दुनिया का न मरने वाला जीव | 02 Aug 2017

संदर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में वैज्ञानिकों के द्वारा दुनिया के एक ऐसे जीव के विषय में खुलासा किया गया है जो न केवल दुनिया के सभी जीवों में सबसे कठोर है बल्कि कभी मरता भी नहीं  है| आठ पैरों वाले इस सूक्ष्मजीव का नाम 'टार्डिग्रेड्स' (tardigrades) है| इस जीव के जेनेटिक अध्ययन से इसकी असाधारण काबिलियत के विषय में जानकारी प्राप्त होती है|

प्रमुख विशेषताएँ

  • उल्लेखनीय है कि एक मिलीमीटर या उससे भी छोटे आकार का यह जीव रेडिएशन, जमा देने वाली ठंड, खतरनाक सूखे और यहाँ तक की अंतरिक्ष में भी अपनी जान बचा सकने में सक्षम है|
  • ध्यातव्य है कि शोधकर्ताओं के द्वारा टार्डिग्रेडस की दो प्रजातियों के डी.एन.ए. को डिकोड किया गया तत्पश्चात् इस जीव के जीन के विषय में कुछ बहुत ही विस्मयकारी जानकारी पता लगी| इन जानकारियों के अनुसार, इस जीव के शरीर में कुछ ऐसे जीन पाए जाते हैं जिनकी बदौलत यह खतरनाक से खतरनाक सूखे में भी अपनी जान बचाए रख सकता है|
  • इस नन्हे जीव को धरती का सबसे जुझारू जीव माना जाता है| इस जीव की शारीरिक बनावट के कारण इसे ‘पानी के भालू’ की संज्ञा दी गई है|
  • ध्यातव्य है कि यह जीव पृथ्वी पर किसी भी प्रकार कि कोई आपदा आने की सूरत में अपनी जान बचा सकता है|

आवासीय स्थिति

  • टार्डिग्रेड्स आम तौर पर उन जगहों पर पाए जाते हैं, जो पानी की मौजूदगी के बाद सूख चुकी होती हैं, मसलन दलदल या तालाब|
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, समय के साथ-साथ इन्होंने बेहद शुष्क माहौल में भी अपनी जान बचाए रखने और कई सालों बाद दोबारा पानी पाकर ज़िंदा हो उठने की क्षमता विकसित कर ली है| इनकी यही विशेषता इन्हें पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीवों से पृथक् बनाती है|
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, इस असाधारण जीव की इस विशेष काबिलियत की असली वजह इसकी जेनेटिक विशेषता है| सूखे की स्थिति में टार्डिग्रेडस के शरीर में कुछ ऐसे जीन सक्रिय हो जाते हैं जो उसकी कोशिकाओं में पानी की जगह ले लेते हैं|
  • तत्पश्चात् वे इसी स्थिति में स्वयं को व्यवस्थित करते हैं तथा कुछ महीनों या सालों बाद जब इन्हें दोबारा पानी उपलब्ध होता है तो ये अपनी कोशिकाओं को दोबारा पानी से भर लेते हैं और पुन: जीवित हो उठते हैं|

इससे इंसानों को क्या लाभ होगा?

  • शोधकर्त्ताओं के कथनानुसार, इस अनोखे जीव की न मरने वाली क्षमता के विषय में गहराई से अध्ययन करने के बाद इंसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सहायता करने वाले टीकों को एक लम्बी अवधि के लिये सुरक्षित रखने (बिना रेफ्रिजरेशन के स्टोर रखने) सकने की दिशा में उल्लेखनीय सफलता मिलने की संभावना है|

यह कोई कीट है या कृमि?

  • ध्यातव्य है कि इस जीव के डी.एन.ए. को डिकोड करने के पश्चात् शोधकर्त्ताओं के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह स्पष्ट करना है कि क्या टार्डिग्रेड कीटों और मकड़ियों के वर्ग का जीव है अथवा यह गोलकृमियों कि श्रेणी में शामिल होता है? 
  • वस्तुत: इस जीव का  निराला आकार, आठ मोटे - मोटे पैर और जबड़ा, इसके कृमि से ज़्यादा कीटों के करीब होने के संकेत देते हैं| हालाँकि वास्तविक जानकारी इसके विषय में गहन अध्ययन के पश्चात् ही उपलब्ध हो पाएगी|

इस अध्ययन का स्रोत 

  • उल्लेखनीय है कि यह अध्ययन पी.एल.ओ.एस. बायोलॉजी नाम के एक जर्नल के द्वारा छापा गया है|