डार्क मैटर आकाशगंगाओं को आकार देता है | 22 Jan 2022
प्रिलिम्स के लिये:डार्क मैटर, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर, डार्क एनर्जी, ब्लैक होल मेन्स के लिये:डार्क मैटर, डार्क एनर्जी, ब्लैक होल, ब्रह्मांड का विस्तार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने जाँच में पाया है कि कुछ आकाशगंगाओं (stellar bars) के केंद्र में सितारों की गति से डार्क मैटर का आकार कैसे प्रभावित होता है साथ ही उन्होंने पाया कि इससे वर्जित आकाशगंगाओं में डार्क मैटर हेलो (dark matter halos) के माध्यम से अक्ष के बाहर की ओर झुकने को समझाया जा सकता है।
- ‘वर्जित आकाशगंगाओं’ या तारों से बनी केंद्रीय छड़ के आकार की संरचना में छड़ का समतल से बाहर की ओर झुकने से एक दुर्लभ छड़ की मोटाई बढने की क्रियाविधि को बकलिंग के रूप में जाना जाता है।
- एक गहरा प्रभामंडल अदृश्य सामग्री (डार्क मैटर) का अनुमानित प्रभामंडल होता है जो आकाशगंगाओं के समूहों को घेरता है।
नोट:
- एक वर्जित सर्पिल आकाशगंगा में तारों से बनी एक केंद्रीय छड़ के आकार की संरचना होती है।
- उदाहरण के लिये मिल्की वे तारों से बनी एक डिस्कनुमा आकाशगंगा है जो एक चपटी डिस्क के केंद्र के चारों ओर वृत्ताकार कक्षाओं में घूमती है, जिसके केंद्र में तारों का घना संग्रह होता है जिसे उभार कहा जाता है।
- इन उभारों का आकार लगभग गोलाकार से लेकर आकाशगंगा डिस्क जितना सपाट हो सकता है। आकाशगंगा के केंद्र में एक सपाट बॉक्सी या मूंगफली के आकार का उभार होता है।
- आकाशगंगाओं में तारकीय छड़ें के मोटे होने के कारण इस तरह के उभार बनते हैं।
- यह एक प्रबल स्थूलन बकलिंग है, जहाँ आकाशगंगा डिस्क के सपाट होने के कारण तारकीय छड़ों में झुकाव होता है।
- तारकीय छड: आकाशगंगाओं में तारों का एक छड़ के आकार का संचय।
प्रमुख बिंदु:
- डार्क मैटर के बारे में:
- डार्क मैटर का हालाँकि कभी पता नहीं चला लेकिन माना जाता है कि यह पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है।
- यह माना जाता है कि पुराने ब्लैक होल, जो ब्रह्मांड के प्रारंभिक युग में बने थे, डार्क मैटर का स्रोत हैं। यह प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग द्वारा कहा गया था।
- ऐसा माना जाता है कि डार्क एनर्जी के साथ मिलकर यह ब्रह्मांड के 95% से अधिक भाग का निर्माण करता है।
- इसका गुरुत्वाकर्षण बल हमारी आकाशगंगा में तारों को दूर जाने से रोकता है।
- हालाँकि भूमिगत प्रयोगों या दुनिया के सबसे बड़े त्वरक, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) सहित त्वरक अन्य प्रयोगों का उपयोग करके ऐसे डार्क मैटर कणों का पता लगाने के प्रयास अब तक विफल रहे हैं।
- ब्रह्मांड में डार्क मैटर की उपस्थिति:
- गुरुत्त्वाकर्षण के नियम यह उम्मीद पैदा करते हैं कि तारों की तुलना में तेज़ी से घूमते हुए आकाशगंगाओं के केंद्र के करीब देख पाएंगे।
- हालाँकि अधिकांश आकाशगंगाओं में केंद्र के करीब के तारे और आकाशगंगाओं के किनारे के तारे एक चक्कर लगाने में लगभग समान समय लेते हैं।
- इसका तात्पर्य यह था कि कुछ अदृश्य आकाशगंगाओं के माध्यम से बाहरी तारों पर अतिरिक्त दवाब लग रहा था, जिससे वे गति कर रहे थे।
- यह इकाई 1930 के दशक से ब्रह्मांड विज्ञान में अनसुलझी पहेली बनी हुई है। इसे 'डार्क मैटर' नाम दिया गया था।
- इस सामग्री को 'पदार्थ' माना जाता है क्योंकि इसमें गुरुत्वाकर्षण होता है और यह अंधेरे से युक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश (या विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के किसी भी भाग) के साथ संबंधित नहीं होता है।
- गुरुत्त्वाकर्षण के नियम यह उम्मीद पैदा करते हैं कि तारों की तुलना में तेज़ी से घूमते हुए आकाशगंगाओं के केंद्र के करीब देख पाएंगे।
- डार्क मैटर और डार्क एनर्जी:
- डार्क मैटर आकाशगंगाओं को एक साथ आकर्षित (Attracts) और धारण (Holds) करता है, जबकि डार्क एनर्जी हमारे ब्रह्मांड के विस्तार का कारण बनती है।
- दोनों घटकों के अदृश्य होने के बावजूद डार्क मैटर के बारे में बहुत कुछ ज्ञात है, क्योंकि 1920 के दशक में डार्क मैटर के अस्तित्व के बारे में बताया गया, जबकि 1998 तक डार्क एनर्जी की खोज नहीं की गई थी।
- डार्क एनर्जी:
- बिग बैंग की उत्पत्ति एवं इसका विस्तार लगभग 15 अरब वर्ष पहले हुआ। पूर्व में खगोलविदों का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्मांड का विस्तार धीमा हो जाएगा और फिर अंततः इसका लोप (Recollapse) हो जाएगा।
- हालाँकि हबल टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा के अनुसार, ब्रह्मांड का तेज़ी से विस्तार हो रहा है।
- खगोलविदों का मानना है कि तेज़ी से विस्तार की यह दर उस रहस्यमय डार्क फोर्स या एनर्जी के कारण है जो आकाशगंगाओं को अलग कर रही है।
- 'डार्क' (Dark) शब्द का प्रयोग अज्ञात को दर्शाने हेतु किया जाता है।
- निम्नलिखित चित्र 15 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड के जन्म के बाद से उसके विस्तार की दर में परिवर्तन को दर्शाता है।
- बिग बैंग की उत्पत्ति एवं इसका विस्तार लगभग 15 अरब वर्ष पहले हुआ। पूर्व में खगोलविदों का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्मांड का विस्तार धीमा हो जाएगा और फिर अंततः इसका लोप (Recollapse) हो जाएगा।
ब्लैक होल:
- यह अंतरिक्ष में एक ऐसे बिंदु को संदर्भित करता है जहांँ संकुचन के कारण इतना अधिक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र उत्पन्न होता है जिससे प्रकाश भी नहीं बच सकता।
- इस अवधारणा को 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित किया गया था और 'ब्लैक होल' शब्द को 1960 के दशक के मध्य में अमेरिकी भौतिक विज्ञानी जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर द्वारा गढ़ा गया था।
- आमतौर पर ब्लैक होल की दो श्रेणियों होती है:
- एक श्रेणी तारकीय ब्लैक होल की है जो कुछ सौर द्रव्यमानों से बनती है। ऐसा माना जाता है कि बड़े तारों के मृत होने से ब्लैक होल बनते हैं।
- दूसरी श्रेणी सुपरमैसिव ब्लैक होल की है। ये सौरमंडल के सूर्य की संख्या की तुलना में हज़ारों गुना की संख्या में हैं। ऐसा माना जाता है कि जब दो या दो से अधिक ब्लैक होल आपस में मिल जाते हैं तो इनका निर्माण होता है।
- अप्रैल 2019 में इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल (अधिक सटीक रूप से इसकी छाया की) की पहली छवि जारी की।
- इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्थित 8 रेडियो टेलीस्कोप (अंतरिक्ष से रेडियो तरंगों का पता लगाने के लिये प्रयुक्त) का एक समूह है।
- गुरुत्वाकर्षण तरंगें तब उत्पन्न होती हैं जब दो ब्लैक होल एक दूसरे की परिक्रमा करते हुए विलीन हो जाते हैं।