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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

डाटा संरक्षण कानून

  • 10 Jun 2017
  • 3 min read

संदर्भ
सरकार नागरिकों के व्यक्तिगत डाटा को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के लिये एक नया ‘डाटा संरक्षण कानून’ बनाने पर विचार कर रही है तथा साथ ही सार्वजनिक डेटा के प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिये भी एक सक्षम ढाँचा तैयार कर रही है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MET) ‘डाटा संरक्षण कानून’ बनाने पर काम कर रहा है। मंत्रालय इस मुद्दे पर "क्रॉस-फंक्शनल कमेटी" स्थापित करेगा। यह एक उच्च स्तरीय कमेटी होगी, जो इस कानून से संबंधित सभी वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श करेगी।
  • देश में ‘आधार-बायोमेट्रिक्स’ जैसे मुद्दों के कारण व्यक्तियों के निजी डाटा की सुरक्षा को लेकर जो बहस छिड़ी हुई है, ऐसे में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा। 
  • देश में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के कारण भी यह कानून महत्त्वपूर्ण है।
  • मंत्रालय ने कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था का बुनियादी ढाँचा ‘डाटा’ होता है और भारत अपने नागरिकों को उन कंपनियों से बचाना चाहता है, जो डाटा के बदले सेवाएँ प्रदान करती हैं, जिससे उनके डाटा के दुरुपयोग की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। 
  • वर्तमान में, भारत में डाटा संरक्षण के लिए कोई अलग कानून नहीं है और न ही कोई संस्था है जो डाटा की गोपनीयता को सुरक्षा प्रदान करती हो।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-43A  के तहत डाटा संरक्षण हेतु उचित दिशा-निर्देश दिये गए है, लेकिन यह धारा नाममात्र का संरक्षण प्रदान करती है।
  • कुछ व्यावसायिक संस्थानों द्वारा व्यक्तिगत डाटा के दुरुपयोग को ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2015’ के तहत संरक्षण प्रदान किया गया है।

गोपनीयता (PRIVACY)

  • गोपनीयता, एक मौलिक मानवाधिकार है।
  • इसे मानव अधिकारों की ‘सार्वभौमिक घोषणा’ में मान्यता प्राप्त है।
  • भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र के नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा’ को मंज़ूरी दी है, जिसमें गोपनीयता की रक्षा के लिये प्रावधान है।
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