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नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में गिरावट

  • 01 Oct 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यूयॉर्क में आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में भारतीय प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy-RE) के लक्ष्य को प्राप्त करने और बाद में इसे बढ़ाकर 450 गीगावॉट करने की महत्वाकांक्षा जाहिर की। लेकिन स्थापित क्षमता में उल्लेखनीय विस्तार के बावजूद अगस्त माह में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 20% की गिरावट दर्ज की गई जिस पर चर्चा की आवश्यकता है।

प्रमुख बिंदु

  • देश के ऊर्जा मिश्रण में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाना पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं का आधार है।
  • भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट की क्षमता स्थापित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है जो कि सात वर्षों में हुई क्षमता वृद्धि से पाँच गुना अधिक है।
  • पिछले चार वर्षों में भारत ने अपनी RE क्षमता को दोगुना कर लिया है।
  • पेरिस संधि की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये भारत को एक वर्ष में 20 गीगावॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की आवश्यकता होगी जो कि पिछले चार वर्षों में प्राप्त की गई दर के दोगुने से भी अधिक है।
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष 8.3 गीगावॉट की सौर क्षमता को जोड़ा गया जो कि वर्ष 2017 की तुलना में 13% कम है। सौर क्षमता जोड़ने की गति में गिरावट इस वर्ष भी जारी है।

नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में गिरावट के कारण

Weak Currents

  • प्राय: जून की शुरुआत से प्रतिकूल मौसम और हवा की गति में बदलाव के कारण कुछ महीनों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन मौसमी मंदी (Seasonal Slowdown) के दौर से गुजरता है।
  • भुगतान में देरी और टैरिफ दरों की समीक्षा की आशंकाओं के चलते क्रेडिट रेटिंग में गिरावट हुई है। इससे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय लागतों में वृद्धि हो रही है जिससे क्षेत्र में रिटर्न और प्रतिस्पर्द्धा को नुकसान पहुँच रहा है।
  • वृहद् सौर परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चिंता है।
  • अगस्त में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में हुई कुछ गिरावट के लिये दक्षिणी राज्यों द्वारा बिजली की आपूर्ति में कटौती को भी ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु ऐसे राज्य है जिनका देश के बाकी हिस्सों की तुलना में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में हिस्सा अधिक है।

निष्कर्ष

  • पिछले पाँच वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद भारत को अपनी गति बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • प्रधानमंत्री की न्यूयॉर्क घोषणा वर्ष 2030 तक 40% बिजली का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से करने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • पेरिस प्रतिबद्धताओं के तहत नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा सौर ऊर्जा का है इसलिये नीति नियंताओं को इस समस्या की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस और लाइवमिंट

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