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डे-लाइट हार्वेस्टिंग

  • 04 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डे-लाइट हार्वेस्टिंग, भवन की ऊर्जा दक्षता में सुधार, भवन की ऊर्जा दक्षता में सुधार पहल।

मेन्स के लिये:

ऊर्जा संरक्षण में डे-लाइट हार्वेस्टिंग का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और भवन की ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के लिये नवीनतम डे-लाइट हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी में एक अद्वितीय स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

  • मंत्रालय 10 करोड़ रुपए की परियोजना में से 5 करोड़ रुपए 24x7 आधार पर बेसमेंट रोशनी के लिये नई तकनीक विकसित करने हेतु स्काईशेड कंपनी को देगा।
  • कंपनी का लक्ष्य हरित भवन का निर्माण करना तथा जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत राष्ट्रीय मिशनों में भाग लेना व योगदान देना है।

डे-लाइट हार्वेस्टिंग:

  • डे-लाइट हार्वेस्टिंग प्रकाश से जुड़ी ऊर्जा लागत को बचाने का एक तरीका है। यह उपलब्ध सूर्य ऊर्जा का उपयोग करता है।
    • सौर ऊर्जा स्पेक्ट्रम में दृश्य प्रकाश के रूप में 45 फीसदी ऊर्जा होती है और इसका उपयोग दिन में लगभग 9-11 घंटे के लिये भवन में रोशनी करने हेतु किया जा सकता है। 
  • यह वर्तमान इमारतों के लिये टिकाऊ प्रकाश डिज़ाइन (Sustainable Lighting Designs) के रूप में उपयोग की जाने वाली सबसे उन्नत तकनीकों में से एक है।
  • यह अंतरिक्ष में उपलब्ध प्राकृतिक प्रकाश की मात्रा के स्थान पर प्रकाश की चमक को स्वचालित रूप से कम या समायोजित करता है।
  • खिड़कियों या रोशनदानों के माध्यम से आने वाले प्राकृतिक दिन के प्रकाश का उपयोग कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा को कम करता है।
  • पर्यावरण में प्रचलित प्रकाश स्तर का पता लगाने हेतु डे-लाइट हार्वेस्टिंग तकनीक (Daylight Harvesting System) प्रकाश संवेदकों को नियोजित करती है, जिन्हें फोटोकेल सेंसर (Photocell Sensors) के रूप में भी जाना जाता है। 
  • यह तब एक नियंत्रक (Controller) को प्राप्त प्रकाश की तीव्रता भेजता है, जब तक प्रकाश नियंत्रण प्रणाली से जुड़ा होता है। बदले में नियंत्रण प्रणाली मापीय प्रकाश स्तर (Measured Light Level) के अनुसार विद्युत रोशनी को स्वचालित रूप से समायोजित करती है।

Workplane

‘डे-लाइट हार्वेस्टिंग’ का महत्त्व

  • ऊर्जा की बचत:
    • यह प्राकृतिक उजाले के आधार पर रोशनी को कम या बंद करके ऊर्जा की बचत को बढ़ाता है।
  • आराम और सुविधा प्रदान करता है:
    • यह लगातार एवं स्वचालित रूप से रोशनी को समायोजित करके उचित प्रकाश तीव्रता बनाए रखने में मदद करता है।
  • स्वस्थ कार्य करने की स्थिति:
    • लोगों को सही मात्रा में प्रकाश प्रदान करने से उचित ‘सर्कैडियन लय’ बनाए रखने में मदद मिलती है, जो अच्छे स्वास्थ्य और पर्याप्त नींद के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, इसके अलावा यह मौसमी उत्तेजित विकारों को रोकने में मददगार है।
      • ‘सर्कैडियन लय’ 24 घंटे का चक्र है, जो हमारे शरीर को बताता है कि कब सोना है, उठना है और खाना है, यह कई शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
    • कार्यस्थलों पर प्राकृतिक प्रकाश बेहतर एकाग्रता प्रदान करता है, सकारात्मक मनोदशा बनाता है और स्वस्थ कर्मचारी जीवन को संचालित करता है।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी:
    • दिन के समय उजाला सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध होता है और यह ऊर्जा का एक बहुत ही स्वच्छ एवं लागत प्रभावी स्रोत है।
    • डे-लाइट हार्वेस्टिंग तकनीक का उपयोग करके दिन के दौरान हमारी ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने से "पंचामृत" के पाँच अमृत की प्रतिबद्धताओं में से एक को सुनिश्चित कर अर्थात् वर्ष 2070 तक भारत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन देश बनाने में बहुत बड़ा योगदान होगा।

ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये अन्य पहल:

स्रोत: पी.आई.बी.

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