भारतीय अर्थव्यवस्था
डेटा पॉइंट: डॉलर के मुकाबले रुपए में हालिया सुधार
- 30 Jan 2019
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संदर्भ
वर्ष 2018 में भारतीय रुपए में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। जनवरी-अक्तूबर के दौरान रुपए में 15% की गिरावट (जनवरी 2018 में मासिक औसत 63.6 रुपए प्रति डॉलर से अक्तूबर में 73.5 रुपए प्रति डॉलर तक) दर्ज़ की गई थी। हालाँकि हाल ही में अक्तूबर 2018 से जनवरी 2019 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में काफी सुधार दर्ज़ किया गया। गौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई थी।
प्रमुख बिंदु
- रुपए की कीमत में आने वाला यह उतार-चढ़ाव विभिन्न वैश्विक और घरेलू कारणों की वज़ह से होता है। मसलन, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, अनियमित व्यापार संतुलन, डॉलर की मज़बूती और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investments-FPI) का निरंतर बहिर्वाह। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के साथ भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी तथा इसके परिणामस्वरूप FPI का भारतीय मुद्रा पर अधिक भार होना।
- अक्तूबर 2018-जनवरी 2019 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में दर्ज़ किया गया सुधार नीचे दिये गए ग्राफ में प्रदर्शित है।
- 2018 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में दर्ज़ किया गया उतार-चढ़ाव नीचे दिये गए ग्राफ में प्रदर्शित है।
हालिया सुधार के पीछे कारक
- भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का 80% से अधिक हिस्सा आयात करता है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, भारत की औसत कच्चे तेल आयात पर निर्भरता 2018 में कुल कच्चे तेल की खपत का 82.8% थी, जबकि यही आँकड़ा 2017 में 81.7% था।
- ईरान से भौगोलिक निकटता के कारण भारत कच्चे तेल हेतु इस पर बहुत अधिक निर्भर है। इस निकटता के कारण भारत के लिये कम शिपिंग लागत और लंबी अवधि की क्रेडिट जैसी अनुकूल वित्तीय स्थितियाँ उपलब्ध हैं।
- अमेरिका द्वारा ईरान पर लगे प्रतिबंधों को भारत के लिये हटाए जाने के बाद भारत ने बड़ी मात्रा में तेल का आयात किया। इसके साथ ही तेल की वैश्विक कीमत गिरने से भी भारत को काफी फायदा हुआ जिसकी वज़ह से रुपए पर अनुकूल प्रभाव पड़ा।
- व्यापार घाटे में कमी, FPI का अंतर्वाह जैसे कारकों ने भी रुपए को मज़बूती प्रदान की।
- रुपए की मज़बूती का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक अमेरिकी शटडाउन का प्रभाव भी है। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को अमेरिकी सरकार के 35- दिवसीय शटडाउन का कम किंतु सकारात्मक लाभ मिला।