अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रति किसानों में बढ़ती लोकप्रियता
- 28 Apr 2018
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि जिन ज़िलों में पायलट आधार पर उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT-F) की शुरुआत के गई उनमें पाँच में से तीन किसानों ने उर्वरक वितरण के इस तरीके को पुराने वितरण के तरीके पर वरीयता दी है। केंद्र ने इस योजना को तीन चरणों में क्रमशः 1, 6 और 14 ज़िलों में पायलट आधार पर लागू किया।
क्या है प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण ?
- मूल रूप से यह योजना उस धन का दुरुपयोग रोकने के लिये है, जिसे किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थी तक पहुँचने से पहले ही बिचौलिये तथा अन्य भ्रष्टाचारी हड़पने की जुगत में रहते हैं।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी बिचौलिये का कोई काम नहीं है और यह योजना सरकार और लाभार्थियों के बीच सीधे चलाई जा रही है।
- इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में कर देती है।
- लाभार्थियों को भुगतान उनके आधार कार्ड के ज़रिये किया जाता है।
चुनौतियाँ
- हालाँकि, अंतिम पायलट चरण वाले ज़िलों में कराए गए सर्वे के अनुसार अभी भी पॉइंट ऑफ सेल (POS) उपकरणों के माध्यम से होने वाले लेन-देन औसत ही बने हुए हैं, जो चिंता का विषय है।
- सर्वे के अनुसार, वर्तमान में लेन-देन का समय लगभग 5 मिनट है, लेकिन लगभग 2-2.5 मिनट एक आदर्श समय होगा। प्रति किसान प्रति 5 मिनट की दर से, एक खुदरा विक्रेता दिन में केवल 120 किसानों को सेवा प्रदान कर सकता है, जबकि सीज़न के चरम काल के दौरान प्रतिदिन औसतन 300 किसान उर्वरकों की खरीदारी के लिये विक्रेता के पास आते हैं।
- अध्ययन में यह भी पाया गया कि लगभग 3.4 प्रतिशत किसान खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी और बायोमीट्रिक जानकारी संबंधी समस्याओं के कारण आधार प्रमाणीकरण में असफल रहे। हालाँकि इसमें पिछले पायलट चरणों के मुकाबले सुधार देखने को मिला है।
उर्वरक से जुड़े कुछ तथ्य
- कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये उर्वरक एक महत्त्वपूर्ण और महँगा साधन है।
- यद्यपि पौधे अपने विकास के लिये 17 तत्त्वों की ज़रूरत महसूस करते हैं, लेकिन कृषि में मुख्यतया नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश-NPK उर्वरक का इस्तेमाल ही किया जाता है।
- भारत में खाद्यान्न के लिये NPK के उपयोग का संतुलित व आदर्श अनुपात है- 4:2:1
- उर्वरक उत्पादन एवं उपभोग में भारत चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है।
- यूरिया जो नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है, कुल उर्वरक उपभोग का लगभग 50% है।
- भारत अभी भी नाइट्रोजन उर्वरकों की अपनी खपत का 94% व फास्फेटी उर्वरकों की खपत का 82% ही उत्पादन कर पाता है। पोटाश वाले उर्वरकों के लिये तो भारत अभी भी पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर है।