर मछली सहित जाल के संपर्क में आने वाली किसी भी मछली को पकड़ सकता है। नतीजतन, ये समुद्री संसाधनों के लिये बेहद हानिकारक हैं।
  • खाद्य सुरक्षा को खतरा: 
    • एक बड़ी चिंता केरल के मछली खाने वाले लोगों के पसंदीदा तेल सार्डिन की घटती उपलब्धता है।
    • वर्ष 2021 में केरल ने केवल 3,297 टन सार्डिन पकड़ी, जो वर्ष 2012 के 3.9 लाख टन से अत्यधिक कम थी।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों को खतरा: 
    • पर्स सीन द्वारा गैर-चयनात्मक मछली पकड़ने के तरीकों के परिणामस्वरूप अन्य समुद्री जीवित प्रजातियों (जिसमें लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी शामिल हो सकती हैं) के भी पकड़े जाने की आशंका उत्पन्न हो सकती है, जिससे संभावित व्यापार पर प्रतिबंध का खतरा उत्पन्न हो सकता है। 

UNCLOS: 

  • UNCLOS, वर्ष 1982 का एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो समुद्री गतिविधियों के लिये कानूनी ढाँचा स्थापित करता है।
  • इसे लॉ ऑफ द सी के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है- आंतरिक जल, प्रादेशिक समुद्र, सन्निहित क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और उच्च समुद्र।
  • यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो समुद्री क्षेत्रों में राज्य के अधिकार क्षेत्र को लेकर एक रूपरेखा निर्धारित करता है। यह विभिन्न समुद्री क्षेत्रों को एक अलग कानूनी दर्जा प्रदान करता है।
  • यह तटीय राज्यों और महासागरों को नेविगेट करने वालों द्वारा अपतटीय शासन की नींव के रूप में कार्य करता है।
  • यह न केवल तटीय राज्यों के अपतटीय क्षेत्रों को कवर करता है, बल्कि यह पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों के भीतर राज्यों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के लिये विशिष्ट मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।

पर्स सीन फिशिंग:

  • पर्स सीन फ्लोटिंग और लीडलाइन के साथ जाल की एक लंबी दीवार (Long Wall ) से बना होता है और इसमें गियर के निचले किनारे पर पर्स के छल्ले लटके होते हैं, जिसके माध्यम से स्टील के तार या रस्सी से बनी एक पर्स लाइन चलती है जो जाल को स्वच्छ रखने में मदद करती है।
  • इस तकनीक को मत्स्यन का कुशल रूप माना जाता है और भारत के पश्चिमी तटों पर व्यापक रूप से स्थापित किया गया है।
  • इसका उपयोग खुले समुद्र में टूना और मैकेरल जैसी एकल-प्रजाति के पेलाजिक (मिडवाटर) मछली के सघन समूह को लक्षित करने हेतु किया जाता है। 

float-line

समुद्री पशु संसाधनों के संरक्षण के प्रयास: 

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1989 और 1991 में संकल्प पारित किये:  
    • यह गहरे समुद्र में सभी बड़े पैमाने के पेलाजिक ड्रिफ्ट नेट फिशिंग जहाज़ों पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2022: 
    • दुनिया के महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और भरण-पोषण की दिशा में वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करना।
  • वन ओशन समिट: 
    • अवैध मत्स्यन को रोकना, शिपिंग को डीकार्बोनाइज़ करना और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना।
  • सदर्न ब्लूफिन टूना (SBT) के संरक्षण हेतु अभिसमय 1993: 
    • इस सम्मेलन का उद्देश्य उचित प्रबंधन के माध्यम से सदर्न ब्लूफिन टूना का संरक्षण और इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
  • लंबे ड्रिफ्ट नेट के साथ मत्स्यन के निषेध हेतु अभिसमय1989: 
    • यह दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में एक क्षेत्रीय सम्मेलन है जो ड्रिफ्ट नेट फिशिंग जहाज़ों हेतु पोर्ट एक्सेस को प्रतिबंधित करता है। 
  • तरावा घोषणा 1989: 
    • यह बड़े ड्रिफ्ट नेट के उपयोग को प्रतिबंधित करने या कम-से-कम उनके निषेध को बढ़ावा देने हेतु साउथ पैसिफिक फोरम की घोषणा है।

निष्कर्ष: 

गैरेट हार्डिन की 'ट्रेजेडी ऑफ द कॉमन्स' की अवधारणा के अनुसार, "समान स्वतंत्रता सभी को बर्बाद कर देती है," संरक्षण प्रयासों में सहयोग और इसका पालन करने के लिये अधिकारियों एवं मछुआरों, विशेष रूप से पर्स सीनर्स को तार्किक रूप में काम करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में ह्रास के लिये शिकार-चोरी के अलावा और क्या संभव कारण हैं? (2014)

  1. नदियों पर बाँधों और बैराजों का निर्माण
  2. नदियों में मगरमच्छों की समष्टि में वृद्धि
  3. संयोग से मछली पकड़ने वालों के जाल में फँस जाना
  4. नदियों के आसपास के फसलों-खेतों में संलिष्ट उर्वरकों और अन्य कृषि रसायनों का इस्तेमाल

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

  • गंगा नदी डॉल्फिन मुख्य रूप से नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना तथा कर्णफुली-सांगु नदी प्रणाली में पाई जाती है। वे मूलतः देखने में अक्षम होते हैं। इनकी अल्ट्रासोनिक ध्वनियों से मछली और अन्य शिकार उछल कर बाहर आ जाते हैं और ये उनका शिकार अपने मस्तिष्क में बनी छवि के आधार पर करते हैं।
  • WWF-इंडिया द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में गिरावट के कारण निम्नलिखित हैं:
  • नदियों पर बाँधों और बैराजों का निर्माण; अतः कथन 1 सही है।
  • मछली पकड़ने वालों के जाल में फँस जाना, अतः कथन 3 सही है।
  • नदियों के आस-पास संलिष्ट उर्वरकों और अन्य औद्योगिक प्रदूषकों का उपयोग। अतः कथन 4 सही है।
  • गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में गिरावट के कारणों में नदियों में मगरमच्छों की बढ़ती आबादी का उल्लेख नहीं है। अत: कथन 2 सही नहीं है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न: नीली क्रांति को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन विकास की समस्याओं और रणनीतियों की व्याख्या कीजिये। (2018)

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2