नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

केंद्र ने केरल की बाढ़ को ‘गंभीर प्रकृति की आपदा' घोषित किया

  • 21 Aug 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

केरल में बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने इसे ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित किया है जिससे विभिन्न रूपों में राष्ट्रीय सहायता का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • गृह मंत्रालय ने कहा है कि वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़/भूस्खलन की तीव्रता और परिमाण को ध्यान में रखते हुए यह सभी दृष्टिकोण से 'गंभीर प्रकृति की आपदा ‘है।
  • उल्लेखनीय है कि यह वर्गीकरण राज्य को केंद्र से अधिक मौद्रिक और अन्य सहायता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
  • केरल में आई बाढ़ की विभीषिका को देखें तो 8 अगस्त से 223 लोगों ने अपनी जान गँवा दी है।
  • इसके अलावा 2.12 लाख महिलाओं और 12 साल से कम उम्र के एक लाख बच्चों सहित 10.78 लाख विस्थापित लोगों को 3,200 राहत शिविरों में आश्रय दिया गया है।
  • प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, राज्य को अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालाँकि, केंद्र सरकार ने अब तक राज्य को हर संभव सहायता प्रदान की है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), केंद्रीय जल आयोग (CWC), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) समूह के प्रतिनिधियों द्वारा कम समय में राहत और बचाव सामग्री की सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएंगी।
  • एनडीएमए के अधिकारियों ने कहा कि केंद्र और आसपास के राज्यों की सहायता से मेडिकल टीमों को केरल भेज दिया गया है, जो किसी भी महामारी को रोकने में मदद करेंगी।

‘गंभीर प्रकृति’ की आपदा घोषित करने के लाभ

  • जब एक आपदा "दुर्लभ गंभीरता"/"गंभीर प्रकृति" के रूप में घोषित की जाती है, तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर का समर्थन प्रदान किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त केंद्र एनडीआरएफ (NDRF) सहायता भी प्रदान कर सकता है।
  • आपदा राहत निधि (CRF) को स्थापित किया जा सकता है, यह कोष केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के साझा योगदान पर आधारित होता है।
  • इसके अलावा सीआरएफ में संसाधनों के अपर्याप्त होने की अवस्था में राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (NCCF) से अतिरिक्त सहायता दिये जाने पर भी विचार किया जाता है, जो केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित होती है।
  • गौरतलब है कि संसद सदस्‍य स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के दिशा-निर्देशों के पैराग्राफ 2.8 में कहा गया है- ‘देश के किसी भाग में गंभीर आपदा की स्थिति में सांसद सदस्‍य प्रभावित ज़िले के लिये अधिकतम एक करोड़ रुपए तक के कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं।’
  • दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि जिस दिन से संसद सदस्‍य इस प्रकार का योगदान करेंगे, उसी दिन से संबंधित अधिकारी को एक महीने के अंदर राहत कार्यों को चिन्हित करना होगा और इस पर आठ महीने के अंदर अमल करना होगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow