नीति आयोग ने ज़ारी की आकांक्षी ज़िलों की पहली डेल्टा रैंकिंग | 30 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग ने 31 मार्च, 2018 से 31 मई, 2018 के बीच ज़िलों के स्व-रिपोर्ट किये गए आँकड़ों (self-reported data) के आधार पर आकांक्षी ज़िलों की पहली डेल्टा रैंकिंग जारी की है. इस कार्य के लिये पाँच विकासात्मक क्षेत्रों -वृद्धिशील प्रगति के लिये स्वास्थ्य और पोषण; शिक्षा; कृषि और जल संसाधन; वित्तीय समावेशन तथा कौशल विकास और बुनियादी अवसंरचना को आधार माना गया है।
उद्देश्य
- इस रैंकिंग का उद्देश्य ज़िलों में गतिशील टीमों के बीच प्रतिस्पर्द्धा की भावना पैदा करना है।
- चूँकि इन ज़िलों को विरासत (legacy), अप्रयुक्त या कमज़ोर संसाधन आधार (unexploited or weak resource base), कठोर जीवन परिस्थितियों आदि के कारण विभिन्न स्तरों पर जनशक्ति की कमी सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिये इस रैंकिंग को विभिन्न क्षेत्रों और सूचक विशिष्ट चुनौतियों (indicator specific challenges) की पहचान करने के एक प्रभावकारी साधन के रूप में भी देखा जा सकता है।
चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड में दर्ज किये गए आँकड़े
- आँकड़ों को दर्ज करने का काम 1 अप्रैल, 2018 से चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड (Champions of Change Dashboard) के तहत शुरू किया गया। कुल 112 में से 108 ज़िलों ने इस रैंकिंग में भाग लिया। शेष चार ज़िलों की डेटा प्रविष्टि अभी प्रगति पर है, इसलिये वे इस रैंकिंग का हिस्सा नहीं हैं।
- इसके अतिरिक्त कुछ आँकड़ों को केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त किया गया हैं उदाहरण के लिये - वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और मूलभूत बुनियादी ढाँचे के तीन संकेतक (घरेलू विद्युत कनेक्शन, घरेलू शौचालय और ग्रामीण पेयजल)। हालाँकि, अधिकांश डेटा बिंदुओं को स्वयं विभिन्न ज़िलों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
रैंकिंग के अनुसार
- गुजरात के दाहौद ज़िले ने 19.8 अंकों का सुधार करते हुए डेल्टा रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त किया। (यह बेसलाइन रैंकिंग में 17वें स्थान पर था)।
- सिक्किम का पश्चिम सिक्किम ज़िला 18.9 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जो बेसलाइन रैंकिंग में 30वें स्थान पर था।
- छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले ने 14.7 अंकों का सुधार कर डेल्टा रैंकिंग में छठा स्थान प्राप्त किया, जबकि बेसलाइन रैंकिंग में यह 45वें स्थान पर था।
- तेलंगाना का आसिफाबाद ज़िला इस साल मार्च में जारी बेसलाइन रैंकिंग में 100वें स्थान पर था, पिछले दो महीनों में इसने महत्त्वपूर्ण सुधार करते हुए डेल्टा रैंकिंग में 15वाँ स्थान हासिल किया है।
रैंकिंग के सूचक
क्या हैं इस डेल्टा रैंकिंग के लाभ?
- डेल्टा रैंकिंग एक कदम और आगे बढ़ते हुए सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के विशिष्ट पहलुओं को देखती है और विश्लेषण करती है कि इन ज़िलों ने पिछले दो महीनों में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में कैसा प्रदर्शन किया है।
- यह रैंकिंग ज़िला मजिस्ट्रेट/कलेक्टरों को इन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और भविष्य में अपनी रैंकिग में सुधार करने में सहायता करेगी।
- नीति आयोग के ज्ञान भागीदारों – टाटा ट्रस्ट और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (ID Insights) द्वारा 13 सर्वेक्षण संकेतकों पर डेटा उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है और उन्होंने 29 डेटा प्वाइंट्स के लिये मान वैध किये हैं। अगली रैंकिंग इन इनपुटों को ध्यान में रखते हुए जारी की जाएगी।
‘आकांक्षी ज़िलों का परिवर्तन’ कार्यक्रम
- जनवरी 2018 में शुरू किये गए कार्यक्रम ‘आकांक्षी ज़िलों का परिवर्तन’ (Transformation of Aspirational Districts) का उद्देश्य देश के कुछ सबसे अधिक पिछड़े ज़िलों में तेज़ी से और प्रभावी परिवर्तन लाना है।
- कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा अभिसरण (केंद्रीय और राज्य योजनाओं), सहयोग (केंद्रीय, राज्य स्तरीय प्रभारी अधिकारी और ज़िलाधिकारी) और जन आंदोलन द्वारा संचालित ज़िलों के बीच प्रतिस्पर्द्धा है।
- इस कार्यक्रम के तहत राज्य मुख्य वाहक के रूप में हैं और यह कार्यक्रम प्रत्येक ज़िले की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करेगा, तत्काल सुधार के लिये बेहतर परिणाम देने वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा, प्रगति को मापेगा और ज़िलों की रैंकिंग करेगा।
- स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास तथा मूलभूत बुनियादी ढाँचा आदि इस कार्यक्रम के तहत विशेष ध्यान दिये जाने वाले मुख्य क्षेत्र हैं।
- विभिन्न हितधारकों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद ज़िलों की प्रगति को मापने के लिये 49 प्रमुख निष्पादन संकेतक चुने गए हैं।
- ज़िलों को अपने राज्य में सबसे अच्छे ज़िले के समान स्थिति में पहुँचने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है और बाद में प्रतिसपर्द्धी तथा सहकारी संघवाद की भावना से दूसरों से प्रतिस्पर्द्धा करके और दूसरों से सीखकर देश के सर्वश्रेष्ठ में से एक बनने के लिये प्रेरित किया जाता है।i