भारतीय अर्थव्यवस्था
खुदरा मुद्रास्फीति और कारखाना उत्पादन पर आँकड़े
- 14 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा खुदरा मुद्रास्फीति और कारखाना उत्पादन (Factory Output) पर अलग-अलग आँकड़े जारी किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु:
खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation):
- इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापा जाता है। तथा इसमें दिसंबर 2020 में 4.59% तक की कमी दर्ज की गई है।
- नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93% थी।
- दिसंबर का CPI आँकड़ा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति की ऊपरी सीमा (6%) में आ गया है।
- केंद्र सरकार ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ( Inflation Targeting) के अनुसार RBI हेतु खुदरा मुद्रास्फीति को 2% के मार्जिन के साथ 4% की सीमा में रखने के लिये अनिवार्य कर दिया है।
- CPI मुद्रास्फीति 11 माह से अधिक समय तक RBI के निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 +/- 2% से अधिक रही है।
- RBI द्वारा अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति बनाते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आँकड़ों को मुख्य कारक के रूप में शामिल किया जाता है।
- दिसंबर 2020 में द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में RBI ने अपनी प्रमुख ब्याज दरों (रेपो और रिवर्स रेपो दर) को अपरिवर्तित बनाए रखा था और आवश्यक रूप से (कम-से-कम वर्तमान वित्तीय वर्ष में) 'समायोजन रुख' बनाए रखने का फैसला लिया था।
- खुदरा मुद्रास्फीति में कमी का कारण:
- खाद्य कीमतों में गिरावट: दिसंबर माह में फूड बास्केट के मामले में मुद्रास्फीति में 3.41% तक की कमी आई, जो कि नवंबर में 9.50% थी।
कारखाना उत्पादन (Factory Output):
- भारत में कारखाना उत्पादन, जिसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के संदर्भ में मापा जाता है, में नवंबर 2020 के दौरान -1.9% का संकुचन देखा गया।
- वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-नवंबर) में अब तक की औद्योगिक वृद्धि -15.5% रही है, जबकि वर्ष 2019 की इसी अवधि में इसमें 0.3% की वृद्धि देखी गई थी।
कारखाना उत्पादन में संकुचन का कारण:
- खनन और विनिर्माण क्षेत्र
- नवंबर माह में खनन क्षेत्र में -7.3% की गिरावट, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में -1.7% की गिरावट देखी गई।
- हालाँकि विद्युत क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- नवंबर 2019 में विनिर्माण क्षेत्र में 3.0% की वृद्धि देखी गई। इसी अवधि के दौरान खनन क्षेत्र में 1.9% की वृद्धि हुई थी, जबकि विद्युत क्षेत्र में -5.0% की गिरावट देखी गई थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)
- यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य में हुए परिवर्तन को मापता है तथा इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
- यह उन चयनित वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिन वस्तुओं और सेवाओं पर एक परिभाषित समूह के उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।
- CPI के निम्नलिखित चार प्रकार हैं:
a. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers-IW) के लिये CPI
b. कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer-AL) के लिये CPI
c. ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer-RL) के लिये CPI
d. CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त) - इनमें से प्रथम तीन के आँकड़े श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो (labor Bureau) द्वारा संकलित किये जाते हैं, जबकि चौथे प्रकार की CPI को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation-CSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
- CPI का आधार वर्ष 2012 है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
(Index of Industrial Production- IIP)
- यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
- इसके आँकड़ों को केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
- IIP एक समग्र संकेतक है जो प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकड़े उपलब्ध कराता है।
- इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:
- रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products)> विद्युत (Electricity)> इस्पात (Steel)> कोयला (Coal)> कच्चा तेल (Crude Oil)> प्राकृतिक गैस (Natural Gas)> सीमेंट (Cement)> उर्वरक (Fertilizers)।
- अप्रैल 2017 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया है।