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डेलाइट सेविंग टाइम

  • 13 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

DST

मेन्स के लिये:

DST का महत्त्व और अनुप्रयोग

संदर्भ

डेलाइट सेविंग टाइम (Daylight Saving Time- DST) मार्च में प्रारंभ होकर नवंबर के पहले रविवार को समाप्त होता है। इस वर्ष DST 10 मार्च को शुरू हुआ और 3 नवंबर, 2019 को समाप्त हो गया।

  • इस वर्ष यूरोप की घड़ियों में रविवार को समय एक घंटे पीछे हो गया, इस घटना ने DST की समाप्ति के संकेत दिये। इसी प्रकार की घटनाएँ संयुक्त राज्य अमेरिका में भी देखी गईं। दक्षिणी गोलार्द्ध में इसके विपरीत घटना देखी गई और न्यूज़ीलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में घड़ियों में समय एक घंटे आगे बढ़ गया।

डेलाइट सेविंग टाइम क्या है?

  • DST गर्मियों के महीनों के दौरान मानक समय (Standard Time) से घड़ियों को एक घंटे आगे करने की प्रक्रिया है ताकि दिन की अवधि का बेहतर उपयोग किया जा सके। इस DST का प्रयोग यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में बसंत से शरद ऋतु (दिन की कम अवधि) के दौरान किया जाता है जिससे यहाँ पर शाम को 1 घंटा अतिरिक्त मिलता है।
  • भारत और लंदन के बीच मानक समय में साढ़े पाँच घंटे का अंतर है, वहाँ पर DST के प्रयोग से भारत का मानक समय भी प्रभावित होता है।

डेलाइट सेविंग टाइम: इतिहास

  • ऊर्जा को बचाने और वार्षिक स्तर पर दिन की अवधि के लिये घड़ियों के समय को समायोजित करने का विचार लगभग 200 वर्ष से अधिक पुराना है।
  • पोर्ट आर्थर (ओंटारियो) के लेखों में 1 जुलाई, 1908 में कनाडाई लोगों के एक समूह द्वारा DST का पहली बार प्रयोग किया गया था। बाद के वर्षों में इसका प्रयोग कनाडा के अन्य हिस्सों में किया गया।
  • अप्रैल 1916 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान यूरोप में कोयले की भारी कमी हो गई। इस प्रकार की परिस्थितियों में जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा दिन की अवधि को समायोजित करने के लिये DST का प्रयोग किया गया था ।

DST के उपयोगकर्त्ता:

  • भूमध्य रेखा के आसपास के देश (अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में) आमतौर पर DST का पालन नहीं करते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में लगभग पूरे वर्ष दिन की अवधि लगभग एक समान रहती है।
  • भारत में DST का प्रयोग नहीं किया जाता है, हालाँकि देश के कई हिस्सों में सर्दियों में दिन काफी छोटे होते हैं।
  • अधिकांश खाड़ी देश DST का उपयोग नहीं करते हैं, इसलिये रमज़ान के महीने में दिन की अवधि बढ़ जाती है। पूर्वी एशिया और अफ्रीका के ज़्यादातर देशों में DST की व्यवस्था नहीं है।

स्रोत: द हिंदू

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