भूगोल
दामोदर घाटी कमान क्षेत्र
- 16 May 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:दामोदर नदी, दामोदर घाटी निगम मेन्स के लिये:दामोदर नदी घाटी प्रबंधन, नदी प्रबंधन केस स्टडी |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और ‘विश्व बैंक’ के मध्य पश्चिम बंगाल के ‘दामोदर घाटी कमान क्षेत्र’ (Damodar Valley Command Area- DVCA) में सिंचाई सेवाओं तथा बाढ़ प्रबंधन के लिये 145 मिलियन डॉलर के एक ऋण समझौते पर अनुबंध किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- इस परियोजना से पश्चिम बंगाल के पाँच ज़िलों के लगभग 2.7 मिलियन किसानों को बेहतर सिंचाई सेवाओं का लाभ मिलेगा तथा इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी।
- परियोजना की कुल लागत 413.8 मिलियन डॉलर है। जिसमें से 145 मिलियन डॉलर
- ‘विश्व बैंक’ द्वारा, 145 मिलियन डॉलर ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (Asian Infrastructure Investment Bank- AIIB) और 123.8 मिलियन डॉलर का पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा वित्तपोषण किया जा रहा है।
- विश्व बैंक द्वारा दिया जा रहा ऋण, 6 वर्ष की ‘अनुग्रह अवधि’ (Grace Period) और 23.5 वर्षों की ‘परिपक्वता अवधि’ (Maturity Period) के लिये है।
दामोदर नदी:
- दामोदर नदी हुगली नदी की एक सहायक नदी है। यह झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर पश्चिम से पूर्व दिशा में बहती है।
- नदी का उद्गम झारखंड के छोटा नागपुर पठार की पहाड़ियों में होता है। नदी की कुल लंबाई लगभग 541 किलोमीटर है, जिसका आधा हिस्सा झारखंड में तथा आधा पश्चिम बंगाल में है।
- बोकारो, बराकर और कोनार इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं।
दामोदर नदी के प्रबंधन की आवश्यकता:
- दामोदर नदी को बंगाल का शोक (Sorrow of Bengal) कहा जाता था।
- इस नदी के कारण अपवाह क्षेत्र में निश्चित अंतराल के बाद बाढ़ देखने को मिलती थी जबकि मामूली बाढ़ का अनुभव प्रतिवर्ष होता था।
- दामोदर नदी द्वारा लाए गए अवसाद के कारण हुगली नदी में अवसादन की समस्या पैदा होती थी तथा कोलकाता बंदरगाह भी इससे प्रभावित होता था।
दामोदर घाटी परियोजना:
- अमेरिका की 'टेनेसी घाटी प्राधिकरण' (Tennesse Valley Authority- TVA) के आधार पर ‘दामोदर घाटी परियोजना’ के तहत वर्ष 1948 में ‘दामोदर घाटी निगम’ (Damodar Valley Corporation- DVC) की स्थापना की गई थी।
- मूल परियोजना में सात प्रमुख बांधों का निर्माण किया जाना था। लेकिन DVC द्वारा केवल चार बांधों (तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत) का निर्माण किया।
परियोजना से लाभ:
- दामोदर घाटी परियोजना इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है। परियोजना से मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
- झारखंड और पश्चिम बंगाल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण;
- 5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई की सुविधा;
- विभिन्न बांध स्थलों पर पनबिजली का उत्पादन;
- मृदा अपरदन को रोकना;
- क्षेत्र में औद्योगिक आधार की मजबूती प्रदान की;
- मत्स्यन तथा पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना;
- मलेरिया जैसी मच्छर जनित रोगों पर नियंत्रण;
परियोजना से उत्पन्न समस्याएँ:
- दामोदर घाटी परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण करना था परंतु अभी तक इस लक्ष्य को पूरी तरह प्राप्त नहीं किया गया है।
- क्षेत्र में वनों की कटाई तथा बांध क्षेत्रों में वनों के डूबने के वन क्षेत्र में लगातार कमी हुई है। वनीकरण की कमी के कारण जलाशयों में गाद की समस्या बढ़ गई है।
- DVC के तहत स्थापित बांधों से पनबिजली का उत्पादन तापीय विद्युत उत्पादन की तुलना में कम है क्योंकि बाढ़-नियंत्रण बांधों को हर साल मानसून से पहले बाढ़ तथा भारी मात्रा में अवसादों के कारण संयंत्रों को बंद करना पड़ता है।
विश्व बैंक के साथ किये गए नवीन अनुबंध का महत्त्व:
- DVC की स्थापना को 60 वर्ष से अधिक समय हो गया है, तथा इसे फिर से आधुनिक बनाए जाने की आवश्यकता है। नवीन प्रोजेक्ट के माध्यम से DVC बुनियादी संरचना को सुधारने में मदद मिलेगी।
- निचला दामोदर घाटी क्षेत्र काफी समय से बाढ़ प्रभावित रहने वाला क्षेत्र है। यहाँ औसतन 33,500 हेक्टेयर फसल क्षेत्र और 461,000 लोग प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं। अत: नवीन प्रोजेक्ट बाढ़ के नियंत्रण में मदद करेगा।
निष्कर्ष:
- DVC 'एकीकृत क्षेत्रीय विकास’ (Integrated Regional Development) योजना का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। बेहतर प्रबंधन और दूरदर्शिता के साथ इसकी दक्षता में सुधार किया जा सकता है। दामोदर घाटी कमान क्षेत्र (DVCA) पर हस्ताक्षरित नवीन अनुबंध से दामोदर घाटी क्षेत्र का कायाकल्प करने में मदद मिलेगी।